गुजरात चुनाव में तब तीसरे नंबर पर रहे NOTA के वोट, अगर AAP कांग्रेस समेत इन्हें समेटे, तो BJP क्या करेगी?
24 सालों से सत्ता में कायम बीजेपी के लिए आप एक बड़ी चुनौती तो है लेकिन फिर भी मोदी नाम की बोलती तूती तो है. लड़ाई इस बात की नहीं कि पार्टी नंबर वन कौन, लड़ाई तो इस बात की है कि दूसरे नंबर पर कौन?
इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) का गणित साफ है. 2017 के विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वोट नोटा को मिले थे. 182 में से 115 सीटों पर यह स्थिति थी. अगर ये सारे वोट आप समेट लेती है. इसके अलावा वह कांग्रेस के कुछ फीसदी वोट जुटाती है तो बीजेपी को बड़ी चुनौती दे सकती है. लेकिन ठहरिए, बीजेपी को गुजरात में हराना क्या आसान है? दिल्ली में आप को घेर लेने का प्लान है. अगर गुजरात में 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग है तो दिल्ली में भी 4 दिसंबर को वोटिंग का आज ऐलान हुआ है.
गुजरात में मुस्लिम समाज की ताकत कभी नहीं रही है खास
अब एक बात ध्यान देने वाली है. आप ने अपनी तरफ से मुसलमानों को आकर्षित करने की कोई कोशिश नहीं की है. कोशिश तो कांग्रेस ने भी नहीं की है. असदुद्दीन ओवैसी भी अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं. इसलिए मुसलमानों के दस फीसदी वोट भी कांग्रेस, ओवैसी और आप में बंटेंगे. गुजरात चुनाव में इसीलिए मुस्लिम वोटर्स कोई बड़ा खेल करने की स्थिति में नहीं हैं. दलित वोटरों की बड़ी तादाद कांग्रेस का साथ देती रही है. इस बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी एक दलित नेता मल्लिकार्जुन खर्गे बन गए हैं. ऐसे में दलित वोटर्स में फूट पड़ने की संभावना कम है.
BJP के खिलाफ दलित-आदिवासी का गणित, इसलिए नहीं AAP के लिए फिट
पर यहां भी सवाल यह है कि दलित वोटर्स बड़ी ताकत तब बनते हैं जब आदिवासी समाज भी उनके साथ जुड़ जाता है. यहां बीजेपी ने कांग्रेस वोट बैंक पर बड़ी सेंधमारी कर दी है. कांग्रेस का साथ देते हुए आए खास कर दक्षिणी गुजरात के आदिवासी वोटरों का एक बड़ा तबका इस बार बीजेपी को वोट कर सकता है. बीजेपी ने एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया है. इसका कुछ तो प्रभाव होगा ही. दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल भी आदिवासी बाहुल्य इलाके में अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. यानी कांग्रेस के आदिवासी वोट कुछ बीजेपी ले उड़ेगी और कुछ आप. ऐसे में कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम होने से आप को फायदा होने की बजाए बीजेपी को ज्यादा फायदा पहुंचाता हुआ दिखाई दे रहा है.
ओबीसी और पाटीदार समाज, आखिर क्यों ना दे बीजेपी का साथ?
अब अगर हम बात करें तो ओबीसी समाज अलग-अलग खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है. पाटीदार समाज की बात करें तो हार्दिक पटेल के बीजेपी में आ जाने से और भूपेंद्र पटेल के हाथ सत्ता आने से पटेल समाज बीजेपी का साथ देगा. यह बात याद रहे कि पिछले चुनाव में बीजेपी का वोट फीसदी 49 से ज्यादा था और दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस का वोट प्रतिशत 41 से ज्यादा था. पर तीसरे नंबर पर करीब 2 फीसदी वोट नोटा का था. ध्यान देने वाली बात है कि भले ही बीजेपी गुजरात में पिछले 24 सालों से सत्ता में है. लेकिन बीजेपी का सपोर्ट बेस लगातार कम होता गया है. कांग्रेस को 2017 के चुनाव में उससे पहले के चुनाव से 16 सीटें ज्यादा मिली थीं.
मिडिल क्लास में है दो क्लास, एक एस्पिरेशन वाला, दूसरा डेस्परेशन वाला
मिडिल क्लास बड़ा क्रूशियल रोल प्ले किया करता है. मिडिल क्लास में दो तरह के लोग होते हैं. एक वो जिनके पास एस्पिरेशंस हैं. जो आगे बढ़ना चाहता है. तरक्की करना चाहता है. वेदांता-फॉक्सकॉन गुजरात आया है, टाटा एयरबस प्रोजेक्ट गुजरात आया है, बल्क ड्रग प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है. बस, बीजेपी का काम हो रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी गुजराती प्राइड भी हैं. मिडिल क्लास गुजरात के गौरव की ताकत को कम होता हुआ देखना नहीं चाहेगा. लेकिन एक दूसरा मिडिल क्लास भी है जो महंगाई की चक्की में पिस रहा है. बेरोजगारी की मार झेल रहा है. ईंधन,बिजली, महंगी शिक्षा-स्वास्थ्य से राहत पाना चाहता है. इनको आप कनेक्ट कर रही है, अट्रैक्ट कर रही है.
AAP की लहर तो है लेकिन वो BJP के लिए कहर नहीं है
अब अगर आप के कैलकुलेशन से जाएं और यह आदर्श स्थित मान लें कि मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली के वादे काम कर गए और नोटा के सारे वोट आप को मिल गए. साथ ही यह भी मान लें कि राहुल गांधी ने इस बार पिछली बार की तरह गुजरात में पूरा जोर नहीं लगाया है और वे भारत जोड़ों यात्रा में व्यस्त हैं, तो उनका आदिवासी, मुस्लिम, छत्रिय वोट खिसकेगा तो आखिर किसकी झोली में गिरेगा, आप की या बीजेपी की? सीधी सी बात है तरबूज कटेगा तो सबको बंटेगा.
जब तक कांग्रेस के ज्यादा वोट नहीं आप को, तब तक खतरा नहीं बीजेपी राज को
जब तक कांग्रेस के वोट पूरी तरह से आप को ट्रांसफर नहीं होते तब तक आप गुजरात में बीजेपी का बाप बनने की हैसियत नहीं पा सकेगी. आप का उदय कांग्रेस के अस्त में ही छुपा है. फिलहाल दिल्ली दूर है. कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी है. मुश्त-ए-खाक नहीं कि आप की आंधी में उड़ जाएगी. ऐसे में आप की लड़ाई दरअसल बीजेपी से है ही नहीं, लड़ाई तो इस बात की है कि दूसरे नंबर पर कौन? कांग्रेस या आप? बीजेपी बने रहेगी बाप!