नोएडा : एसआईटी की रिपोर्ट में खुला भ्रष्टाचार का खेल
विशेष एजेंसी से कराए जांच, एसआईटी ने परत दर परत खोला टि्वन टावर का राज ,,,
टि्वन टावर 28 अगस्त को ध्वस्त कर दिए गए है। SIT की रिपोर्ट में साफ है कि सुपरटेक की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया और प्राधिकरण अधिकारियों ने बिल्डर को लाभ पहुंचाया। इसके लिए प्राधिकरण अधिकारियों को आर्थिक लाभ भी मिला। रिपोर्ट में कहा गया कि आर्थिक लाभ के एक्सटेंट का खुलासा करने के लिए किसी विशेष एजेंसी की ओर से इसकी विस्तृत जांच कराई जाए।

सबसे पहले जानते है किन अधिकारियों की टीम ने की जांच
- संजीव कुमार मित्तल, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (अध्यक्ष)
- मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग (सदस्य)
- राजीव सभरवा, अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ जोन (सदस्य)
- अनूप कुमार श्रीवास्तव मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक (सदस्य)

SIT गठन के बाद कैसे शुरु हुई जांच शुरू से अंतिम तक इसे समझे
- 7 सितंबर 2021 को एसआईटी की टीम ने नोएडा प्राधिकरण में नोएडा की सीईओ , एसीईओ और नियोजन विभाग के साथ बैठक की।
- इस बैठक में सुपरटेक टि्वन टावर के पत्रावली प्रस्तुत की गई।
- 8 सितंबर को नोएडा प्राधिकरण में एनबीसीसी के साथ बैठक की गई और अगले दिन टि्वन टावर का भ्रमण किया गया।
- एसआईटी की टीम ने प्राधिकरण को 9 , 10, 12 और 15 सितंबर तक सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा।

प्राधिकरण ने एसआईटी को योजना से लेकर आवंटन तक दिए दस्तावेज….
- ग्रुप हाउसिंग योजना 2004-05 जिसके तहत सुपरटेक को जमीन का आवंटन किया गया उसकी जानकारी दी गई। जिसमे 1 सितंबर 2004 से 30 सितंबर 2004 तक 8 भूखंडों की योजना निकाली गई। इसमें सेक्टर-93ए के जीएच-4 भूखंड था। जिसका क्षेत्रफल 48263 प्रतिवर्गमीटर था। जिसकी दर 8 हजार रुपए प्रतिवर्गमीटर थी।
- इस भूखंड के लिए 21 लोगों ने आवेदन किए। इसकी सबसे बड़ी बोली सुपरटेक ने 22 हजार 100 रुपए प्रतिवर्गमीटर लगाई।
- 23 सितंबर को भूखंड का आवंटन सुपरटेक को किया गया।
- सुपरटेक ने इसके लिए 42 करोड़ 66 लाख 44 हजार 920 रुपए जमा कराए और भूखंड पर कब्जा मिल गया।
- टि़्वन टावर का मानचित्र 20 जून 2005 को स्वीकृत किया गया। इसके बाद 65561 वर्गमीटर जमीन और आवंटित की गई।
- इसके बाद तीन बार 2006 से 2012 तक तीन बार ले आउट में संशोधन कराया गया।
- पास किए प्लान में भूखंड के दो तरफ सड़क और एक तरफ ग्रीन बेल्ट होनी चाहिए थी।
ड्रोन मैपिंग में एसआईटी को पहली खामी
एसआईटी की टीम ने प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार एक ड्रोन सर्वे कराया। पाया कि एटीएस की बाउंड्री वाल और सुपरटेक के बीच ग्रीन बेल्ट है। लेकिन सुपरटेक ने कब्जा प्राप्ति के बाद से ही उक्त ग्रीम बेल्ट की ओर बाउंड्री वाल का निर्माण नहीं कराया। कुछ स्थानों पर अतिक्रमण दिखा।
ट्रांसफार्मर और जनरेटर भी ग्रीन बेल्ट में दिखे। ऐसे में सर्वे में भूखंड का क्षेत्रफल कुल 62 हजार 106 वर्गमीटर पाया गया जिसमे ग्रीन बेल्ट है। जहिर है सुपरटेक ने प्राधिकरण की ग्रीन बेल्ट की 7 हजार वर्गमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा किया।
टि्वन टावर में SIT का इन 15 प्वांइट पर ये था आबजेक्शन….
- टावर-16 और टावर -17 के निर्माण के लिए 26 नवंबर को स्वीकृति दी गई। लेकिन निर्माण पांच माह पहले जुलाई 2009 में शुरू हो चुका था।
- निर्माण शुरू होने के बाद सितंबर 2009 के बाद आईआईटी रुड़की ने स्ट्रक्चरल सेफ्टी प्रमाण पत्र जारी किया।
- एसआईटी ने आबेजेक्शन लगाया कि यहां प्राधिकरण को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करनी चाहिए लेकिन उसने नहीं की।
- सुपरटेक ने टि्वन टावर में डबलबेसमेंट का निर्माण शुरु किया। जबकि 2009 में टावर-16 ग्राउंड 11 फ्लोर एंव शापिंग ब्लाक सिंगल बेसमेंट के साथ अनुमति थी।
- आईआईटी रूढ़की के प्रोफेसर ने एक रिपोर्ट दी जिसमे बताया कि 22 सितंबर 2009 टावर-16 और टावर-17 की फाउंडेशन 2B+G+38 तलों के स्ट्रक्चरी सेफ है। टावर-16 (G+40) और टावर-17 (G+39) प्राधिकरण में विचाराधीन है।
- टावर-1 और टावर-17 के बीच की दूरी 36.5 होनी चाहिए यहां दूरी 9 मीटर थी और नक्शा पास कर दिया गया।
- टावर-1 के सामने ग्रीन एरिया पास था लेकिन यहां टि्वन टावर पास किया गया।
- सुपरटेक ने से कार्य बिना ओनर शिप ऑफ फ्लैट एक्ट 1975 का पालन नहीं करते हुए किया।
- उच्चतम न्यायालय की ओर टिप्पणी के बाद भी प्राधिकरण ने कार्यवाही नहीं की।
- टि्वन टावर में स्ट्रक्चर डिजाइन के संबंध में कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
- सुपरटेक ने 2.75 एफएआर पर्चेस किया और भवन नियमावली 2010 का उल्लंघन करते हुए टि्वन टावर की ऊंचाई 73 मीटर से बढ़ाकर 121 मीटर यानी ग्राउंड प्लस-24 से ग्राउंड प्लस 40 कर दी गई। इसमें आरडब्ल्यूए से अनापत्ति प्रमाण पत्र तक नहीं लिया गया।
- एनबीसीसी ने भी अपनी रिपोर्ट में दोनों टावरों के बीच की दूरी को गलत बताया।
- इस मामले में डाली गई आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया।
- स्वीकृत मानचित्रों का डिस्प्ले साइट पर नहीं किया गया।
- मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने अलग अलग समय पर कई नोटिस दिए लेकिन कार्यवाही नहीं की।

