शिंदे-फडणवीस सरकार में विभागों के बंटवारे के बाद शिंदे गुट के तीन मंत्री नाराज!
बीजेपी के मंत्रियों की तारीफ़ है कि दर्द ज़ुबां तक नहीं आया. मुनगंटीवार पहले दिन से ही काम पर लग गए. आदमी वही बड़ा होता है, जिसके लिए कोई विभाग छोटा नहीं होता है
रविवार को महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार में विभागों का बंटवारा हुआ और रविवार से ही कुछ मंत्रियों की नाराजगी सामने आनी शुरू हो गई. चर्चा है कि शिवसेना के शिंदे गुट के तीन मंत्री नाराज हैं. बताया जा रहा है कि शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर, दादा भुसे और संदीपन भूमरे अपने पोर्टफोलियो से खुश नहीं हैं. इस बात ने सीएम एकनाथ शिंदे की टेंशन बढ़ा दी है. उन्होंने बयान दिया है कि, ‘कोई विभाग अहम है या नहीं, ये बात अहम नहीं है. अहम यह बात है कि आप अपने विभाग को कितना अहम बना पाते हैं.’
तीनों मंत्रियों ने नाराजगी की बात से इनकार किया, जो मिला अब स्वीकार किया
दीपक केसरकर का बयान कल ही आ गया था. उन्होंने कहा था कि, ‘उन्हें स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा मंत्री बनाया गया है. उनके क्षेत्र कोंकण में इसकी उपयोगिता क्या है? यह विभाग तो किसी मराठवाड़ा रीजन के मंत्री को दिया जाना चाहिए था.’ इसका जवाब आज सीएम एकनाथ शिंदे ने यह कह कर दे दिया कि, ‘जो मंत्री होता है, वो किसी क्षेत्र विशेष का नहीं होता, वो पूरे राज्य का होता है.’ दरअसल दीपक केसरकर पर्यटन विभाग चाह रहे थे. लेकिन वे यह भूल गए कि महा विकास आघाड़ी सरकार में वे मंत्री भी नहीं थे.
गुलाब राव पाटील की भी तरक्की नहीं हुई, फिर बगावत से बढ़ती क्या हुई?
दादा भुसे आघाड़ी सरकार में कृषि मंत्री थे. उन्हें लगा था कि इस बार थोड़ी तरक्की होगी, लेकिन उन्हें बंदरगाह और खदान विभाग मिल गया. ऐसे में उनको अपना डिमोशन होने का एहसास हुआ. इसके बाद वे नॉट रिचेबल हो गए. अब उन्होंने हालात से समझौता कर लिया है कि फिलहाल जो विभाग मिल रहा है, वही रिचेबल है. अगर इसी तरह नॉट रिचेबल रह गए तो फिर कुछ भी अवेलेबल नहीं रह जाएगा. यही हाल संदीपन भुमरे और गुलाबराव पाटील का भी है. इनके पास महाविकास आघाड़ी सरकार में जो विभाग था, वही कायम रखा गया है. यानी कोई तरक्की नहीं हुई है. गुलाबराव पाटील के जिम्मे जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग आया है और संदीपन भूमरे के हिस्से फिर रोजगार गारंटी और बागवानी आया है. अब इन्हें लग रहा है कि बगावत से इन्हें मिला क्या? इसलिए थोड़ी छटपटाहट दिखाई और फिर ये भी शांत बैठ गए.
दर्द ज़ुबां तक नहीं आया, बीजेपी के मंत्रियों ने फ़र्क दिखाया
यहां बीजेपी के मंत्रियों की तारीफ करनी पड़ेगी. चंद्रकांत पाटील बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष थे. उन्हें उच्च और तकनीकी शिक्षा, कपड़ा उद्योग और संसदीय कार्य मंत्री बनाया गया है. सुधीर मुनगंटीवार पिछली बीजेपी-शिवसेना सरकार में वित्त मंत्री थे. उन्हें वन, मत्स्य और सांस्कृतिक गतिविधियों का मंत्री बनाया गया है. फडणवीस ने आठ बड़े विभाग अपने पास रखे है. इससे उनका थोड़ा स्वार्थी होना तो समझ में आता है. लेकिन एक बात की तारीफ करनी होगी कि उन्हें बीजेपी को राज्य में एकजुट रखना आता है.
बीजेपी में किसी ने यह नहीं पूछा कि यह तो ठीक है कि मंगल प्रभात लोढ़ा सबसे अमीर विधायक और बिल्डर हैं और फडणवीस के बेहद करीब हैं. इसके अलावा उन्होंने ऐसा पार्टी के लिए क्या किया है कि किसी और की बजाए उन्हें मंत्री बनने के लिए उपयुक्त समझा गया है? क्या इससे टैलेंट मार नहीं खाता है? किसी ने फडणवीस से यह नहीं पूछा कि उनके पास जो आठ विभाग हैं, उसके बाद का सबसे अहम विभाग सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रकांत पाटील की बजाए राधाकृष्ण विखे पाटील जैसे बीजेपी में नए आए हुए मंत्री को क्यों दिया गया है?
सुधीर मुनगंटीवार ने तो पहले दिन से ही अपने विभाग में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी और सांस्कृतिक मंत्री होने के नाते पहले दिन ही यह ऐलान किया कि अब से सभी सरकारी कार्यालयों में ‘हैलो’ की बजाए ‘वंदे मातरम्’ से संवाद की शुरुआत होगी. यह अलग बात है कि इस पर विवाद शुरू हो गया है. लेकिन बड़ी बात यह है कि वे छाती पीटने की बजाए काम पर लग गए हैं. जो शख्स बड़ा होता है, उसके लिए कोई विभाग छोटा नहीं होता है.