कैंसर के खतरे के बाद जिन 26 दवाओं पर लगी रोक, जानें इन्हें लेने वाले अब क्या करें?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्यक दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) जारी की है, जिसमें 384 दवाएं शामिल हैं. इस लिस्ट से 26 दवाओं को हटाया गया है. इन मेडिसिन से कैंसर का खतरा होने की आशंका है.

दुनिया भर में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है.ऐसे में कैंसर के खतरे की आशंका के चलते केंद्र सरकार ने 26 दवाओं को आवश्यक मेडिसिन की सूची से हटा दिया है. इन दवाओं में एंटासिड सॉल्ट रैनिटिडिन समेत कुल 26 मेडिसिन हैं. जिसमें अल्टेप्लेस, एटेनोलोल, ब्लीचिंग पाउडर, कैप्रोमाइसिन और सेट्रिमाइड भी शामिल हैं. ये दवा कई प्रकार की बीमारियों के लिए इस्तेमाल की जाती हैं और आसानी से मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हो जाती हैं. कई लोग ऐसे भी हैं जो सालों से इनका सेवन कर रहे हैं और डॉक्टर भी इन दवाओं को लिखते हैं.

अब सरकार ने कैंसर के खतरे को देखते हुए इनका अस्तित्व खत्म कर दिया है. लेकिन इस बीच यह सवाल भी उठता है कि जो लोग इन दवाओं को लेते हैं क्या उनको अब कैंसर हो सकता है? और क्या सरकार को ये दवाएं पहले ही बैन नहीं करनी चाहिए थी?

इन सवालों का जवाब जानने के लिए Tv9 भारतवर्ष ने धर्मशिला कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. अंशुमान कुमार से बातचीत की है.

रैनिटिडिन दवा में है कैंसर करने की क्षमता

डॉ. कुमार बताते हैं कि जिन 26 दवाओं को बाजार से हटाया गया है उनमें रैनिटिडिन ऐसी दवा है जिसमें तीन साल पहले ही कैंसर कारक एसिड मिल चुके हैं. दवा नियामकों ने रैनिटिडिन दवाओं के नमूनों में कैंसर पैदा करने वाली एननाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) को पाया था. लैब में हुई जांच में पता चला था कि रैनिटिडिन में लिवर और पेट का कैंसर कराने की क्षमता है. इसके बाद और भी रिसर्च की गई, जिसमें जानकारी मिली कि कैंसर का खतरा उतना अधिक नहीं है जैसा लैब रिसर्च में मिला है.

दूसरी रिसर्च में पता चला कि अगर किसी दवा से कैंसर का खतरा 1 फीसदी है तो रैनिटिडिन से ये 1.9 हो सकता है. हालांकि इस दवा में कैंसर कराने की क्षमता है, लेकिन फिर में ये ये ओवर दी काउंटर उपलब्ध है. यानी, बिना डॉक्टर के परामर्श के भी आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिल जाती हैं. जब रैनिटिडिन से कैंसर फैलने की जानकारी कई सालों पहले आ चुकी थी तो तभी इनपर बैन लगाना चाहिए था. साथ ही लोगों को इनके बारे में जानकारी देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

अब स्थिति ये है कि अगर किसी को एसिडिटी की समस्या है तो उसे पता है कि ये रैनिटिडिन से ठीक हो जाएगी. व्यक्ति आसानी से इसे मेडिकल स्टोर से ले आता है.लेकिन उन्हें ये जानकारी नहीं है कि इससे कैंसर भी हो सकता है. समस्या ये हैं कि ये दवाएं बिना डॉक्टरी परामर्श के भी मिल रही हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. कई लोग ऐसे हैं जो सालों से इन दवाओं का सेवन किए जा रहे हैं.

इन दवाओं को लेने वाले अब क्या करें

जो लोग रैनिटिडिन जैसी दवाओं का सेवन कर रहे थे उन्हें अब क्या करना चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉ. कुमार कहते हैं कि इन दवाओं से कैंसर का खतरा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इनकाे लेने वाले हर मरीज को कैंसर हो जाएगा. अब लोगों को यह करना है कि इनका सेवन करना बिलकुल बंद कर देना है.

अपने डॉक्टर से सलाह करके ये बताना है कि वे इन दवाओं का इस्तेमाल कितने समय से कर रहे हैं. इस जानकारी को देने के बाद साल में एक से दो बार कैंसर की जांच कराते रहें. अगर इसके कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज कराएं. इस मामले में लापरवाही न करें. 50 साल से अधिक उम्र वाले इस बात का विशेष ध्यान रखें.

लाइफस्टाइल में करना होगा बदलाव

डॉ. कुमार के मुताबिक, लोगों को अपनी लाइफस्टाइल को ठीक रखना चाहिए. कोशिश करें कि बिना वजह दवाएं न लें. खानपान की आदत को ठीक रखें. डॉ. अंशुमान का कहना है कि बिना दवा के भी जिंदगी जीना सीखना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हर किसी बीमारी के लिए मेडिसिन लें. अगरकिसी बीमारी की दवा चल भी रही है तो कोशिश करें कि उसे बहुत लंबे समय तक न लें. जीवनशैली में बदलाव कप बीमारी को काबू में करने की कोशिश करें.

बिना वजह दवाओं का इस्तेमाल न करें

डॉ. अंशुमान बताते हैं कि इसी ग्रुप की एक ओर दवा पैंटोप्राजोल भी है, जिसके सेवन से किडनी खराब होती है, लेकिन ये दवा ओवर दी काउंटर उपलब्ध है. ऐसे में लोग इन्हें खरीदते है और सेवन करते हैं. उन्हें ये जानकारी ही नहीं है कि ये दवा कितनी खतरनाक है और इनकी कितनी डोज लेनी चाहिए. ऐसे में जरूरी है कि दवाओं के सेवन को लेकर जागरूक रहें और बिना डॉक्टरी सलाह के मेडिसिन का सेवन न करें.

सरकार को चाहिए कि ओवर दी काउंटर उपलब्ध होने वाली सभी मेडिसिन की एक लिस्ट तैयार की जाए और इनके अलावा अन्य दवाएं डॉक्टर के परामर्श के बिना मेडिकल स्टोर पर न मिले. इसके लिए एक खास रणनीति बनाकर उसपर काम करने की जरूरत है.

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