जिस आदिवासी समुदाय से आती हैं द्रौपदी मुर्मू, उसका इतिहास क्या, कौन से बड़े नाम हैं लोकप्रिय?

President Draupadi Murmu: जिस संथाल समुदाय से द्रौपदी मुर्मू आती हैं उसका इतिहास क्या रहा है? इस समुदाय के और कौन लोग हैं, जिन्हें देश में पहचान मिली है? इसके अलावा संथाल समुदाय भारत के कौन से राज्यों में रहता है? और किन देशों में इस जनजाति के लोग रहते हैं?
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। आदिवासी समुदाय से आने वाली वह देश की पहली राष्ट्रपति हैं। इतना ही नहीं शपथ ग्रहण के साथ ही वे देश की सबसे युवा राष्ट्रपति और इस पद तक पहुंचने वाली दूसरी महिला भी हैं। मुर्मू जिस संथाल समुदाय से आती हैं, वह सबसे पढ़े-लिखे आदिवासी वर्गों में से एक है। इतना ही नहीं मुर्मू के समुदाय का इतिहास और भाषा भी इस वक्त राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रही है।

ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि संथाल समुदाय का इतिहास क्या रहा है? इस समुदाय के और कौन लोग हैं, जिन्हें देश में पहचान मिली है? इसके अलावा संथाल समुदाय भारत के कौन से राज्यों में रहता है? और किन देशों में इस जनजाति के लोग रहते हैं?

क्या है संथाल समुदाय?
संथाल को संथाल (Santhal) भी कहा जाता है। संथ का मतलब शांत और आला का मतलब व्यक्ति होता हैं। दोनों शब्दों को मिलाकर जो अर्थ निकलता है, वह है- शांत व्यक्ति। भुवनेश्वर के शिड्यूल कास्ट्स एंड शिड्यूल ट्राइब्स रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एससीएसटीआरटीआई) के मुताबिक, संथाल मुंडा जनजाति समुदाय का हिस्सा हैं और दक्षिण एशिया के ही वासी हैं।

हालांकि, रिकॉर्ड्स में कमी के चलते संथाल समुदाय की उत्पत्ति की सही तारीख का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। माना जाता है कि नॉर्थ कंबोडिया के चंपा साम्राज्य से इनकी उत्पत्ति हुई है। अनुमान के मुताबिक, संथाल 4,000 से 3,500 साल पहले भारत में ओडिशा के तट पर पहुंचे थे। 18वीं सदी के अंत तक यह घुमंतू समुदाय भारत के अलग-अलग राज्यों में बस गया।

संथाल जनजाति के लोग संथाली भाषा बोलते हैं। इस भाषा को संथाल विद्वान पंडित रघुनाथ मुर्मू ने ओल चिकी नामक लिपि में लिखा है। ओल चिकी लिपि में संथाली को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। संथाली के अलावा वे बंगाली, उड़िया और हिंदी भी बोलते हैं।

इतिहास में कहां जगह रखते हैं संथाल समुदाय के लोग?
अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के संघर्ष की शुरुआत 1857 में हुई थी। हालांकि, संथाल जनजाति ने इससे दो साल पहले 1855 में ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। संथालों की एक बड़ी आबादी झारखंड में रहती है और 1855-56 के दौरान संथाल विद्रोह का केंद्र भी यही क्षेत्र रहा था।

इस विद्रोह के पीछे अंग्रेजों का 1793 का स्थायी बंदोबस्त या इस्तमरारी बंदोबस्त था। यह ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच कर वसूलने से जुड़ी एक स्थायी व्यवस्था थी। इसके तहत ब्रिटिश हुक्मरानों ने संथाल समुदाय की जमीनों पर कब्जे कर लिए। इसके अलावा उनकी जमीनों पर भारी कर वसूले जाने लगे। इसके खिलाफ संथाल हूल शुरू हुआ। संथाली भाषा में हूल का अर्थ विद्रोह होता है।

संथाल समुदाय ने ब्रिटिश सेनाओं का सामना करने के लिए गुरिल्ला युद्ध तकनीक अपनाई। इस जंग में संथाल समुदाय के ही मजदूर शामिल थे। इन लोगों ने अंग्रेजों के रेल और पोस्टल नेटवर्क को तबाह कर दिया था। इससे घबरा कर अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने की कोशिश कीं। इस क्रांति में करीब 20 हजार लोगों की जान गई थी। इन शहीदों की याद में हर साल 30 जून को हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है।

आदिवासियों में सबसे पढ़ा लिखा है यह समुदाय
संथाल आदिवासी समाज में सबसे पढ़े-लिखे समुदाय के तौर पर जाना जाता है। संथालों ने 1960 में ही स्कूली शिक्षा के प्रति जागरुकता शुरू की थी। इसका असर यह हुआ कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड की दूसरी जनजातियों के मुकाबले संथालों की साक्षरता दर सबसे ज्यादा- 55.5% है। समुदाय के कई नाम देश में पहले ही बड़े पदों पर पहुंच चुके हैं।
संथालों में कौन से नाम सबसे ज्यादा चर्चित?
संथाल समुदाय के जिन नामों को पूरे देश में पहचान मिली है, उनमें द्रौपदी मुर्मू अकेला नाम नहीं हैं। बल्कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन, मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, देश के 14वें सीएजी और जम्मू-कश्मीर के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर गिरीश चंद्र मुर्मू, झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी और मल्दाहा उत्तर लोकसभा सीट से सांसद खगेन मुर्मू भी शामिल हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार में आदिवासी मामले और जलशक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू भी इसी समुदाय से आते हैं।
भारत में कहां-कहां रहता है यह समुदाय?
संथाल 8वीं सदी के अंत तक घुमंतू समूह था, बाद में धीरे-धीरे यह समुदाय बिहार, ओडिशा, बंगाल और झारखंड के छोटा नागपुर पठार में बस गया। 2011 तक के आबादी के आंकड़ों के मुताबिक इस समुदाय की बड़ी जनसंख्या झारखंड में रहती है। इस राज्य में 27.52 लाख संथाल हैं। इसके बाद नंबर आता है पश्चिम बंगाल का, जहां- 25.12 लाख संथाल रहते हैं। ओडिशा में करीब 8.94 लाख, बिहार में 4.06 लाख और असम में 2.13 लाख संथाल समुदाय के लोग रहते हैं।
विदेश में कहां पाए जाते हैं संथाल, कौन से धर्म को मानते हैं?
संथालों की एक बड़ी आबादी भारत के बाहर भी पाई जाती है। 2001 की जनगणना के मुताबिक, बांग्लादेश में संथालों की संख्या करीब तीन लाख थी। वहीं, नेपाल में भी इस समुदाय के 50 हजार से ज्यादा लोग बसे थे। इसके अलावा कुछ और देशों में भी इस समुदाय की मौजूदगी दर्ज की गई है।

संथाल समुदाय किसी एक धर्म को मानने वाला नहीं है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार में रहने वाले 63 फीसदी संथाल खुद को हिंदू धर्म मानने वाला कहते हैं। उधर 31 फीसदी एक अन्य सरना धर्म को मानते हैं। इस समुदाय की 5 फीसदी आबादी इसाई धर्म को मानने वाली भी है, जबकि एक फीसदी अन्य धार्मिक परंपरा को मानती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *