अस्पताल के कमरे के किराये पर GST लगने से महंगा हो गया इलाज कराना

GST Rates Hike: अस्पताल में कमरे का किराया इलाज के लिए तय पैकेज के रेट का हिस्सा होता है. और पैकेज के एक हिस्से पर टैक्स लगाने से असमंजस पैदा होगा.
 अस्पतालों (Hospitals) में इलाज अब महंगा हो गया है. अस्पतालों के नॉन-आईसीयू कमरे ( Non-ICU Rooms)  जिसका किराया 5,000 रुपये प्रति दिन से ज्यादा है उसपर 5 फीसदी जीएसटी ( GST) का भुगतान करना होगा. दरअसल 28 से 29 जून को जीएसटी काउंसिल ( GST Council) की 47वीं बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया था जो कि आज 18 जुलाई, 2022 से लागू हो चुका है. हालांकि जीएसटी काउंसिल के इस निर्णय की कड़ी आलोचना भी हो रही है.

महंगा होगा इलाज
हेल्थकेयर इंडस्ट्री से लेकर हॉस्पिटल एसोसिएशन और दूसरे स्टेकहोल्डर्स लगातार सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अस्पतालों के बेड पर जीएसटी लगाने के फैसले के चलते लोगों के लिए इलाज कराना महंगा हो जाएगा. साथ ही इससे हेल्थकेयर इंडस्ट्री के सामने कम्पलायंस ( Compliance) से जुड़े मुद्दे खड़े हो जायेंगे क्योंकि हेल्थकेयर इंडस्ट्री ( Healthcare Industry) को अब तक जीएसटी से छूट मिली हुई थी.

जीएसटी लगाने का असर 
मान लिजिए एक दिन के अस्पताल के बेड का किराया 5,000 रुपये है तो उसपर 250 रुपये जीएसटी चुकाना होगा. अगर किसी मरीज को अस्पताल में दो दिन रुकना पड़ा कमरे का किराया 10,000 रुपये और जीएसटी के साथ 10.500 रुपये देना होगा. जितना अधिक दिन मरीज को अस्पताल में रुकना होगा उतना इलाज महंगा होता चला जाएगा.

जीएसटी लगाने से बढ़ेगा कंफ्यूजन 
फिक्की ( Ficci) के प्रेसीडेंट संजीव मेहता ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा कि इससे मरीजों के लिए इलाज कराना महंगा हो जाएगा. साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा कि अस्पताल के कमरे का किराया इलाज के लिए तय पैकेज रेट का हिस्सा होता है. और पैकेज के एक हिस्से पर टैक्स लगाने से असमंजस पैदा होगा, जो खुद सरकार के मंशा के खिलाफ है. सरकार ने आयुष्मान भारत – जीएमजेएवाई स्कीम समेत दूसरे हेल्थकेयर स्कीमों में निजी क्षेत्र से इलाज के पूरे खर्च की जानकारी मरीजों को पैकेज रेट के जरिए उपलब्ध कराने को कहा है.  इससे सरकार के ईज ऑफ डूइंग प्रयासों को भी झटका लगेगा.

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