MP की लहार नगर पालिका में नहीं होगा विपक्ष …? विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का नहीं टिक सका एक भी उम्मीदवार
नेता प्रतिपक्ष के धुरंधरों के सामने विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का नहीं टिक सका एक भी उम्मीदवार…
भारतीय जनता पार्टी भले ही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती हो, लेकिन मध्य प्रदेश की लहार नगर पालिका चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों की बुरी तरह हार हुई है। यह विधानसभा क्षेत्र नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का है। जहां नेता प्रतिपक्ष की रणनीति के सामने भाजपा के बड़े-बड़े धुंरधंर फेल हो चुके हैं। अब पहले चरण के मतदान में लहार प्रदेश की ऐसी नगर पालिका बनकर सामने आई है जहां एक भी भाजपा का पार्षद नहीं होगा, यानि लहार नगर पालिका में होने वाली परिषद की बैठकों में विरोध करने वाला विपक्ष नहीं होगा। यही स्थिति मिहोना नगर परिषद की है। यहां पर बीजेपी का विपक्ष नहीं है। मिहोना नगर परिषद में चार प्रत्याशी बीजेपी के जीते थे जिसमें एक प्रत्याशी ने कांग्रेस पर विश्वास जताते हुए सदस्यता ग्रहण कर ली। अब तीन ही बचे हैं।
मिहोना में 4 बीजेपी के प्रत्याशी जीते, एक कांग्रेस में हुआ शामिल
लहार विधानसभा में बीजेपी इस तरह से कमजोर हो चुकी है कि जीते हुए पार्षद भी बीजेपी में अपना राजनीतिक करियर सुरक्षित नहीं मान रहे है। लहार विधानसभा के मिहोना नगर परिषद में वार्ड क्रमांक 4 से ऊषा वार्ड क्रमांक 8 से संतोष बौहरे, वार्ड 11 से रेनू सुरेंद्र वरसैना और वार्ड क्रमांक 15 से राजेश सियोते जीते थे। मिहोना में बीजेपी के चार, कांग्रेस के चार, सात निर्दलीय (अधिकांश कांग्रेस समर्थित) और एक बीएसपी का प्रत्याशी जीता था। जीत का प्रमाण पत्र लेते हुए वार्ड क्रमांक 11 से बीजेपी का प्रत्याशी रेनू सुरेंद्र वरसैना व बीएसपी विजय सिंह कांग्रेश में शामिल हो गया। इस तरह से मिहोना नगर परिषद में कांग्रेस समर्थित सात निर्दलीय पार्षद, चार कांग्रेस के बैनर तक जीतकर आए पार्षद और बीएसपी व बीजेपी से कांग्रेश में शामिल होने वाले कुल पार्षदों की संख्या 12 हो चुकी है।
कांग्रेस की जीत के पांच प्रमुख फैक्टर
- कांग्रेस संगठित होकर निकाय चुनाव में उतरी है। कांग्रेस की ओर से उतारे गए पार्षद उम्मीदवार पर पार्टी के छोटे-बड़े कार्यकर्ता ने जीत दिलाने का भरसक प्रयास किया।
- नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने स्वयं चुनाव की बागडोर अपने हाथ में ली। हर प्रत्याशी का वजन देखकर पार्षद उम्मीदवार का टिकट बांटा।
- कांग्रेस का कार्यकर्ता से लेकर पदाधिकारी संयमित सिपाही की तरह चुनाव में काम करते नजर आए। डॉ गोविंद द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन हर कार्यकर्ता व पदाधिकारी ने किया।
- डॉ गोविंद सिंह ने हर वार्ड में मीटिंग व सभाएं ली। वार्ड स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की भूमिका तय की और जिम्मेदारी बांटी।
- नेता प्रतिपक्ष ने वोट को केंद्र बिंदू बनाते हुए चुनावी रणनीति बनाई। हर वर्ग के वोटर पर पैनी नजर रखी।
बीजेपी की हार के पांच प्रमुख फैक्टर
- लहार विधानसभा में बीजेपी के पदाधिकारियों में एकजुटता का अभाव है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में मतभेद की गहरी खाई बनी है।
- पार्षद पद का टिकट देने से पहले उम्मीदवार की जमीनी हकीकत नहीं देखी गई। विधानसभा स्तर के नेताओं ने चेहते उम्मीदवारों को टिकट दिलाकर दूरियां बना ली थीं।
- वार्ड स्तर पर बैठकें एवं सभाएं कम देखने को मिली। कांग्रेस की तुलना में बीजेपी के विधानसभा स्तर के नेताओं की सक्रियता कम दिखी।
- स्थानीय स्तर पर पार्टी का कार्यकर्ता तीन से चार नेताओं के बीच फंसा है। जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिल रहा है।
- पार्टी के नेताओं में फूटन की वजह से बीजेपी का कार्यकर्ता धीरे-धीरे कांग्रेस में शामिल हो रहा है जिससे पार्टी का जनाधार कमजोर हो रहा है।

हार पर समीक्षा कर रहा हूं
जिस प्रकार स्वास्थ्य शरीर में कुछ फुंसियां हो जाती है उनका उपचार किया जाता है। वैसे ही लहार निकाय चुनाव में मिली हार की समीक्षा के बाद उचित उपचार किया जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की नजर लहार पर बनी हुई है।
नाथूसिंह गुर्जर, जिलाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, भिंड