मुरादाबाद : गंगा एक्सप्रेस-वे में फंसे चकबंदी अफसर का एक और कारनामा ..!
गंगा एक्सप्रेस-वे में फंसे चकबंदी अफसर का एक और कारनामा:चार्ज छिनने के बाद बैक डेट में जजमेंट, अपने खिलाफ आई अपील खुद ही रिजेक्ट कर गए
संभल में गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में गलत रिपोर्ट देकर फंसे बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी (SOC) सचेंद्र कुमार का एक और कारनामा सामने आया है एसओसी पर आरोप है कि मुरादाबाद एसओसी का चार्ज छिनने के बाद उन्होंने बैक डेट में कुछ अपीलों पर जजमेंट दे दिया। ये अपीलें उनके सीओ रहते हुए दिए गए खुद के फैसलों के खिलाफ थीं। जिनमें करप्शन के संगीन आरोप भी लगे हैं।
मुरादाबाद में CO चकबंदी रहते लगे थे संगीन आरोप
बता दें कि पूर्व में मुरादाबाद में सीओ चकबंदी रह चुके सचेंद्र कुमार पर पिछले करीब दो महीने से मुरादाबाद एसओसी का अतिरिक्त प्रभार था। मुरादाबाद के एसओसी राम सुधाकर सिंह के 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने के बाद संभल के एसओसी सचेंद्र कुमार को शासन ने मुरादाबाद एसओसी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था।
सचेंद्र कुमार पूर्व में मुरादाबाद में सीओ चकबंदी के पद पर लंबे समय तक तैनात रह चुके हैं। यहां सैदपुर खद्दर और अगवानपुर की चकबंदी में उन पर संगीन आरोप लगे थे। सचेंद्र कुमार पर आरोप थे कि बतौर सीओ उन्होंने किसानों के सड़क किनारे के चकों को नदी पार फेंक दिया। जबकि नदी पार के पूंजीपतियों के खेतों को सड़क किनारे लाकर सेट कर दिया।
खुद ही सुन रहे थे अपने खिलाफ आई अपीलें
सचेंद्र कुमार के बतौर सीओ दिए गए गलत फैसलों के खिलाफ किसानों ने एसओसी की कोर्ट में अपील की थी। ये मामले अभी एसओसी कोर्ट में पैंडिंग ही थे, कि इसी बीच खुद सचेंद्र को ही मुरादाबाद के एसओसी का चार्ज मिल गया।
ऐसे में सचेंद्र कुमार अपने ही फैसलों के खिलाफ आई अपीलों को खुद ही सुनने लगे। ऐसा ही एक मामला सैदपुर खद्दर का है। जहां सचेंद्र कुमार पर बैक डेट में अपने खिलाफ आई अपील को रिजेक्ट करने के आरोप लगे हैं।
सड़क किनारे से हटाकर नदी पार फेंकी थी जमीन
एडवोकेट सुदीश चौहान का कहना है कि सैदपुर खद्दर गांव में उनके मुवक्किल नौशे पुत्र फिदा हुसैन की 2 बीघा भूमि सड़क के किनारे थी। जबकि कमलेश पत्नी हरपाल का चक नदी से सटा हुआ था।
सुदीश चौहान ने भास्कर को बताया, “जब सैदपुर में चकबंदी चल रही थी, तब सचेंद्र कुमार मुरादाबाद में सीओ चकबंदी थे। उन्होंने ही सैदपुर खद्दर की चकबंदी कराई थी। इसमें उन्होंने कई उड़ान चक बनाए। मेरे मुवक्किल नौशे की दो बीघा जमीन को सड़क किनारे से हटाकर नदी पार फेंक दिया। जबकि कमलेश की जमीन नदी किनारे से उठाकर सड़क पर लाकर सेट कर दी थी। इसकी वजह से मेरे मुवक्किल नौशे की करोड़ों रुपये की जमीन कौड़ियों की रह गई और कमलेश की कौड़ियों की जमीन करोड़ों की हो गई। “
“करोड़ों की जमीन है, मुझे भी पार्टनर बनाओ”
एडवोकेट सुदीश चौहान का आरोप है, “तत्कालीन सीओ सचेंद्र चौहान ने जो किया उसके खिलाफ हमने एसओसी कोर्ट में अपील की थी। लेकिन हमारा दुर्भाग्य था कि जब इस पर सुनवाई होनी थी तो वही सचेंद्र एसओसी बनकर मुरादाबाद आ गए। 6 सितंबर को मामले में बहस हुई। 15 सितंबर को जजमेंट की डेट तय हुई थी। एसओसी सचेंद्र ने हमसे कहा था कि करोड़ों रुपये की जमीन है इसमें मुझे भी पॉर्टनर बनाओ। हमने इंकार किया तो बोले-दूसरी पार्टी 10 लाख दे रही है।”
चार्ज छिनने के बाद बैक डेट में जजमेंट
नौशे अली के अधिवक्ता सुदीश चौहान का आरोप है कि 15 सितंबर को एसओसी ने कोई जजमेंट नहीं दिया। बल्कि नेक्स्ट डेट बढ़ाकर 20 सितंबर कर दिया गया था। इसी बीच सचेंद्र विवादों में फंसे और 22 सितंबर को शासन ने उनसे मुरादाबाद एसओसी का अतिरिक्त प्रभार छीन लिया।
सुदीश चौहान का आरोप है कि चार्ज छिनने के बाद 24 सितंबर को एसओसी सचेंद्र कुमार ने बैक डेट (20 सितंबर) में नौशे अली की अपील को रिजेक्ट कर दिया। सुदीश चौहान का दावा है कि इससे पहले उन्होंने जब 23 सितंबर को ऑर्डर सीट की नकल निकलवाई थी तो उस पर कोई ऑर्डर नहीं अंकित था। लेकिन 24 को इसी ऑर्डर सीट पर 20 सितंबर की डेट में अपील को रिजेक्ट करने का ऑर्डर चढ़ा दिया गया।
SOC ने कहा था-मेरे पास सैदपुर खद्दर की कोई अपील नहीं
एसओसी सचेंद्र कुमार ने अपने ही फैसलों के खिलाफ आई अपीलों को खुद ही सुनने के सवाल पर भास्कर से सप्ताह भर पहले कहा था कि उनकी कोर्ट में सैदपुर खद्दर और अगवानपुर की चकबंदी की कोई अपील नहीं है। हालांकि ताजा मामले में वह अपना पक्ष रखने के लिए उपलब्ध नहीं हुए। उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।