सूबे में हर साल 8.8 फीसदी बच्चों की मौत प्रदूषण से ….!

सूबे में हर साल 8.8 फीसदी बच्चों की मौत प्रदूषण से ..

भोपाल. वायु प्रदूषण गर्भ में पल रहे शिशुओं से लेकर पांच साल तक के बच्चों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। मध्यप्रदेश में हर साल अलग-अलग कारणों से मरने वालों बच्चों में से 8.8% मौत वायु प्रदूषण से हो रही है। देश में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के 9% मामलों का कारण वायु प्रदूषण है। इसका खुलासा आइआइटी दिल्ली के शोध में हुआ है। ग्लोबल बर्डन डिसीज रिपोर्ट के 17 साल के आंकड़ों के आधार पर प्रोफेसर सागनिक डे ने यह अध्ययन किया है। शोधपत्र के अनुसार, मध्यप्रदेश से पहले उप्र व राजस्थान में वायु प्रदूषण से बच्चों की सबसे ज्यादा मौत होती है। यह अध्ययन इंडियन पीडियाट्रिक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

नवजात शिशुओं को मास्क नहीं लगाया जा सकता, इसलिए उन्हें कॉटन के कपड़े से ढंककर बाहर ले जाएं।

(शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.  ….मिश्रा के अनुसार)

उत्तर प्रदेश राजस्थान मध्यप्रदेश

मौत की वजह

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 68% बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं। 11% मौतें प्रदूषित पानी की वजह से होती हैं। वहीं, 9% जानें वायु प्रदूषण से जा रही हैं।

नवजात शिशु पानी का सेवन नहीं कर सकते, इसलिए हर दो घंटे बाद फीड जरूर कराना चाहिए।

बड़े बच्चों को दिनभर में लगभग 6-7 ग्लास पानी पीना चाहिए। इससे बॉडी के टॉक्सिंस बाहर निकलेंगे।

देश में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर

छोटे बच्चों के साथ गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी वायु प्रदूषण नुकसान पहुंचाता है। कई शोधों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण से बच्चे अस्थमा और सांस समेत अन्य अंगों की बीमारियों से पीड़ित होते हैं।डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल भोपाल

कम वजन भी बड़ा कारण

हर साल ग्लोबल बर्डन डिसीज की रिपोर्ट में प्रदूषण से बच्चों को होने वाली सांस संबंधी बीमारियों को शामिल किया जाता रहा है। इस वर्ष की रिपोर्ट में प्रदूषण से कम वजन के बच्चे पैदा होने के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं।

 

 

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