prayagraj violence Updates : पथराव-आगजनी में आईजी समेत 18 पुलिसकर्मी जख्मी, पीएसी की गाड़ी सहित सात वाहन फूंके

हमले में आईजी समेत 18 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। पुलिस व आरएएफ ने लाठीचार्ज कर उपद्रवियों को खदेड़ना शुरू किया, तब जाकर तीन घंटे बाद बवाल शांत हुआ। देर रात तक 37 लोग गिरफ्तार किए जा चुके थे।
कानपुर में तीन जून को हुए बवाल के बाद ही पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया था। जिले में भी पुलिस प्रशासन की ओर से जुमे की नमाज को लेकर विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। इस दौरान शहर के अलग-अलग इलाकों में मस्जिदों के बाहर फोर्स तैनात की गई थी।
दोपहर में नमाज खत्म होने के बाद करीब 1.30 बजे मुस्तफा कॉम्पलेक्स के पास स्थित मस्जिद से निकले कुछ युवक अटाला में मजीदिया कॉलेज के सामने पहुंचे और भाजपा नेता नूपुर शर्मा के बयान के विरोध में नारेबाजी करने लगे। इस पर अटाला चौराहे पर मौजूद पुलिस फोर्स ने उन्हें समझाकर वापस भेज दिया।

करीब 15 मिनट बाद उसी स्थान पर दोबारा भीड़ जुटने लगी। इस बार नुरुल्लाह रोड के साथ ही अटाला मोहल्ले की गलियों से भी लोग निकलकर मौके पर जमा होने लगे। देखते ही देखते वहां हजारों की भीड़ जमा हो गई, जिस पर पुलिसकर्मियों के हाथ-पांव फूल गए। पुलिस ने उन्हें हटाना चाहा तो नारेबाजी तेज कर दी गई। पुलिसकर्मियों के हटाने पर लोग वापस जाने लगे, लेकिन इसी दौरान शौकतअली रोड से रोशनबाग की ओर जाने वाली गली के पास पहुंचकर भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद नुरुल्लाह रोड, मजीदिया कॉलेज वाली गली समेत चारों ओर से पुलिस पर पथराव होने लगा। चौतरफा पत्थरबाजी से वहां भगदड़ मच गई। इसके बाद तीन घंटे तक जबरदस्त उपद्रव हुआ।
बवाल के दौरान भीड़ ने न सिर्फ पत्थर चलाए बल्कि पुलिस को निशाना बनाकर बमबाजी भी की। उपद्रवियों ने करीब एक दर्जन गाड़ियों में तोड़फोड़ करने के साथ ही आठ वाहन आग के हवाले कर दिए। इसमें एक पीएसी का वाहन भी शामिल है। हालात बेकाबू होते देख अफसरों ने लाठीचार्ज का आदेश दिया और इसके बाद उपद्रवियों को खदेड़ा गया। तब जाकर तीन घंटे बाद स्थिति नियंत्रित की जा सकी। पुलिस ने मौके से 13 उपद्रवियों को हिरासत में ले लिया। देर रात तक अलग-अलग इलाकों में छापेमारी की जाती रही।
हालात नियंत्रण में हैं। मौके से 13 लोगों को हिरासत में लिया गया है। वीडियो फुटेज के सहारे अन्य हमलावरों की तलाश की जा रही है। कुछ जवान चोटिल हुए हैं, जिनका इलाज कराया जा रहा है। – संजय खत्री, डीएम

आईजी डॉ. राकेश सिंह, आरएएफ इंस्पेक्टर मनीष व एक अन्य सिपाही, एडीजी कार्यालय में तैनात आरक्षी विजय पाल व 13 अन्य पुलिसकर्मी।

अटाला में बवाल के दौरान पुलिस व प्रशासनिक वाहनों के साथ-साथ अफसरों के वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई। एडीजी जोन प्रयागराज प्रेमप्रकाश के वाहन पर भी पथराव किया गया, जिसमें वह बाल-बाल बच गए। हमलावरों ने घायल सुरक्षाकर्मियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए बुलाई गई तीन एंबुलेंस में भी तोड़फोड़ की। गलियों में खड़े निजी वाहनों को भी निशाना बनाया। इस दौरान कुछ घरों पर भी पत्थरबाजी की गई जिसमें खिड़कियों पर लगे शीशे क्षतिग्रस्त हो गए।

अटाला एवं उसके आसपास के इलाकों में हुए बवाल के बाद जिला प्रशासन ने हर थाने पर एक मजिस्ट्रेट तैनात कर दिए हैं। इस बीच बवाल वाले पूरे इलाके को छावनी में तब्दील करने के साथ ही वहां बैरिकेडिंग कर दी गई है। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने भी बवाल वाले इलाके का दौरान किया। उन्होंने कहा कि धारा 144 पहले से ही लागू है, ऐसे में कर्फ्यू लगाने जैसी स्थिति नहीं है। आसपास के जिलों से भी अतिरिक्त फोर्स यहां आ चुकी है। रात के वक्त भी गश्त बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। पुलिस के साथ यहां 24 घंटे पीएसी बल तैनात रहेगा। थाना एवं चौकी स्तर पर भी मॉनीटरिंग शुरू करवा दी गई है। अब हालात सामान्य है और स्थिति भी काबू मेें है। लोगों से यही अपील की जाती है कि वह शांति व्यवस्था बनाकर रखें।

लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। प्रभावित इलाकों में पर्याप्त फोर्स तैनात है। अब तक 36 गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। फिलहाल कर्फ्यू जैसी स्थिति नहीं है। संबंधित इलाके में हमारी पूरी नजर है। हमें विश्वास है कि आगे ऐसा नहीं होने पाएगा। लोग कानून-व्यवस्था पर भरोसा रखें। – संजय गोयल, कमिश्नर प्रयागराज।

