ग्वालियर : मुरार में भी हर रोज बिकता है फुटपाथ, कीमत 50 रुपए से पांच हजार

मुरार में कंपनी रोड और गर्म सड़क से महंगा सदर बाजार है। यहां पर 50 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक फुटपाथ बिकता है।

ग्वालियर ? मुरार में कंपनी रोड और गर्म सड़क से महंगा सदर बाजार है। यहां पर 50 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक फुटपाथ बिकता है। यही वजह है कि सदर बाजार के डिवाइडर और उसके दोनों ओर पांच से सात फीट सड़क पर हाथ ठेला दुकानदारों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। वहीं सड़क के दोनों किनारों पर दुकान के बाहर का फुटपाथ खुद दुकानदारों ने बेच डाला है। सड़क पर खड़े होने वाले इन हाथ ठेलवालों को हाकर्स जोन न पहुंचाने के एवज में पुलिस और नगर निगम द्वारा शाम को वसूली की जाती है। इसमें निगम की पर्ची त्योहार पर 10 से बढ़कर 50 और पुलिस की वसूली भी 20 से बढ़कर 50 रुपये प्रति ठेला तक पहुंच जाती है। वहीं कई मकान मालिक हजारों रुपये प्रतिमाह लेकर हाकर्स को घर के सामने बैठाते हैं। रक्षाबंधन त्योहार के चलते अतिक्रमण और बढ़ गया है।

उपनगर मुरार में कंपनी बाग रोड और गर्म सड़क पर ठेला लगाने वालों को दस रुपये निगम की पर्ची के और 30 रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। सदर बाजार की सड़क को खाली कराने को लेकर तमाम निरीक्षण और कार्रवाई हुईं। तात्कालीन एसडीएम जयति सिंह ने फुटपाथ खाली कराकर ठेलों को हाकर्स जोन में शिफ्ट करा दिया था। उनके

सवाल: महाराज बाड़ा की तर्ज पर ही मुरार में भी सड़कों पर कारोबार हो रहा है।

मुरार में सुगम यातायात के लिए इन पर है जिम्मेदारी

जाते ही हाकर्स एसोसिएशन के सदस्य सक्रिय हुए और फिर से सड़क पर कब्जा जमाकर बैठ गए। यह लोग अवैध रूप से फुटपाथियों को अवैध तरीके से ब्याज पर रुपये भी चलाते हैं।

नहीं हीं कर सकते कार्रवाई: सदर बाजार सड़क पर डिवाइडर के दोनों ओर ठेले लंबे समय से खड़े हो रहे हैं। ठेला दुकानदारों का कहना है पुलिस या निगम हम पर कार्रवाई नहीं कर सकते। कभी-कभी कार्रवाई होती है तो हमारे एसोसिएशन के नेता आगे आ जाते हैं और कार्रवाई का विरोध कर हमें रोक लेते हैं। इसके अलावा स्थानीय राजनेताओं का भी हमें सरंक्षण मिलता है।

अअिधिकारी के जाम में फंसने पर हटाना पड़ते हैं ठेले: फुटपाथ पर बैठकर कारोबार करने वाले हाकर्स का कहना है जब कोई अधिकारी की गाड़ी जाम में फस जाती है, तभी कार्रवाई होती है।

कंपनी बाग रोड: मुरार की 40 फीट चौड़ी कंपनी बाग रोड पर भी एक डिवाइडर बनाया गया है। इस डिवाइडर के दोनों ओर हाथ ठेला वाले और आटो-ई-रिक्शा वाले खड़े हो जाते हैं, सड़क पर दोनों ओर सात-सात फीट जगह कब्जा हो जाता है। इसके अलावा दुकानदार भी सड़क पर सामान रखते हैं और फिर वाहन भी खड़े करते। इसके चलते सड़क पर निकलने के लिए रास्ता आठ-दस भी भी नहीं बचता। इस कारण यहां दिनभर जाम की स्थिति रहती है।

