गुजरात की इन 37 सीटों पर कम वोटिंग से बिगड़ सकता है BJP-कांग्रेस का खेल! जानें चुनावी गणित
पहले चरण में 89 सीटों में से 23 सीटें ऐसी थीं, जो पाटीदार बहुल थीं. लेकिन, इन सीटों पर मतदान का प्रतिशत 60 प्रतिशत से भी कम रहा. यहां 58.59 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट किया.
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को 19 जिलों की 89 सीटों पर पहले चरण का मतदान हुआ. भारतीय जनता पार्टी , कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक दलों के कुल 788 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला अब ईवीएम में बंद हो चुका है. नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे. इस चुनाव में 2017 की तुलना में मतदाता सुस्त दिखाई दिए. आदिवासी और पाटीदार बहुल लगभग 37 सीटों पर भी मतदान का प्रतिशत कम ही रहा. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की चिंता बढ़ गई है.
2017 के चुनाव से इस बार कम रहा वोटिंग का प्रतिशत
2017 के चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने ही कब्जा जमाया था. पाटीदार बहुल 23 सीटों में से 11 पर बीजेपी उम्मीदवार जीते थे. वहीं, 12 कांग्रेस की झोली में गई थी. हालांकि, उस बार पाटीदार आंदोलन ने बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस बार स्थिति अलग है.पाटीदार आंदोलन के बड़े चेहरे हार्दिक पटेल खुद बीजेपी में शामिल हो गए हैं और वीरमगाम से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, 2017 के चुनाव में 14 आदिवासी बहुल सीटों में से 5 बीजेपी ने और कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कम वोटिंग से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी-कांग्रेस को ही है. क्योंकि, इन सीटों पर कई चुनावों से इन्हीं दो पार्टियों का दबदबा रहा है.
2012 चुनाव में पाटीदार बहुल सीटों पर बीजेपी का था दबदबा
वहीं, 2012 के चुनाव में पाटीदार बहुल 23 सीटों पर 69.36 प्रतिशत मतदान हुआ था. उस चुनाव में बीजेपी ने 16 और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बाकी अन्य के पाले में गई थी. वहीं, आदिवासी बहुल 14 सीटों पर 78.97 प्रतिशत मतदान हुआ था. जहां भाजपा 7 और कांग्रेस 6 सीटों पर विजयी रही थी. पिछले दो चुनावों के आंकड़ों को देखें तो इस बार इन सीटों पर काफी कम वोटिंग हुई है.