इस पत्र में उप राजस्व निरीक्षक लोकेंद्र सिंह चौहान की चल-अचल संपत्ति, कर संग्रहण के लिए गठित दल के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के नाम और चौहान के खिलाफ मिली शिकायतों के संबंध में अब तक क्या कार्रवाई की गई सहित अन्य सभी जानकारी मांगी है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ का पत्र नगर निगम में पहुंचते ही हड़कंप मच गया है। अब नगर निगम इस पत्र की जानकारी देने में आनाकानी कर रहा है। लोकेंद्र चौहान के खिलाफ गांधी मार्केट की दुकानों के 18 प्रकरणों में नामांतरणों के नामों में हेराफेरी करने, नामाकंन की राशि निगम में जमा नहीं कराने के आरोप लगाए गए हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान लोकेंद्र चौहान पर निगम की दुकानों के गलत आवंटन के आरोप भी हैं। इसमें आवेदकों से प्रीमियम के स्थान पर सिर्फ ट्रांसफर राशि जमा कराई जाकर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने के आरोप हैं। उस दौरान इस मामले में तत्कालीन निगमायुक्त ने जांच समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट भी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने मांगी है। लोकेंद्र चौहान हमेशा से मलाईदार पदों पर पदस्थ रहे। इसके अलावा कई अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायतें लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में लंबित हैं, लेकिन साठगांठ के चलते जांच एजेंसियों को गुमराह करने वाली जानकारियां भेजी जाती हैं। इसके चलते भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती हैं।