नई शराब नीति से दिल्ली की आमदनी 27% बढ़ी
नई शराब नीति से दिल्ली की आमदनी 27% बढ़ी:केजरीवाल सरकार को सिर्फ लाइसेंस से 8,900 करोड़ की कमाई; जानिए इस पॉलिसी के बारे में
ऐसे में आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि दिल्ली सरकार की नई शराब नीति क्या है? इसके जरिए सरकार को कितने रुपए का फायदा हुआ? आखिर इस पर बवाल क्यों मचा हुआ है?
केजरीवाल सरकार ने नवंबर 2021 में लागू की नई शराब नीति
2020 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लाने की बात कही थी। मई 2020 में दिल्ली सरकार विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई, जिसे नवंबर 2021 से लागू कर दिया गया। सरकार ने नई शराब नीति को लागू करने के पीछे 4 प्रमुख तर्क दिए थे…
- दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी को समाप्त करना।
- दिल्ली सरकार के राजस्व को बढ़ाना।
- शराब खरीदने वाले लोगों की शिकायत दूर करना।
- हर वार्ड में शराब की दुकानों का समान वितरण होगा।
इस नई शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार ने ये 5 प्रमुख फैसले लिए…
- पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटकर हर जोन में 27 लिकर वेंडर रखने की बात कही गई।
- इसमें फैसला किया गया कि दिल्ली सरकार अब शराब बेचने का काम नहीं करेगी।
- अब दिल्ली में शराब बेचने के लिए सिर्फ प्राइवेट दुकानें होंगी।
- हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी जाएगी।
- शराब दुकानों के लिए लाइसेंस देने की प्रोसेस को आसान और फ्लेक्सिबल बनाया जाएगा।
MRP पर मिली छूट तो शराब दुकानों पर लगी लंबी लाइन
केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति में अब लाइसेंसधारियों को MRP प्राइस पर शराब बेचने की बजाय अपनी कीमतें तय करने की छूट दी। इसके बाद दुकानदारों ने शराब पर जमकर छूट देना शुरू कर दिया, जिससे दुकानों के आगे लंबी लाइनें लगने लगी। हालांकि, विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया। जिसके बाद दिल्ली आबकारी विभाग ने कुछ समय के लिए छूट वापस ले ली थी।
दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को लेकर मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति को लागू करने से पहले प्रस्तावित नीति को कैबिनेट के समक्ष रखना होता है। इसके बाद कैबिनेट से पास इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजना होता है। लेकिन, इस प्रोसेस को नहीं अपनाया गया है।
रिपोर्ट में 4 नियमों को तोड़ने के आरोप लगे हैं:
1. GNCTD अधिनियम 1991
2. व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993
3. दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009
4. दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010
इसी वजह से मुख्य सचिव ने आबकारी विभाग से जवाब भी मांगा था। जब 8 जुलाई को इस संबंध में उपराज्यपाल को फाइल भेजी गई तब जाकर इस मामले पर बवाल मचाना शुरु हुआ।
दिल्ली की 850 दुकानों को लाइसेंस देने से 8900 करोड़ की कमाई
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने अकेले लाइसेंस की नीलामी से 8,900 करोड़ रुपए कमाए हैं। यह नीलामी के लिए सरकार के रखे बेस प्राइस से लगभग 26.7% ज्यादा है।
इसके अलावा 15 सितंबर को मनीष सिसोदिया ने दावा किया था कि नई पॉलिसी से सरकार को 3500 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा रेवेन्यू मिलेगा, जिससे दिल्ली सरकार की कमाई बढ़कर 10 हजार करोड़ हो जाएगी।
यहां एक ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि दिल्ली सरकार को शराब के जरिए दो तरह से टैक्स मिलते हैं- पहला: रेवेन्यू से, दूसरा: दुकानों के लाइसेंस से। दिल्ली सरकार को इस नई नीति के बाद रेवेन्यू बढ़ने की भी उम्मीद है।
हम जानते हैं कि शराब किसी राज्य सरकार के आय का प्रमुख जरिया होता है। ऐसे में हमने 2021-22 के डेटा से यह समझने की कोशिश की है कि किसी राज्य के टोटल रेवेन्यू में शराब से होने वाली कमाई का प्रतिशत कितना है। आसान भाषा में ग्राफिक्स के जरिए जानिए कि किसी राज्य की 100 रुपए की कमाई है तो इसमें शराब से कितना आता है…
RBI रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 के दौरान, 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल दिल्ली और पुडुचेरी ने शराब पर राज्य उत्पाद शुल्क के जरिए 1,75,501.42 करोड़ रुपए जुटाए थे। यह डेटा 2018-19 के दौरान इन राज्यों द्वारा जुटाए गए 1,50,657.95 करोड़ से 16% ज्यादा था।
देखा जाए तो 2018-19 में शराब पर उत्पाद शुल्क से हर महीने करीब12,500 करोड़ औसतन राज्यों की कमाई थी, जो 2019-20 में बढ़कर 15,000 करोड़ प्रति माह हो गई।
अब बात शराब पर हो रही है तो इससे जुड़ी जानकारी के लिए आप नीचे के 3 ग्राफिक्स को भी पढ़ सकते हैं..