हमलावर भीड़ के गलियों में छिपने के बाद पुलिस उन्हें खदेड़ने के लिए गलियों में घुसी तो उपद्रवियों ने गुरिल्ला रणनीति अपना कर हमला कर दिया। इसके बाद घंटों ऐसी स्थिति बनी रही। कभी पुलिस उपद्रवियों पर भारी पड़ती तो कभी पत्थरबाज पुलिसकर्मियों को पीछे हटने पर मजबूर कर देते। दरअसल पत्थरबाजी कर रही भीड़ को खदेड़ने के दौरान पुलिस की एक टीम शौकत अली मार्ग पर स्थित अकरब हाउस गेस्ट हाउस की ओर से आने वाले रास्ते पर बाईं ओर स्थित दूसरी गली में घुसी। तभी ठीक बगल वाली गली से निकली भीड़ ने पुलिस फोर्स पर पीछे से हमला बोल दिया।
इससे फोर्स के कुछ जवान दोनों तरफ से भीड़ के बीच फंस गए। शोरगुल मचने पर शौकत अली मार्ग पर व अन्य गलियों में उपद्रवियों को खदेड़ रही फोर्स दौड़ी तो भीड़ के बीच फंसे जवानों को बचाया जा सका। इसके बाद तो घंटों गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात बने रहे। पुलिस एक गली से निकलकर दूसरी गली में जाती तो किसी और रास्ते से आकर भीड़ हमला बोल देती। इसके बाद पुलिस लाठियां पटककर उन्हें खदेड़ती।

बवाल के दौरान गलियों के साथ ही आसपास स्थित कुछ घरों से भी पत्थर बरसाए गए। दरअसल फोर्स के खदेड़ने पर पथराव कर रहे बहुत से युवक गलियों में स्थित कुछ घरों में जाकर छिप गए। इसके बाद तो छतों से भी पत्थर बरसाए गए। ऊंचाई से पत्थर बरसने की वजह से पुलिसकर्मियों को भी बैकफुट पर आना पड़ा। इस दौरान पत्थर लगने से कुछ पुलिसकर्मी चोटिल भी हुए। जिसके बाद एंबुलेंस बुलवाकर उन्हें अस्पताल भेजा गया। खास बात यह थी कि मकानों के सटे होने के चलते हमलावर एक से दूसरी छत पर जाकर भी हमला बोलते रहे। हालांकि जब पुलिस ने इन मकानों में रहने वालों से पूछताछ की तो उन्होंने हमलावरों के बारे में जानकारी होने से इंकार किया। यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि हमलावर उनकी छतों पर कैसे पहुंचे।

गलियों में हो रही पत्थरबाजी से पुलिस को कई बार बैकफुट पर आना पड़ा। उपद्रवी छिपकर पुलिस पर पथराव कर रहे थे तो पुलिसकर्मी भी उनकी तरफ पत्थर फेंककर उनके हमले का जवाब देते रहे। हालात संभालने में जब पुलिस सफल नहीं हो पाई तो अफसरों के निर्देश पर आरएएफ के जवानों ने मोर्चा संभाला। बॉडी प्रोटेक्टर व हेलमेट के साथ ही अत्याधुनिक असलहों से लैस आरएएफ के जवान आगे बढ़े तो हमलावर कुछ पीछे हटे। पत्थरबाजी भी कुछ धीमी हुई। इसके बाद आरएएफ, पुलिस व पीएसी के जवानों ने मिलकर उपद्रवियों को खदेड़ा।

बवाल के बाद पुलिस ने जब उपद्रवियों को खोजना शुरू किया तो गलियों में जमकर बमबाजी की गई। पुलिस गलियों के बाहर से आंसू गैस के गोले छोड़ रही थी तो जवाब में बमबाजी हो रही थी।

आगजनी होते देख पुलिसकर्मियों के कदम भी एक बार ठिठक गए थे। हालात की गंभीरता को देखते हुए अफसरों ने निर्देश दिया और इसके बाद आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। आंखों में जलन होने पर उपद्रवी पीछे हटे जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने लाठियां बरसाते हुए उन्हें खदेड़ा। इस पर बड़ी संख्या में हमलावर युवक सड़क के दूसरी ओर स्थित करेली क्षेत्र की गलियों में जाकर छिप गए। इसके बाद उन्होंने ईंट-पत्थर तो बरसाए ही, बम भी फेंके। इससे लगातार धमाके होते रहे और इलाका दहलता रहा। इससे पहले भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया गया और तब जाकर हालात काबू में आए।

पुलिस सूत्रों का मानना है कि जिस तरह से पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की गई, उससे साफ है कि बवाल की रूपरेखा पहले से तैयार थी। यही वजह थी कि हमलावर न सिर्फ ईंट-पत्थर बल्कि पेट्रोल व बम लेकर आए। जुमे की नमाज के ठीक बाद बवाल होने से यह भी माना जा रहा है कि जानबूझकर साजिशन इस दिन को चुना गया। दरअसल साजिशकर्ता यह जानते थे कि जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं जिनमें बड़ी संख्या किशोरों और युवाओं की होती है।
बवाल के लिए अटाला को चुनने की वजह यह मानी जा रही है कि यह इलाका बेहद घना है और पुलिस से दो-दो हाथ करने के लिए इसकी भौगोलिक स्थिति भी बेहद माकूल है। यह ऐसा इलाका है जिसके चारों ओर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि बवाल पूरी तरह से सुनियोजित था जिसकी रूपरेखा पहले से तय थी।



