महाराष्‍ट्र की राजनीति में नया ट्विस्ट ..!

राज हुए मुन्नाभाई, उद्धव बने मामू, शिंदे कहे गए खोखे, मामा बने फडणवीस…महाराष्ट्र की राजनीति में यह कैसा ट्विस्ट?
उद्धव राज को ‘मुन्नाभाई’ कहते हैं तो राज ठाकरे की पार्टी के प्रवक्ता उन्हें ‘मामू’ कहते हैं. ठाकरे गुट शिंदे गुट को ‘गद्दार’ कहता है तो शिंदे गुट खुद को ‘खुद्दार’ कहता है, पर राज ने फडणवीस को ‘मामा’ क्यों कहा?

महाराष्ट्र की राजनीति में हो क्या रहा है? कोई किसी को ‘मुन्नाभाई’ बता रहा है तो जवाब में कोई ‘मामू’ बोल कर जा रहा है तो कोई ‘पचास-खोखे, एकदम ओके’ के नाम से किसी को चिढ़ा रहा है तो इन सबके बीच कोई ‘मामा’ बन जा रहा है. कई बार तो इन शब्दों से किसी को पुकारे जाने का एक कारण तक समझ नहीं आ रहा है. यह तो समझ में आया कि उद्धव ने राज ठाकरे को मुन्नाभाई कह कर चिढ़ाया है तो क्यों? पर यह समझ नहीं आया कि राज ने फडणवीस को मामा कह कर बुलाया क्यों?

उद्धव ने राज को मुन्नाभाई बताया तो राज के MNS ने उन्हें मामू बनाया

परसों मुंबई की शिवसेना पदाधिकारियों की सभा में उद्धव ठाकरे ने फिर एक बार राज ठाकरे को मुन्नाभाई कह कर उनका मजाक उड़ाया. उद्धव ने कहा कि, ‘अगले हफ्ते मुंबई महानगरपालिका के चुनाव की तैयारी के लिए पीएम मोदी आ रहे हैं. केंद्र की ताकत झोंकी जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुंबई आकर जा चुके हैं. उनके साथ मुन्नाभाई भी मिल गए हैं. साथ में खोखे सरकार के लोग हैं ही. ये तीनों मिल गए हैं ठाकरे की शिवसेना को रोकने. मर्द हूं, ऐसी ही लड़ाई का इंतजार है.’

21 सितंबर से पहले 14 मई को मुंबई के बीकेसी कंपाउंड की सभा में उद्धव ठाकरे ने पहली बार राज ठाकरे का जिक्र मुन्नाभाई कह कर किया था. उन्होंने कहा था कि, ‘एक बार एक शिवसैनिक ने उन्हें बताया कि जिस तरह मुन्नाभाई पिक्चर में केमिकल लोचा होता है और मुन्नाभाई को लगता है कि उसके अंदर गांधी समा गए हैं, उसी तरह एक और मुन्नाभाई केस है. जो शॉल ओढ़ता है. कभी मराठी का मुद्दा उठाता है, तो कभी हिंदुत्व का मुद्दा उठाता है.’ यानी उद्धव ठाकरे यह बताना चाह रहे थे कि कोई बालासाहेब ठाकरे की नकल कर के बालासाहेब नहीं बन सकता.

सात जनम लेकर भी राज को समझ पाए तो जानूं, गेट वेल सून मामू

राज ठाकरे को मु्न्नाभाई कहे जाने से राज ठाकरे की पार्टी के प्रवक्ता गजानन काले भड़क गए. उन्होंने ट्वीट कर राज ठाकरे का एहसान याद दिलाया कि जब आदित्य ठाकरे वर्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे तो राज ठाकरे ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था. गजानन काले ने लिखा कि राज ठाकरे की महानता को समझने में उन्हें सात जनम लगेंगे. तब तक के लिए वे इतना ही कहेंगे कि, ‘गेट वेल सून मामू.’ इतना ही नहीं गजानन काले ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना को शिल्लक (बची-कुची) सेना भी कह डाला.

ठाकरे गुट के लोग जब खोखे सरकार कह कर चिढ़ाते हैं, शिंदे क्या जवाब सुनाते हैं?

‘पचास खोखे, एकदम ओके’ ठाकरे गुट की शिवसेना यही कह कर शिंदे गुट के विधायकों पर कटाक्ष करती है. ठाकरे गुट का आरोप है कि पचास-पचास लाख देकर शिवसेना के ठाकरे गुट के लोगों को खरीदा गया है. साथ ही शिंदे सेना को गद्दार-गद्दार कह कर भी चिढ़ाया जाता है. इसके जवाब में शिंदे गुट की ओर से कहा जाता है कि हम गद्दार नहीं हैं. हम खुद्दार हैं. हम जलालत छोड़कर खुद्दारी की राह पर चले. तभी तो मंत्री पद छोड़ कर रिस्क लिया.

राज ठाकरे का विदर्भ जाना, फडणवीस को ‘मामा’ कह कर बुलाना

जिस तरह से राज ठाकरे का विदर्भ जाना समझ नहीं आ रहा है, उसी तरह उनके द्वारा पांच दिनों के विदर्भ दौरे में फडणवीस को मामा कह कर बुलाना समझ नहीं आ रहा है. उद्धव ठाकरे लगातार आरोप लगा रहे हैं कि मुन्नाभाई कमलाबाई (बीजेपी) का काम बना रहे हैं और उनका साथ निभा रहे हैं. लेकिन राज ठाकरे उद्धव ठाकरे का नुकसान पहुंचाने शिवसेना का गढ़ कोंकण नहीं जा रहे हैं. वे आखिर विदर्भ दौरे पर क्यों गए? राज ठाकरे की पार्टी के एक नेता ने कहा कि राजनीति अलग है और फडणवीस से राज की दोस्ती की बात अलग है. राजनीति अलग बात हो सकती है, लेकिन राज ठाकरे द्वारा फडणवीस को ‘मामा’ कहे जाने की क्या जरूरत है?

दरअसल विदर्भ में राज ठाकरे से कुछ लोगों ने कहा कि उनकी आवाज सुनी जाती है. पिछले कुछ वक्त में 800 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. सोयाबीन और कपास की खबरें बरसात और बाढ़ में तबाह हो गई. तो जवाब में राज ठाकरे ने कहा कि ‘मामा’ से ये सवाल पूछें ना. राज ने कहा कि फडणवीस यहां के उप मुख्यमंत्री हैं. उनसे पूछें कि ऐसा क्यों हो रहा है. राज ठाकरे और उप मुख्यमंत्री के बीच ऐसी दोस्ती है कि फडणवीस राज ठाकरे के नए घर शिवतीर्थ के गृहप्रदेश के बाद उनके घर गए. इसके बाद फडणवीस ने राज ठाकरे की तारीफ विधानसभा में भी की. अभी गणेश उत्सव के दौरान भी फडणवीस राज ठाकरे के घर गए, फिर भी राज ठाकरे उनके गढ़ पर जाकर उन्हें मामा क्यों कह गए, इस सवा का जवाब मिलना बाकी है,

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