भोपाल की नई ‘शहर सरकार’ संभालेंगी कुर्शी …? 4 अगस्त को शपथ, इसी दिन निगम अध्यक्ष का फैसला; दौड़ में सीनियर पार्षद

राजधानी भोपाल की नई ‘शहर सरकार’ 4 अगस्त को शपथ लेने के साथ ही कुर्सी भी संभाल लेगी। डेट तय होते ही निगम अमला तैयारियों में जुट गया है। इसी दिन निगम अध्यक्ष का फैसला भी हो जाएगा। कई सीनियर पार्षद अध्यक्ष की दौड़ में है, जो चुनाव जीतने के बाद से ही लॉबिंग में लगे हैं।

भोपाल में नई ‘शहर सरकार’ 17 जुलाई को चुन ली गई। BJP की मालती राय रिकॉर्ड वोटों से महापौर बन गईं तो बीजेपी के 58, कांग्रेस के 22 और 5 निर्दलीय पार्षदों ने जीत हासिल की है। इसके बाद से ही शपथ की डेट को लेकर मंथन चल रहा है। फिलहाल 4 अगस्त की तारीख शपथ के लिए तय हुई है और निगम अमला इसी हिसाब से तैयारी में जुटा है।

निगम अध्यक्ष की दौड़ में ये पार्षद
निगम अध्यक्ष की कुर्सी महापौर के बाद सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस कुर्सी के लिए कई सीनियर पार्षद जुगाड़ में लगे हैं। रविंद्र यती, सुरेंद्र बाडिका, राजेश हिंगोरानी और किशन सूर्यवंशी सबसे आगे बताए जाते हैं, लेकिन यदि समीकरण बदले तो अन्य नामों पर भी विचार हो सकता है। बता दें कि महापौर राय पिछड़ा वर्ग है। ऐसे में अध्यक्ष का पद सामान्य या अन्य वर्ग को दिया जा सकता है। इनमें भी सीनियर पार्षद को मौका मिल सकता है।

एमआईसी के लिए भी दौड़-भाग
अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कई दावेदार हैं तो एमआईसी में भी दावेदारों की संख्या कम नहीं है। माना जा रहा है कि जो अध्यक्ष नहीं बन पाएगा, उसे एमआईसी यानी मेयर इन कौंसिल में शामिल किया जाएगा। भोपाल की सभी विधानसभाओं से एक-एक पार्षद को शामिल किए जाने पर विचार चल रहा है। शिवलाल मकोरिया, जितेंद्र शुक्ला, सूर्यकांत गुप्ता, देवेंद्र भार्गव, ज्योति यादव, अर्चना परमार, बाबूलाल यादव, पूजा शर्मा, सुषमा बाबीसा आदि के नाम भी एमआईसी के लिए चर्चा में है। कुछ अन्य पार्षद भी एमआईसी में शामिल किए जाएंगे।

नगर निगम में जनता के प्रतिनिधि…

मेयर : कार्यकाल पांच वर्ष , चुनाव सीधे जनता द्वारा
नगर निगम परिषद और मेयर इन कौंसिल के मुखिया। नियम-कानून में अधिकारों का दायरा सीमित। शहर के प्रथम नागरिक के रूप में ऊंचा ओहदा।

अध्यक्ष : कार्यकाल पांच वर्ष, चुनाव पार्षदों द्वारा
नगर निगम परिषद के स्पीकर। मेयर की सहमति से निगम परिषद की बैठक बुलाते हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हैं। इस बैठक में तय एजेंडे पर निर्णय लिए जाते हैं।

मेयर इन कौंसिल: मेयर द्वारा मनोनयन
महापौर का मंत्रिमंडल माना जाता है। मेयर इसके सभापति होते हैं। न्यूनतम पांच और अधिकतम 11 सदस्य शामिल होते हैं, जिन्हें विभिन्न समितियों का प्रभारी बनाया जाता है। इनका कार्यकाल मेयर के विवेक पर होता है।

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