ग्वालियर .. लाइसेंसी तो थाने पहुंचे, देसी तमंचे पिस्टल का खतरा ..?
पंचायत चुनाव में देसी हथियारों का इस्तेमाल रोकना बड़ा टॉस्क
ग्वालियर. पंचायत चुनाव से पहले लाइसेंसी हथियार तो थानों के मालखानों में पहुंच गए हैं, लेकिन देसी तमंचे, पिस्टल के कारोबार पर नकेल पुलिस के लिए सिरदर्द बना है। आने वाले चुनाव में इनका इस्तेमाल नहीं हो पुलिस उसके लिए रणनीति तो बना रही है, लेकिन आशंका है चोरी छिपे देसी हथियार चुनाव में सिर उठाने वालों तक पहुंच सकते हैं। क्योंकि हथियार तस्करों ने भी कारोबार का पैटर्न बदल दिया है। अब देसी हथियारों के सौदागर सीधे सामने आने की बजाय सोशल मीडिया के जरिए ऑर्डर बुङ्क्षकग और पेमेंट कर रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक पिछले दो साल में हथियार तस्करी का नेटवर्क बस्र्ट करने के लिए कोशिश हुई है। इसमें तस्करी के जरिए मंगाए 400 से ज्यादा देसी हथियार पुलिस के हाथ आए हैं, लेकिन अवैध हथियार का कारोबार पूरी तरह ठप नही है। इस कारोबार में मुनाफे का हवाला देकर कई अपराधी भी हाथ अजमा रहे हैं। ग्वालियर और चंबल अंचल देसी हथियार का बड़ा बाजार बना है। साल के शुरूआती तीन महीने में पुलिस के हाथ 254 अवैध हथियार आए हैं। इनकी तस्करी करने वालोंं ने पूछताछ में खुलासा किया है ग्वालियर, चंबल अंचल में देसी हथियार की डिमांड ज्यादा है। इनके खरीदारों में अपराध से ताल्लुक रखने वालों के अलावा शौकिया रसूख दिखाने वाले भी हैं। आंकडों के हिसाब से हर महीने करीब 80 अवैध हथियार पुलिस ने पकड़े हैं, लेकिन उसकी नजर से बचकर अपराधियों के हाथ तक पहुंचने वाले हथियारों की गिनती इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
पुलिस के मुताबिक पिछले दो साल में हथियार तस्करी का नेटवर्क बस्र्ट करने के लिए कोशिश हुई है। इसमें तस्करी के जरिए मंगाए 400 से ज्यादा देसी हथियार पुलिस के हाथ आए हैं, लेकिन अवैध हथियार का कारोबार पूरी तरह ठप नही है। इस कारोबार में मुनाफे का हवाला देकर कई अपराधी भी हाथ अजमा रहे हैं। ग्वालियर और चंबल अंचल देसी हथियार का बड़ा बाजार बना है। साल के शुरूआती तीन महीने में पुलिस के हाथ 254 अवैध हथियार आए हैं। इनकी तस्करी करने वालोंं ने पूछताछ में खुलासा किया है ग्वालियर, चंबल अंचल में देसी हथियार की डिमांड ज्यादा है। इनके खरीदारों में अपराध से ताल्लुक रखने वालों के अलावा शौकिया रसूख दिखाने वाले भी हैं। आंकडों के हिसाब से हर महीने करीब 80 अवैध हथियार पुलिस ने पकड़े हैं, लेकिन उसकी नजर से बचकर अपराधियों के हाथ तक पहुंचने वाले हथियारों की गिनती इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
देहात में भी खपत
पुलिस मानती है, देसी पिस्टल और तमंचे की डिमांड शहर के अलावा देहाती इलाके में भी है, इसलिए पंचायत चुनाव में इन हथियारों का इस्तेमाल करने वाले भी टारगेट पर हैं। उनका पता लगाने के लिए देहात में मुखबिर तंत्र को भी मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए पुलिस और गांववालों के बीच मेलजोल बढ़ाने की रणनीति भी बनाई है। पुलिस गांव में चौपाल पर जाकर लोगों के बीच बैठेगी तो उसे सिर उठाने की आशंका वालों के बारे में इनपुट मिलेगा।
पुलिस मानती है, देसी पिस्टल और तमंचे की डिमांड शहर के अलावा देहाती इलाके में भी है, इसलिए पंचायत चुनाव में इन हथियारों का इस्तेमाल करने वाले भी टारगेट पर हैं। उनका पता लगाने के लिए देहात में मुखबिर तंत्र को भी मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए पुलिस और गांववालों के बीच मेलजोल बढ़ाने की रणनीति भी बनाई है। पुलिस गांव में चौपाल पर जाकर लोगों के बीच बैठेगी तो उसे सिर उठाने की आशंका वालों के बारे में इनपुट मिलेगा।
तस्करों से सिर्फ हथियार मिले खरीदार और सप्लायर नहीं
पुलिस ने अवैध हथियार की तस्करी करने वाले तो अरेस्ट किए हैं, लेकिन उनसे यह नहीं उगलवा पाई है कि अंचल में हथियार के खरीदार कौन है, देसी हथियार कौन मंगवाता है। इन्हें किस ठिकाने से कौन भेजता है।
पुलिस ने अवैध हथियार की तस्करी करने वाले तो अरेस्ट किए हैं, लेकिन उनसे यह नहीं उगलवा पाई है कि अंचल में हथियार के खरीदार कौन है, देसी हथियार कौन मंगवाता है। इन्हें किस ठिकाने से कौन भेजता है।
पकड़े गए हथियार का आंकड़ा
जनवरी- 75
फरवरी – 88
मार्च- 91
जनवरी- 75
फरवरी – 88
मार्च- 91