ग्वालियर : चांदी काट कालोनी बसा गए कालोनाइजर, सड़क, सीवर व पानी को तरस रहे रहवासी
चांदी काट कालोनी बसा गए कालोनाइजर, सड़क, सीवर व पानी को तरस रहे रहवासी
शहर में बसाई गईं अधिकतर अवैध कालोनियों में प्लाट या मकान खरीदने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ता है। इन कालोनियों में न तो चौड़ी सड़कें होती हैं ना ही बड़ी सीवर लाइनें।
– फीट चौड़ी होनी चाहिए सड़कें, बनाई जा रही 20 से 25 फीट चौड़ी
ग्वालियर: शहर में बसाई गईं अधिकतर अवैध कालोनियों में प्लाट या मकान खरीदने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ता है। इन कालोनियों में न तो चौड़ी सड़कें होती हैं ना ही बड़ी सीवर लाइनें। पानी की लाइनें भी सिर्फ ग्राहकों की तसल्ली के लिए बिछाकर दिखा दी जाती हैं। इन कालोनियों में ग्राहकों के रूप में सबसे ज्यादा मध्यमवर्गीय लोग फंसते हैं, जो सीमित बजट में अपने खुद के आशियाना बनाने का सपना देखते हैं। कालोनाइजर या बिल्डर जब सारी संपत्तियां बेचकर निकल जाता है और पूरी बसाहट हो जाती है, तब लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर में ऐसे कई उदाहरण है, जहां अब लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते परेशान हो रहे हैं।
मास्टर प्लान के मुताबिक कालोनियों के अंदर सड़क की कम से कम चौड़ाई 30 फीट होनी चाहिए। कालोनियों के अंदर 30 फीट चौड़ी सड़क पर दोनों तरफ का यातायात बिना फंसे चल सकता है। इसके अलावा कालोनी तक पहुंचने वाले मार्ग की चौड़ाई 40 से 60 फीट तक होनी चाहिए। इसके अलावा सीवर लाइन, स्ट्रीट लाइट और पानी की लाइन की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। जो बिल्डर या कालोनाइजर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से विकास अनुज्ञा और नगर निगम की कालोनी सेल से अनुमति लेते हैं, वे इसका पालन करते हैं। इसका कारण यह है कि विकास कार्यों के बदले में कालोनी के 25 प्रतिशत प्लाट बंधक रखे जाते हैं। इन प्लाटों को तब तक नहीं बेचा जा सकता है, जब तक बुनियादी सुविधाओं से जुड़े हुए विकास कार्य पूरे न हो जाएं। अवैध कालोनियों के खिलाफ अभियान में नईदुनिया की पड़ताल में सामने आया है कि ज्यादातर कालोनियों में 20 से 25 फीट चौड़ी सड़क ही बनाई जा रही है। इसके अलावा कई जगह तो सीवर और पानी की व्यवस्था भी नहीं है।
विकास शुल्क के नाम पर दोबारा देना पड़़ता हैं रुपये
नगर निगम द्वारा 31 दिसंबर 2016 से पूर्व की कालोनियों को वैध करने की कार्रवाई की जा रही है। नियमानुसार इन कालोनियों को वैध करने के बाद लोगों को अपने-अपने मकान के क्षेत्रफल के हिसाब से विकास शुल्क जमा करना होगा। ये विकास शुल्क जमा करने के बाद निगम द्वारा इन कालोनियों में दोबारा से बुनियादी सुविधाओं से जुड़े काम कराए जाएंगे। इन कालोनियों में रहने वाले लोगों ने जब भूखंड खरीदे थे, उस समय पैसा चुकाया था। अब उन्हें दोबारा से विकास कार्यों के लिए राशि भुगतनी होगी।़ि
कालोनाइजर प्लाट बिकने के बाद नहीं कराते काम़विैध कालोनियों में जब सारे प्लाट या आवास बिक जाते हैं, तो कालोनाइजर ही वहां विकास कार्यों के लिए लोगों से मेंटेनेंस शुल्क लेकर काम कराता है। इससे कालोनी में सुविधाओं को लेकर दिक्कत नहीं आती है। जब कभी पानी, स्ट्रीट लाइट, सड़क या सीवर संबंधी समस्या होती है, तो बिल्डर उस मेंटेनेंस की राशि से काम करा देता है। अवैध कालोनियों में ऐसा नहीं होता है। कालोनाइजर सारे प्लाट बेचने के बाद चंपत हो जाते हैं। फिर जब बुनियादी सुविधाओं संबंधी दिक्कतें होती हैं, तो लोग परेशान होते हैं और नगर निगम के माध्यम से ये काम कराने का प्रयास करते हैं।
वैध कालोनियों में सभी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाती हैं। अवैध कालोनी का मतलब ही यह है कि नियमों का उल्लंघन कर उन्हें तैयार किया गया है। जिन कालोनियों को निगम ने वैध किया है, वहां अब विकास शुल्क लेकर कार्य कराए जाएंगे।
पवन सिंघल, सिटी प्लानर