सदर बाजार: यहां 50 फीट चौड़ी सड़क पर एक डिवाइडर है, जिसके दोनों ओर ठेला दुकानदारों का अवैध रूप से कब्जा है। डिवाइडर के दोनों ओर ठेलों पर कपड़े, जूते, चप्पल, चूड़ी, सब्जी व राखी आदि बेची जाती हैं। दूसरी ओर सड़क के दोनों किनारों पर दुकानदारों ने अवैध पार्किग बना रखी है। इस पार्किग के आगे सड़क पर हाथ ठेला वालों का कब्जा है। ठेले वालों को खड़े होने में इन दुकानदारों की सहमति होती है, क्योंकि वह उनसे एक हजार से पांच हजार रुपये प्रति माह वसूलते हैं। नाम न छापने की शर्त पर हाकर्स ने बताया कि शाम के समय पुलिस वाले 20 से 50 रुपये तक वसूली कर लेते हैं, जबकि निगम वाले पर्ची शुल्क से अधिक रुपये ले जाते हैं। इस सड़क पर चार पहिया वाहन तक के निकलने के लिए जगह तक नहीं बचती।

सीधी बात शैलेंद्र सिंह चौहान मदाखलत अधिकारी ग्वालियर पूर्व से

सवाल: इससे सड़क जाम होती रहती है?

जवाब: हम लगातार हाथ ठेलों और फुटपाथियों को हाकर्स जोन में भेजने की कार्रवाई करते हैं। कुछ दिन पहले ही मुरार में पुलिस के सहयोग से कार्रवाई कर सामान जब्त किया गया था।

सवाल: हाथ ठेलों से 10 रुपे की रसीद के बजाय 50 रुपये लिए जाते हैं?

जवाब: इसके लिए राजस्व विभाग की ओर से ठेका दिया जाता है। अगर ठेकेदार 10 के बजाय 50 रुपये ले रहा है, तो इसे राजस्व विभाग के संज्ञान में लाया जाएगा।

सवाल: हाकर्स जोन से हाथ ठेले सड़कों पर कैसे लौट आते हैं, कोई देखता नहीं?

जवाब: हाकर्स जोन की क्षमता कम है, जबकि ठेले बड़ी संख्या में हैं। जगह न मिलने के कारण वे सड़कों पर आ जाते हैं। इन्हें पूरी तरह से शिफ्ट करने के लिए नए हाकर्स जोन की आवश्यकता है।

सवाल: इसमें मदाखलत की मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं। ठेला चालक और दुकानदार अवैध वसूली का आरोप लगा रहे हैं?

जवाब: ऐसा बिल्कुल नहीं है, यह गलत आरोप हैं। हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं और इसे जारी रखेंगे।

सड़क से ठेले हटवाना पुलिस का काम नहीं है। निगम व प्रशासन जब चाहती है तब पुलिस फोर्स उपलब्ध कराया जाता है। पुलिस द्वारा न तो कोई उगाही की जाती है और नहीं ठेले लगवाए जाते हैं। तात्कालीन एसडीएम जयति सिंह के समय पर सदर बाजार में एक भी ठेला दिखाई नहीं देता था। निगम कर्मचारियों की साठगांठ हो सकती है, ठेला हटवाना उन्हीं का काम है।

शैलेन्द्र भार्गव , थाना प्रभारी मुरारी

यातायात सुगम बनाना हमारा काम है, लेकिन जब तक राजनीतिक इच्छा शक्ती नहीं होगी तब तक यह कर पाना मुश्किल है। हम अब त्योहार के बाद जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श कर इस समस्या का स्थाई समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। यहां सुधार के लिए जरुरी है कि निगम अमला लगातार कदम उठाए, क्योंकि बिना प्रशासन व निगम के सहयोग के कर पाना मुश्किल है।

अभिनव चौकसे, एएसपी ट्रैफिक

 

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