कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू जिन्हें कांग्रेस ने बनाया हिमाचल का सीएम
सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है। सुखविंदर सिंह सुक्खू चार बार के विधायक हैं और साथ ही कांग्रेस की चुनाव समिति के प्रमुख भी हैं।
गांधी परिवार के करीबी हैं सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू चार बार के विधायक हैं और साथ ही कांग्रेस की चुनाव समिति के प्रमुख भी हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू रविवार को सुबह 11 बजे राजधानी शिमला में मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेंगे। सुक्खू, गांधी परिवार के साथ अपनी करीबी के लिए जाने जाते हैं, राज्य के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला द्वारा कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता नामित किया गया, जिसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी गई। बता दें कि कांग्रेस विधायकों के बहुमत का समर्थन करने वाले सुक्खू 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटें जीतकर बहुमत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए तीन उम्मीदवारों में से उभरे। वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और चार बार विधायक रहे मुकेश अग्निहोत्री शीर्ष पद की दौड़ में शामिल थे।
छात्र राजनीति से शुरू किया करियर
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को नादौन में हुआ था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पोस्टग्रैजुएशन के बाद एलएलबी की पढ़ाई की है। सुखविंदर सुक्खू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में तब की थी जब वह सरकारी कॉलेज संजौली, शिमला में छात्र थे। सुक्खू ने छात्र राजनीति में अपना करियर शुरू किया और 2013 से 2019 तक पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के पद पर रहे। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में पार्टी के छात्र विंग नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के लिए काम किया है। साल 1989 में उन्हें इसकी राज्य इकाई का अध्यक्ष चुना गया।
शिमला नगर निगम के दो बार रहे पार्षद
साल 1998-2008 तक, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के साथ करीबी के लिए जाने जाने वाले सुक्खू ने राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। राज्य की राजनीति में शामिल होने से पहले, उन्होंने दो बार 1992 और 2002 में शिमला नगर निगम के पार्षद के रूप में कार्य किया। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सुक्खू ने चुनाव अभियान समिति का नेतृत्व किया।
वीरभद्र सिंह से चलती रही सियासी जंग
हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुक्खू के 6 बार के मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के साथ संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं रहे। राजनीतिक हलको में सुखविंदर सिंह और वीरभद्र सिंह के परिवार के बीच सियासी जंग की खूब चर्चाएं रहती थीं। वीरभद्र सिंह और सुक्खू के बीच रार तब शुरू हुई जब 2013 में कांग्रेस ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। प्रदेश अध्यक्ष बनते ही सुखविंदर सिंह सुक्खू वीरभद्र सिंह के गुट के कार्यकर्ताओं और नेताओं को अहम जिम्मेदारियों से हटा दिया था। वीरभद्र सिंह की नाराजगी का ये सबसे बड़ा कारण था। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले हालात इतने बिगड़ गए थे कि वीरभद्र सिंह ने घोषणा कर दी कि वह इस साल चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि सुक्खू और राजा साहब की इस लड़ाई में वीरभद्र सिंह की जीत हुई थी। पार्टी ने उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस वो चुनाव हार गई थी।