सशक्तिकरण को ठेंगा …? सत्ता में काबिज, फिर भी पुरुषों की कठपुतली बनीं महिलाएं …

ग्वालियर-चंबल संभाग में महिलाओं की विडंबना, कामकाज और सत्ता चला रहे पति-बेटे

ग्वालियर. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। उम्मीदवार अपने विपक्षी को पटखनी देने के लिए हर तरह के दांव-पेच लगाएंगे। आरक्षण प्रक्रिया के बाद इस बार संभाग के जिलों में महिला उम्मीदवारों ने अधिक दावेदारी जताई है, लेकिन उनके साथ एक बड़ी विडंबना भी जुड़ी हुई है। परिवार उन्हें चुनाव में उतार तो देता है, लेकिन कई महिलाओं को तो उनके पद, अधिकार और यहां तक कि काम तक पता नहीं होते हैं। चंबल संभाग में भी कई महिलाएं परिवार का मोहरा बन कर रह गई है। सरकारी बैठकों में भी उनके प्रतिनिधि बनकर पति और पुत्र सारा कामकाज देखते हैं।

सशक्तिकरण को ठेंगा : सत्ता में काबिज, फिर भी पुरुषों की कठपुतली बनीं महिलाएं….? 

भिण्ड : सिर्फ हस्ताक्षर करने पहुंचती है महिला जनप्रतिनिधि

जिलेभर में ग्राम पंचायत से सरपंच हो या जनपद पंचायत व जिला पंचायत से सदस्य ज्यादातर निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों का काम उनके पति ही करते आ रहे हैं। बैठकों में महिला जनप्रतिनिधि मात्र हस्ताक्षर करने पहुंच रही है।

डबरा : नहीं मालूम किस पद के लिए कर रही दावेदारी

पंचायत चुनाव में नाम निर्देशन फॉर्म जमा करने के दौरान भी महिलाओं से जुड़ा अलग नजारा देखने को मिला। कई महिलाओं को तो मालूम नहीं था कि वे किस पद के लिए आवेदन कर रही हंै। घूंघट में विमला नन्ने सिंह ने बताया कि हमारे पति और बेटा लेकर आए हैं।

केस 01 : भिण्ड के वार्ड मांक 13 की महिला पार्षद आशा जैन का काम उनके पति रतनचंद्र जैन ने किया। आवश्यक दस्तावेजों पर दस्तखत के लिए ही वह कभीकभार नगर पालिका कार्यालय में देखी गईं। सिर्फ कागजों पर हस्ताक्षर करती हैं।

केस-2 : मुरैना के सुमावली की ग्राम पंचायत बडोना की सरपंच नर्मदा देवी छह साल से ज्यादा सरपंच रहीं ।उनके सारे काम पति गोपाल कुशवाह व परिजन ही करते रहे। मशीनों से तालाब निर्माण का विवाद उठा तो सरपंच बोली पति से ही बात की जाए।

केस-3 : डबरा के गजापुर वार्ड से चुनाव लडऩे के लिए फॉर्म जमा करने पहुंची बुजुर्ग महिला रामराजा से पूछा कि कौन सा फॉर्म भर रहीं है तो बोलीं कि हमें नहीं मालूम लडक़ा साथ आयो है , उसे मालूम है। मैं नहीं जानती, मौड़ा भरवा रहो है।

महिलाओं को देंगे प्रशिक्षण….

चुनाव में विजयी महिला प्रत्याशियों को उनके कामकाज के बारे में समझाने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके लिए पंचायती राज संचालनालय व विभिन्न सामाजिक संगठन महिलाओं को प्रशिक्षण देंगे। वहीं सरकारी बैठकों में विजयी महिलाओं के अलावा पति-पुत्र सहित किसी भी रिश्तेदार को शामिल नहीं होने दिया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
आशीष सक्सेना, कमिश्नर, ग्वालियर-चंबल संभाग

जिला ———- कुल सीट ———- महिला उम्मीदवार ———- पुरुष उम्मीदवार
श्योपुर ———-65 ———-69 ———-43
मुरैना ———-9074 ———-4813 ———-4261
दतिया ———-5067 ———-2533 ———-2404
डबरा ———-1245 ———-653 ———-592
भिण्ड ———-10742 ———-7955 ———-3687

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *