शिक्षा विभाग की स्थाई तबादला नीति मंजूर …?
4.10 लाख टीचर्स के लिए बड़ी खबर, 10 साल गांव में पढ़ाना होगा; टीचर के विषय में 70% से कम अंक तो ट्रांसफर…
मप्र में सरकारी स्कूलों के करीब 4.10 लाख टीचर्स का ट्रांसफर अब परफॉर्मेंस बेस्ड होगा। कैबिनेट ने मंगलवार को शिक्षा विभाग की स्थाई ट्रांसफर पॉलिसी मंजूर कर दी है, जो शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू होगी। परफॉर्मेंस बेस्ड ट्रांसफर का मतलब है कि यदि उत्कृष्ट एवं मॉडल स्कूलों के साथ नगरीय क्षेत्रों के हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में परिणाम 60% से कम हैं और शेष हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में 40% से कम हैं तो प्राचार्य का तबादला ग्रामीण क्षेत्रों के दूरस्थ स्कूलों में किया जाएगा।
यही व्यवस्था विषय के टीचरों के लिए क्रमश: 70% व 50% से कम परिणाम पर भी लागू होगी। यानी जिस टीचर के सब्जेक्ट में बच्चों के 70% से कम अंक आते हैं उनका तबादला किया जाएगा। इसके अलावा नई नीति में स्पष्ट किया गया है कि एक टीचर को अपने पूरे सेवाकाल में गांव के स्कूलों में भी 10 साल पढ़ाना होगा। नई भर्ती के टीचरों को तीन साल तक गांव के स्कूलों में रहना होगा। इसका वचन-पत्र लगेगा। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि विभाग को कुछ लोगों ने धर्मशाला बना लिया है। अब यह नहीं चलेगा। सब कुछ परफॉर्मेंस बेस्ड होगा। नेताओं के साथ अटैच टीचर भी हटाए जाएंगे।
नीति के 3 अहम प्रावधान 1 सरप्लस भी स्थानांतरण प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे। प्रतिबंध अवधि में भी उन जगहों पर सरप्लस टीचर भेजे जाएंगे, जहां कमी है। 2 प्रतिनियुक्ति से वापसी, कोर्ट के फैसलों के अनुपालन, गंभीर शिकायतों के मामलों में संस्था प्रमुख की सिफारिश पर ट्रांसफर होंगे। 3 स्वैच्छिक ट्रांसफर तबादलों से प्रतिबंध हटने की अवधि में होंगे, बाकी में नहीं। जिला-संभाग कैडर में तबादले जिले अथवा संभाग के अंदर ही होंगे।
शिक्षा मंत्री बोले- कुछ लोगों ने विभाग को धर्मशाला समझ लिया था, अब नहीं चलेगा
नई भर्ती वालों को तीन साल गांवों में पढ़ाना होगा
शहरों और गांवों में तबादले की क्या प्रक्रिया रहेगी?
-10 साल या इससे अधिक एक ही संस्था में पदस्थ (खासतौर पर शहरी क्षेत्र) टीचरों को शिक्षक विहीन या कम टीचरों वाले गांव के स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। ऐसे शिक्षकों को स्वैच्छिक ट्रांसफर के लिए आवेदन करने की छूट होगी। इस मापदंड में आने वाले कुल टीचरों में से न्यूनतम 10% को पहले ही साल ट्रांसफर किया जाएगा। उन्हें कम से कम 10 साल वहां रहना होगा। नियुक्ति के बाद से नगरीय क्षेत्रों में लगातार काम कर रहे टीचरों को अब गांवों में जाना होगा। दूरस्थ व गांव के आदिवासी इलाकों में जाने वाले टीचरों को इंसेटिव मिलेगा। उनकी पदस्थापना इस तरह होगी…
- 2001 तक नियुक्त टीचर व संविदा कर्मी- 5 साल
- 2008 तक नियुक्त संविदा शिक्षक- 7 साल
- 2013 तक नियुक्त संविदा शिक्षक- 10 साल
- 2018 तक नियुक्त संविदा शिक्षक- 10 साल
किस-किसका ट्रांसफर नहीं होगा या किसे छूट मिलेगी?
- जिनके रिटायरमेंट में एक साल या इससे कम समय है, उनका प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर नहीं होगा। स्वैच्छिक ट्रांसफर के बाद तीन शैक्षणिक सत्र तक उनके आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।
- ऐसे शिक्षक जिनके रिटायरमेंट में 3 साल बचे हैं या गंभीर बीमार हैं या विकलांग हैं, उन्हें प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा।
ट्रांसफर कैसे और कब होंगे? आवेदन कैसे कर सकेंगे?
– ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया हर साल 31 मार्च से 15 मई के बीच पूरी की जाएगी। पोर्टल से ऑनलाइन आवेदन होगा। आदेश भी पोर्टल पर जारी होंगे।
ट्रांसफर में किसे पहले प्राथमिकता मिलेगी?
– प्रशासनिक को पहले और स्वैच्छिक को बाद में प्राथमिकता दी जाएगी। देखा जाएगा कि कोई स्कूल ऐसा न हो जाए कि उसमें टीचर ही न हों।
स्वैच्छिक ट्रांसफर में किसे वरीयता मिलेगी?
– स्थाई परिस्थिति के अलावा राष्ट्रीय पुरस्कार या राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को वरीयता मिलेगी।
किस कैडर में ट्रांसफर ज्यादा होंगे?
– किसी भी कैडर यानी 200 की संख्या तक के कैडर में 20% और इससे अधिक का कैडर है तो 15% ट्रांसफर होंगे।
ट्रांसफर से पहले के काम की क्या मियाद होगी?
– नए स्कूलों की मान्यता 31 दिसंबर तक होगी। एजुकेशन पोर्टल पर सभी टीचरों की पदस्थापना की जानकारी 15 जनवरी तक अपडेट होगी। रिक्त पदों का निर्धारण 31 जनवरी तक होगा। एजुकेशन पोर्टल पर रिक्त पदों की जानकारी 1 मार्च तक जारी होगी। पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन 31 मार्च तक। ऑनलाइन ट्रांसफर आदेश 30 अप्रैल तक जनरेट होंगे। सभी कैडर में ट्रांसफर 15 मई पूरे होंगे और वे रिलीव होंगे।