2004 से इन अधिकारियों ने खेला था ये खेल…..
- मोहिंदर सिंह /CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- एस.के.द्विवेदी /CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- आर.पी.अरोड़ा/अपर CEO, नोएडा (रिटायर्ड)
- यशपाल सिंह/विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
- स्व. मैराजुद्दीन/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
- ऋतुराज व्यास/ सहयुक्त नगर नियोजक (वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)
- एस.के.मिश्रा /नगर नियोजक (रिटायर्ड)
- राजपाल कौशिक/वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटायर्ड)
- त्रिभुवन सिंह/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
- शैलेंद्र कैरे/उपमहाप्रबन्धक, ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
- बाबूराम/परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
- टी.एन.पटेल/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
- वी.ए.देवपुजारी/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
- श्रीमती अनीता/प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उ.प्र.राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
- एन.के. कपूर /एसोसिएट आर्किटेक्ट (रिटायर्ड)
- मुकेश गोयल/नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत)
- प्रवीण श्रीवास्तव/सहायक वास्तुविद (रिटायर्ड)
- ज्ञानचंद/विधि अधिकारी (रिटायर्ड)
- राजेश कुमार /विधि सलाहकार (रिटायर्ड)
- स्व. डी.पी. भारद्वाज/प्लानिंग असिस्टेंट
- श्रीमती विमला सिंह/ सहयुक्त नगर नियोजक
- विपिन गौड़/महाप्रबंधक (रिटायर्ड)
- एम.सी.त्यागी/परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
- के.के.पांडेय/ मुख्य परियोजना अभियंता
- पी.एन.बाथम/ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
- ए.सी सिंह/वित्त नियंत्रक (रिटायर्ड)
सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्ट की सूची
- आर.के.अरोड़ा-निदेशक
- संगीता अरोड़ा-निदेशक
- अनिल शर्मा-निदेशक
- विकास कंसल-निदेशक
- दीपक मेहता (एसोसिएट्स आर्किटेक्ट)
- नवदीप ( इंटीरियर डिजाइनर)