ग्वालियर : नई नगर सरकार के सामने आमदनी बढ़ाने की होगी चुनौती, क्योंकि विकास योजनाएं डालेंगी आर्थिक बोझ

  • वास्तविक आय-व्यय के बड़े अंतर को कम करने के लिए आय के नए साधन तलाशने होंगे …

नई नगर सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती नगर निगम की आय बढ़ाना होगी। इसके लिए निगम के खर्च कम कर कुछ बचत तो की जा सकती है, लेकिन वास्तविक आय-व्यय के बड़े अंतर को कम करने के लिए आय के नए साधन तलाशने होंगे। निगम की आय के साधनों में होने वाले लीकेज पर लगाम लगानी होगी। क्योंकि चुनाव में लोगों से राहत का वादा करके निकाय के सदस्यों के लिए टैक्स बढ़ाना और नए टैक्स लगाना कठिन होगा।

दो साल के अंतराल के बाद बनी नई नगर सरकार से लोगों की उम्मीदें ज्यादा रहेंगी। विकास के लिए बजट की जरूरत होगी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रयास करने होंगे। केंद्र और राज्य सरकार से आने वाली बड़ी योजनाओं में भी निगम के अंशदान के रूप में करोड़ों रुपए की राशि जुटाना नई नगर सरकार और परिषद की जिम्मेदारी होगी।

बड़ी चुनौती सड़कों का निर्माण
शहर की खस्ताहाल सड़कों के निर्माण के लिए ~100 करोड़ से अधिक की राशि की जरूरत है। अधिकारियों ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा था, लेकिन राशि मंजूर नहीं हो पाई। जर्जर सड़कें बारिश में लोगों की मुसीबत और बढ़ा रही हैं। दीपावली से पहले सड़कों का संधारण व राशि जुटाना बड़ी चुनौती का काम होगा।

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया
निगम की वास्तविक आय कम होने के साथ खर्च ज्यादा है। वास्तविक आय-व्यय के बीच बड़ा अंतर होने से अधिकांश राशि निगम पर खर्च हो जाती है। बड़ा बजट बनाने वाले ननि का वास्तविक आय-व्यय कम है। कर्मचारियों के वेतन के लिए राज्य शासन से हर माह ~15 करोड़ की क्षति पूर्ति राशि का इस्तेमाल किया जाता है।

अमृत योजना के लिए जुटाना होंगे 157 करोड़

शहर की पेयजल और सीवेज समस्या के स्थायी समाधान के लिए 730 करोड़ की अमृत योजना में काम चल रहा है। इसमें निगम का अंशदान 124 करोड़ रुपए है। जिसके बड़े हिस्से का भुगतान किया जा चुका है। इसका काम पूरा होने के साथ ही 926 करोड़ की अमृत-2 योजना आएगी। इसमें केंद्र का 33 और राज्य सरकार का 50 फीसदी अंशदान रहेगा। शेष 17 फीसदी राशि यानी 157 करोड़ रुपए नगर निगम को जुटाना होंगे।

एक्सपर्ट व्यू- विनोद शर्मा, पूर्व कमिश्नर, नगर निगम

इनकम बढ़ाने पर देना होगा ध्यान

नई नगर सरकार और परिषद के सामने आर्थिक चुनौती बड़ी होगी। इनकम बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। संपत्ति और जल कर की वसूली का कवरेज बढ़ाना होगा। अभी संभवत: वसूली 30% ही है। दोनों टैक्स आय के बड़े स्त्रोत बन सकते हैं। बजट का रिव्यू हर तीन माह में करके देखना होगा कहां खर्च ज्यादा हो रहा है, वहां कटौती करना चाहिए। आय के नए स्रोत विकसित करना जरूरी हैं। आय के स्त्रोत में लीकेज रोकना भी बड़ा काम रहेगा।

आय बढ़ाने टैक्स का बोझ बढ़ना जरूरी नहीं

निगम की आय बढ़ाने के बहुत से रास्ते हैं, लोगों पर करों का बोझ बढ़ाना ही जरूरी नहीं है। सबसे पहले करों के दायरे में आने वाले वे लोग जो कर नहीं भर रहे हैं, उनसे करों की वसूली कराएंगे। नए हाट बाजार, रात्रिकालीन बाजार आदि विकसित करेंगे। इससे रोजगार मिलेगा आय भी होगी। निगम की भूमियों को मैरिज गार्डन के रूप में विकसित करेंगे ताकि उनसे आय हो सके। इसके लिए प्लान तैयार किया जाएगा।
-शोभा सिकरवार, नवनिर्वाचित महापौर, नगर निगम

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