छावला गैंगरेप केस, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिका, यह दिए गए तर्क
बता दें मूल रूप से उत्तराखंड की पीड़िता दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के छावला के कुतुब विहार में रहती थी। 9 फरवरी 2012 की रात नौकरी से लौटते समय उसे कुछ लोगों ने जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया। इसके तीन दिन बाद उसकी लाश बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी में मिली थी। उसके साथ दुष्कर्म किया गया था और उसे यातनाएं दी गई थी। पीड़िता को औजारों से पीटा गया, उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए। उसके शरीर को सिगरेट व गर्म लोहे की झड़ से दागा गया।
पुलिस ने मामले में कार की निशानदेही पर राहुल, उसके साथियों रवि और विनोद को पकड़ा था। 2014 में पहले निचली अदालत ने तीनों को फांसी की सज़ा सुनवाई थी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। फिर 7 नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस यू यू ललित, दिनेश माहेश्वरी और बेला त्रिवेदी की बेंच ने तीनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की जांच और मुकदमे के दौरान बरती गई लापरवाहियों के आधार पर यह फैसला दिया था।