कवायद : तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद देश में एकसाथ चुनाव कराने की तैयारी
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और तीन तलाक प्रथा को कानून बनाकर समाप्त करने के बाद मोदी सरकार का फोकस अब देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर है। सरकार ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है और कानूनों में संशोधन करने की तैयारी की जा रही है।
लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए संविधान के अनुच्छेद 172 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 14 में संशोधन करना होगा। अनुच्छेद 172 विधानसभाओं के कार्यकाल से संबंधित है। वहीं, जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 14 में संसद के चुनावों के लेकर है जिसमें कहा गया है कि चुनाव की प्रक्रिया सदन के कार्यकाल खत्म होने से पहले पूरी कर ली जाए।
कानून बनाने में दिक्कत नहीं
इन प्रावधानों को संशोधन करने के लिए संविधान में बदलाव करना पड़ेगा और दोनों सदनों में सरकार के बहुमत को देखते हुए इसमें कोई दिक्कत भी नहीं है। संविधान संशोधन को दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित करवाना होता है। इसके बाद इसे 50 फीसदी विधानसभाओं की मंजूरी मिलनी आवश्यक है। 19 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
और भी परेशानियां हैं
इन दो संशोधनों के बाद भी काम नहीं चलेगा। इसके बाद विधानसभा और लोकसभा के कार्य संचालन नियमों में संशोधन करना होगा। सबसे बड़ी बाधा यह है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उस दशा में क्या होगा। क्योंकि सदन का कार्यकाल फिक्स हो जाने के बाद चुनाव पांच वर्ष बाद ही होंगे।
मोदी का आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से दिए अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया था कि हमें एक देश एक चुनाव के बारे में सोचना होगा जिससे आए दिन होने वाले चुनावों से बचा जा सके। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री के इस आह्वान के बाद इस बारे में गंभीरता से काम शुरू करने का फैसला किया गया है।
आयोग तैयार
एकसाथ चुनाव के लिए आयेाग भी तैयार है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, इसके लिए विधानसभाओं और लोकसभा के कार्यकाल का सामन्जस्य करना होगा।
बचेगा खर्च
नीति आयोग ने एक साथ चुनाव कराने के पर एक 2017 में एक अध्ययन किया था आर पाया था कि एक साथ चुनाव कराने से सरकार के संसाधनों और पैसे की भारी बचत हो सकती है।