चार महानगरों में सबसे अधिक अस्पताल ग्वालियर में …!
प्रदेश के चार महानगरों की बात करें तो ग्वालियर जिले में ही 419 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। प्रदेश के चार महानगरों में सबसे अधिक निजी अस्पताल ग्वालियर जिले में संचालित हो रहे हैं जबकि भोपाल इंदौर व जबलपुर इससे काफी पीछे हैं।
भोपाल के अफसर करा रहे बेडों की गिनती ….
ग्वालियर। कोविड के बाद सरकारी व निजी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ है। सरकारी अस्पताल में जहां आधुनिक साधन संसाधन जुटाए गए तो वहीं निजी अस्पतालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। प्रदेश के चार महानगरों की बात करें तो ग्वालियर जिले में ही 419 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। प्रदेश के चार महानगरों में सबसे अधिक निजी अस्पताल ग्वालियर जिले में संचालित हो रहे हैं जबकि भोपाल इंदौर व जबलपुर इससे काफी पीछे हैं। जिन जिलों में कोविड के बाद तेजी से निजी असपतालों की संख्या बड़ी । उन जिलों में निजी अस्पताल के बेड संख्या और बेड के अनुरुप साधन संसाधन का भौतिक सत्यापन कराने का आदेश लोक स्वासथ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भोपाल द्वारा जारी किया गया है। जिससे इस बात का पता चल सके हकीकत में निजी अस्पाल में स्वास्थ्य सेवाएं मौजूद हैं अथवा कागजों में अस्पताल संचालित हो रहे हैं। गौरतलब है कि नईदुनिया ने प्रमुखता से ग्वालियर में संचालित होने वाले निजी अस्पतालों में एक डाक्टर दस दस अस्पतालों में दे रहे सेवाएं नाम से खबर का प्रकाशन कर स्वास्थ्य व्यवस्था सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद भोपाल के अफसरों ने यह एक्शन लिया है।
इन जिलों में होगा सर्वे-
भोपाल,ग्वालियर, मुरैना व टीकमगढ़ में संचालित हो रहे निजी अस्पतालों में बेड संख्या की गिनती कराने के निर्देश लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग के संचालक दिनेश श्रीवास्तव ने जारी किया है। जिसके अनुसार अस्पताल में बेड के अनुरुप डाक्टर,नर्सेस,आक्सीजन की उपलब्धता,डिलेवरी सिस्टम संंबंधी प्रावधान स्थापित है अथवा नहीं।
चार महानगरों में निजी अस्पताल-
महानगर
ग्वालियर-419
भोपाल-377
इंदौर-270
जबलपुर-177
इसके अलावा-
मुरैना-65
टीकमगढ़-22
पंजीयन अधिक बेड का,अस्पताल में बेड संख्या कम-
शहर में निजी अस्पताल की संख्या कोविड के बाद तेजी से बढ़ी है। पिछले दो साल में करीब सौ से अधिक निजी अस्पताल खुल चुके हैं। डाक्टरों द्वारा खोले गए निजी अस्पताल को एक बार छोड़ दिया जाए तो जिन अस्पतालों को नोन मेडिकाे द्वारा संचालित किए जा रहे हैं उनमें अधिकांश अस्पतालों में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। जितने बेड के लिए पंजीयन स्वास्थ्य विभाग से कराया गया है उतने बेड अस्पताल में मौजूद ही नहीं है। बेड के मुताबिक कई अस्पतालों में डाक्टर व स्टाफ भी नहीं है। यदि इन अस्पतालों की गहनता से परीक्षण किया जाता है तो आधे अस्पतालों पर ताला डल जाएगा।
नर्सिंग कालेजों के अस्पतालों में बेड तक नहीं-
शहर में कई नर्सिंग कालेज के अस्पतालों में बेड तक नहीं है तेा कुछ ने बेड डाल रखे तो उनमें डाक्टर,स्टाफ व मरीज तक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग से पंजीयन कराने के लिए अस्पताल संचालक सभी व्यवस्थाएं व डाक्टर और स्टाफ सबकुछ दिखाते हैं लेकिन पंजीयन के बाद इनके पास कुछ भी नहीं रहता। लेकिन ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं होती है। इसी के चलते भोपाल स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालो ंकी सूची तैयार कर उन पर कार्रवाई करेगा।
इनका कहना है-
भोपाल से मिले आदेश के अनुसार सभी निजी अस्पतालों का परीक्षण किया जा रहा है। अस्पताल में बेड संख्या व उनके अनुरुप डाक्टर,स्टाफ,आक्सीजन की उपलब्धता व डिलेवरी कराने आदि की क्या व्यवस्थाएं है वह देखी जा रही है। पूरी जानकारी तैयार कर भोपाल भेजी जाएगी। अस्पतालों का परीक्षण कराने के पीछे स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना है। यदि किसी भी अस्पताल में गड़बड़ी मिलती है तो पंजीयन रद्द की कार्रवाई होगी।
डा मनीष शर्मा सीएमएचओ