– सीबीआई ने अब तक 25 केसों में कराया फैसला, आरक्षक भर्ती के केसों में अधिक फैसले

– सांसद, विधायत व राजनेताओं के लिए बनाया अलग कोर्ट

सीबीआइ ने व्यापमं कांड से जुड़े 25 केसों की ट्रायल पूरी कराकर फैसले करा दिए हैं, जिसमें 23 केस के आरोपितों को सजा हुई है। दो केस में दोषमुक्त हुए हैं, लेकिन सीबीआइ पीएमटी कांड से संबंधित दो बड़े केस के चालान को न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां से कमिट नहीं करा सकी है। क्योंकि इस केस के सभी आरोपित न्यायालय में हाजिर नहीं हो सके हैं। कुछ आरोपित फरार चल रहे हैं। दोनों के चालान पेश हुए दो साल होने को आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर हाई कोर्ट ने 23 नवंबर 2022 को व्यापमं कांड में शामिल सांसद, विधायक व राजनेताओं के लिए विशेष न्यायालय बना दिया है। इनके केस विशेष न्यायाधीश सुशील कुमार जोशी व न्यायिक मजिस्ट्रेट महेंद्र सैनी के यहां जाएंगे।

सीबीआइ ने व्यापमं कांड व पीएमटी कांड से जुड़े सभी केसों की जांच कर चालान पेश कर दिए हैं। पीएमटी कांड से जुड़े दो बड़े केस थे। सीबीआइ बनाम चांद खां व सीबीआइ बनाम गुलाब माथुर केस। गुलाब सिंह माथुर केस का चालान 31 जनवरी 2020 को पेश किया था। जबकि चांद खां के केस का चालान पांच दिसंबर 2021 को किया था। जिन अारोपितों को हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, वे चालान के वक्त उपस्थित हो गए थे। जो नए आरोपित बनाए गए थे, वे फरार थे। फरार आरोपित पकड़ में नहीं आ रहे हैं। चालान कमिट करने के लिए सभी आरोपितों को होना जरूरी है। ज्ञात है कि अभी सीबीआइ के 46 केसों में ट्रायल पूरी होना शेष है।

गुलाब सिंह माथुर केस: सीबीआइ बनाम गुलाब सिंह माथुर केस का चालान 31 जनवरी 2020 को पेश किया गया था। इसमें 126 आरोपित बनाए थे। इन आरोपितों पर पीएमटी फर्जीवाड़े का आरोप है। इस केस का चालान 22 महीने से लंबित है।

सीबीअाइ बनाम चांद खां केस- 5 दिसंबर 2020 को पेश किया गया था। इसमें 126 अारोपित बनाए गए हैं। इसके चालान को दो साल पूरे हो गए हैं।

– पीएमटी कांड से जुड़े दोकेस में फैसला हुआ है, जिसमें एक केस में आरोपित दोषमुक्त हो गया था। दूसरा केस गुना का था। अारोपित परीक्षा हाल में पीएमटी देते वक्त पकड़ गया था। उसमें सजा हुई है।

इस केस में एक साथ नहीं आ रहे आरोपित

चिरायु मेडिकल कालेज में फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपितों के खिलाफ सात जनवरी 2021 को चालान पेश किया गया था। इस केस में 60 आरोपित बनाए गए हैं। कोविड-19 का हवाला देते हुए आरोपितों को हाई कोर्ट से राहत मिल गई थी। पांच-पांच आरोपितों पर आरोप तय किए जाने थे। ये आरोपित भी कोई न कोई कारण बताकर अनुपस्थित हो जाते हैं। नंबर-नंबर से आरोपित खुद आरोप मुक्त करने का आवेदन पेश कर दे देते हैं। इस वजह से केस के आरोपितों पर आरोप तय होकर ट्रायल शुरू नहीं हो सकी है।

एक्सपर्ट व्यू

– आरोपितों की अनुपस्थित के कारण चालान कमिट नहीं हो पा रहे हैं तो एसी स्थिति में फरार आरोपितों का स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाना चाहिए। जो आरोपित उपस्थित हो रहे हैं, उनका चालान कमिट कर विचारण न्यायालय में भेजा जा सकता है।

शर्मा, पूर्व लोक अभियोजक मप्र शासन