निजी अस्पताल में हर दूसरी डिलीवरी ऑपरेशन से, मातृ व शिशु मृत्यु दर रोकने में इंदौर 42वें नंबर पर
इंदौर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वे (एनएचएफएस-5) में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इंदौर में निजी अस्पताल में लगभग हर दूसरी डिलीवरी ऑपरेशन से हो रही है। सीजर के केस 13 प्रतिशत तक बढ़े हैं। दूसरी ओर मातृ मृत्यु और शिशु मृत्यु दर भी बढ़ी है। प्रारंभिक कार्रवाई के रूप में अब निजी अस्पतालों के आंकड़ों पर नजर रखी जाएगी व हर प्रसव की जानकारी मंगाई जाएगी।
कुछ दिन पहले जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक चार साल पहले तक निजी अस्पतालों में सिजेरियन का प्रतिशत 36.4 था, जो बढ़कर 49.7 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह देश की मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख पर 103, प्रदेश में 173 और इंदौर में 164 है। इसी तरह देश में शिशु मृत्यु दर 30, प्रदेश की 41.3 और इंदौर की 37 है।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने में जबलपुर और आलीराजपुर पहले स्थान पर हैं, जबकि भोपाल छठे-इंदौर 42 और ग्वालियर 51वें नंबर पर है। वहीं किशोरों में एनीमिया का प्रतिशत इंदौर जिले में पहले 48.9 था, जो अब 55.9 प्रतिशत हो गया है।
जन्म से एक घंटे के बीच बच्चों को मां का दूध न पिलाने का मामला भी निजी अस्पतालों से ही सामने आया है। आंकड़ों के मुताबिक पहले यह 21.9 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 29.3 प्रतिशत हो गया है। इधर, विभाग का कहना है कि आयरन की गोलिया तो बांटी जा रही हैं, लेकिन हितग्राही ले नहीं रहे हैं। यह बात अलग है कि 15 से 49 साल की गर्भवती महिलाओं में पहले यह 53.6 प्रतिशत था, जो अब 52.8 प्रतिशत हो गया है।
जागरूकता के कारण संस्थागत प्रसव बढ़ा
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी रामनिवास बुधोलिया के मुताबिक संस्थागत प्रसव का आंकड़ा जिले में पहले 94.7 था, अब 96.5 प्रतिशत हो गया है। इसका कारण हमारी कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता अभियान है। इसी कारण लिंगानुपात (जन्म के समय) भी बढ़ा है।
यह साल 2016-17 के सर्वे में प्रति एक हजार 849 था, जो अब बढ़कर 996 हो गया है। प्रदेश में यह आंकड़ा प्रति एक हजार 956 है। इसी जागरूकता के कारण 15 से 19 साल की उम्र में गर्भवती होने वाली युवतियों का प्रतिशत भी घटा है। पहले यह 5.1 था, जो अब घटकर 4.2 प्रतिशत रह गया।
जागरूकता के कारण संस्थागत प्रसव बढ़ा
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी रामनिवास बुधोलिया के मुताबिक संस्थागत प्रसव का आंकड़ा जिले में पहले 94.7 था, अब 96.5 प्रतिशत हो गया है। इसका कारण हमारी कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता अभियान है। इसी कारण लिंगानुपात (जन्म के समय) भी बढ़ा है।
यह साल 2016-17 के सर्वे में प्रति एक हजार 849 था, जो अब बढ़कर 996 हो गया है। प्रदेश में यह आंकड़ा प्रति एक हजार 956 है। इसी जागरूकता के कारण 15 से 19 साल की उम्र में गर्भवती होने वाली युवतियों का प्रतिशत भी घटा है। पहले यह 5.1 था, जो अब घटकर 4.2 प्रतिशत रह गया।