माफिया और अफसरों के गठजोड़ से खुला ‘लापता नर्सिंग कॉलेज’

फर्जीवाड़ा: बिना भवन-स्टाफ और अस्पताल का कॉलेज, काउंसिल ने दी मान्यता

माफिया और अफसरों के गठजोड़ से खुला लापता नर्सिंग कॉलेज

खंडवा. नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े में हाइकोर्ट की सख्ती और सीबीआइ के दखल के बाद भी नर्सिंग माफिया के कारनामे जारी हैं। माफिया ने अफसरों से गठजोड़ कर खंडवा जिले के आदिवासी ब्लॉक खालवा में एक ऐसा नर्सिंग कॉलेज खोला जो लापताहै। इस कॉलेज का न तो भवन है, न ही स्टाफ और न कोई क्लीनकल ट्रेनिंग सेंटर है। नर्सिंग काउंसिल की सूची में कॉलेज का नाम तो है, लेकिन पते के स्थान पर सिर्फ ब्लॉक का नाम दर्ज है।

खालवा में चल रहे शिवा इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का है। इसे नर्सिंग काउंसिल ने सत्र 2021—22 के लिए मान्यता दी है। काउंसिल ने सितंबर में मान्यता प्राप्त कॉलेजों की सूची जारी की, तब यहां नया कॉलेज खुलने का पता चला। सूत्रों ने बताया, कॉलेज के भौतिक सत्यापन व मानकों की पूर्ति राजनीतिक रसूख और अफसरों के गठजोड़ से की गई। पत्रिका ने इसकी पड़ताल की। कॉलेज के पते के पर दर्ज खालवा में जानकारी जुटाई। जिला अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से पता किया, लेकिन कहीं इस संस्था का नाम दर्ज नहीं मिला। जबकि नर्सिंग कॉलेज के लिए सीएचसी व पीएचसी में पंजीयन जरूरी है। भवन के भौतिक सत्यापन, जियो टैगिंग की अनिवार्यता के बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने जीएनएम की पढ़ाई के लिए संस्था को 60 सीटों पर प्रवेश की अनुमति दी है।

हमारे यहां से अनुमति नहीं जारी हुई है। इस नाम का कॉलेज जिला अस्पताल की सूची में नहीं है। भौतिक सत्यापन का सवाल ही नहीं उठता। काउंसिल ही बता सकता है।

डॉ. शरद हरड़ेसीएमएचओ, खंडवा

शिवा नर्सिंग कॉलेज का इस ब्लॉक में कोई रिकॉर्ड नहीं है। मैंने नाम ही पहली बार सुना।

डॉ. शैलेंद्र कटारियाबीएमओ

सभी नियम तोड़ जारी की मान्यता

नर्सिंग कॉलेज के लिए 100 बेड के अस्पताल (स्वयं अथवा किराए का), 2500 वर्ग फीट क्षेत्रफल से अधिक का निर्मित भवन, प्रयोगशाला, प्रशिक्षित स्टाफ, पीएचसी, सीएचसी की अनुमति समेत अन्य मानक अनिवार्य हैं। लेकिन इस कॉलेज की मान्यता के लिए सभी मानकों को दरकिनार कर अनुमति दी गई है।

प्रवेश पूरी, अब परीक्षा की तैयारी

प्रदेश के 200 कॉलेजों की मान्यता समाप्त होने के बाद रसूखदारों ने पिछड़े क्षेत्रों में कॉलेज खोलने का गोरखधंधा शुरू कर दिया। मान्यता समाप्त होने के बाद भी प्रदेश में नर्सिंग में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई। इस कॉलेज में ज्यादातर बाहरी छात्रों को प्रवेश दिया गया है। खालवा खंडवा का आदिवासी अधिसूचित क्षेत्र है। ऐसे में यहां कॉलेज खोलने के नियमों में मामूली शिथिलता है। कॉलेज किसी की नजर में न आए, इसलिए पंजीयन के समय संस्था का पूरा पता भी नहीं दिखाया गया। काउंसिल से मान्यता लेकर सभी सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया पूरी की गई। अब परीक्ष्ज्ञा कराने की तैयारी है।

खंडवा. नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े में हाइकोर्ट की सख्ती और सीबीआइ के दखल के बाद भी नर्सिंग माफिया के कारनामे जारी हैं। माफिया ने अफसरों से गठजोड़ कर खंडवा जिले के आदिवासी ब्लॉक खालवा में एक ऐसा नर्सिंग कॉलेज खोला जो ‘लापता’ है। इस कॉलेज का न तो भवन है, न ही स्टाफ और न कोई क्लीनकल ट्रेनिंग सेंटर है। नर्सिंग काउंसिल की सूची में कॉलेज का नाम तो है, लेकिन पते के स्थान पर सिर्फ ब्लॉक का नाम दर्ज है।

खालवा में चल रहे शिवा इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज का है। इसे नर्सिंग काउंसिल ने सत्र 2021—22 के लिए मान्यता दी है। काउंसिल ने सितंबर में मान्यता प्राप्त कॉलेजों की सूची जारी की, तब यहां नया कॉलेज खुलने का पता चला। सूत्रों ने बताया, कॉलेज के भौतिक सत्यापन व मानकों की पूर्ति राजनीतिक रसूख और अफसरों के गठजोड़ से की गई। पत्रिका ने इसकी पड़ताल की। कॉलेज के पते के पर दर्ज खालवा में जानकारी जुटाई। जिला अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से पता किया, लेकिन कहीं इस संस्था का नाम दर्ज नहीं मिला। जबकि नर्सिंग कॉलेज के लिए सीएचसी व पीएचसी में पंजीयन जरूरी है। भवन के भौतिक सत्यापन, जियो टैगिंग की अनिवार्यता के बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने जीएनएम की पढ़ाई के लिए संस्था को 60 सीटों पर प्रवेश की अनुमति दी है।

हमारे यहां से अनुमति नहीं जारी हुई है। इस नाम का कॉलेज जिला अस्पताल की सूची में नहीं है। भौतिक सत्यापन का सवाल ही नहीं उठता। काउंसिल ही बता सकता है।

डॉ. शरद हरड़ेसीएमएचओ, खंडवा

शिवा नर्सिंग कॉलेज का इस ब्लॉक में कोई रिकॉर्ड नहीं है। मैंने नाम ही पहली बार सुना।

डॉ. शैलेंद्र कटारियाबीएमओ

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