24 मार्च 2022 को अंकित चौरसिया व रामेश्वर सिंह तोमर ने विनीत भदौरिया के साथ सिटी सेंटर पर मारपीट की। जब गंभीर रूप से घायल हो गया तो उसे उठाकर महाराजपुरा थाने लेकर पहुंचे। उसके खिलाफ केस दर्ज करा दिया। विशाल भदौरिया की हालत ज्यादा खराब हुई तो थाने के पास छोड़कर भाग गए। गंभीर हालत में उसे विश्वविद्यालय थाने लाया गया। उसकी हालत को देखते हुए विश्वविद्यालय थाना पुलिस ने एफआइआर दर्ज की। अंकित चौरसिया व रामेश्वर तोमर ने जमानत याचिका दायर की। विनीत भदौरिया की ओर से अधिवक्ता डीपी सिंह ने तर्क दिया कि आरोपित काफी प्रभावशाली लोग हैं, जिन्होंने पीड़ित की हथियारों से पिटाई की थी और उन हथियारों को लाइटर बता दिया गया। पुलिस ने उनकी पूरी मदद कर दी। केस को दबाया जा रहा है। महाराजपुरा थाने में भी फर्जी केस दर्ज करा दिया। यदि इन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है तो साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने महाराजपुरा थाने के सीसीटीवी फुटेज तलब किए थे, लेकिन पुलिस की ओर से बताया गया कि थाने में सीसीटीवी नहीं लगे। इसको लेकर हाई कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित सांघी को तलब कर लिया था। उन्होंने जानकारी दी कि कैमरे का सामान आ चुका है। इन कैमरों को लगाने के लिए एक महीने का समय चाहिए। कोर्ट ने इस कार्य प्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने थानों में कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं। नवंबर 2021 में हाई को्र्ट भी थानों में कैमरे लगाने का आदेश दे चुका है, लेकिन कैमरों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को कैमरे लगाने के लिए 21 जून तक का समय दिया है। कैमरे लगाकर रिपोर्ट पेश करना होगी। पुलिस अधीक्षक कैमरे लगाने में नाकाम रहते हैं तो डीजीपी व उनके खिलाफ अवमानना के नोटिस जारी किए जाएंगे। प्रिसिंपल रजिस्ट्रार को आदेश दिया है कि पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट नहीं आती है तो 23 जून को केस लिस्ट किया जाए। अंकित चौरसिया व रामेश्वर सिंह तोमर का जमानत आवेदन खारिज कर दिया।