अलीगढ़ : दंगों का केंद्र रहा सराय-सुल्तानी, फिर भी हुई चूक ..?
दंगों का केंद्र रहा सराय-सुल्तानी, फिर भी हुई चूक:1970 से 1994 तक कई बार हुई दंगों की शुरूआत, 2016 तक इलाके में PAC पिकेट रहती थी तैनात
सराय सुल्तानी में चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात की गई है। मंगलवार को बाजार बंद रहा और इलाके में तनावपूर्ण शांति का माहौल बना रहा।
अब आपको शहर के सबसे संवेदनशील इलाके के बारे में बताते हैं…
1970 से 1994 तक रहता था केंद्र
अलीगढ़ का सराय सुल्तानी इलाके क दंगों से पुराना नाता रहा है। अगर इतिहास में जाकर देखे तो वर्ष 1970 से 1994 तक यहां दंगों का रिकॉर्ड मिलता है। कई बार कर्फ्यू लगा और पूरा शहर दंगे की आग में जला। जिसके चलते यहां पीएसी पिकेट भी तैनात की गई थी। अगर अलीगढ़ में हुए पुराने दंगों की बात की जाए तो यहां दंगे होना और कर्फ्यू लगना एक जमाने में आम बात रहती थी। 1970 से 1994 तक कई बाद दंगे बवाल भड़के और कर्फ्यू भी लगा। 1994 में हुआ दंगा तो मामूली छेडछाड़ की घटना के बाद हुआ था। जिसके बाद इसने बड़ा रूप ले लिया।
सराय सुल्तानी में हमेशा तैनात रहती थी PAC
अलीगढ़ का सराय सुल्तानी इलाका अति संवेदनशील इलाकों में शामिल है। यहां के इतिहास को देखते हुए इलाके में PAC पिकेट तैनात की गई थी। जिससे कि इलाके में किसी तरह की गड़बड़ी न होने पाए। यह व्यवस्था हर समय और 24 घंटे रहती थी और PAC यहां निगरानी करती थी।
लेकिन धीरे-धीरे अलीगढ़ का माहौल बदलता गया और दंगों के लिए जाना जाने वाले शहर में स्थितियां बदलने लगी। इसके बाद भी प्रशासन ने यहां दशकों तक PAC पिकेट तैनात रखी, जो हर सीजन में यहां पहरेदारी करती थी। लेकिन 2016 में यह व्यवस्था खत्म हो गई, और PAC को यहां से हटा दिया गया।
बवाल के बाद शहर में लगाई धारा 144
डीएम के निर्देश पर सोमवार को एडीएम प्रशासन डीपी पाल ने जिले के ग्रामीण इलाकों में आगामी दो महीनों के लिए धारा 144 लागू कर दी थी। लेकिन शहरी क्षेत्र में यह व्यवस्था नहीं थी। रात होते-होते अधिकारियों का खूफिया तंत्र फेल हो गया और बवाल हो गया। जिसके बाद मंगलवार को शहर में भी धारा-144 की व्यवस्था लागू कर दी गई है। जिससे लोग भीड़ लगाकर इकट्ठे न हो सके।
DM-SSP के सामने लगे नारे
बवाल के बाद सराय सुल्तानी इलाके में जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और एसएसपी कलानिधि नैथानी को भी लोगों का विरोध सहना पड़ा। बवाल के बाद गुस्साई भीड़ ने अधिकारियों के सामने ही जमकर नारेबाजी की। लोगों ने पुलिस मुर्दाबाद के जमकर नारे लगाए और अपना विरोध जताया। लेकिन अधिकारी लगातार उन्हें समझाते रहे और कार्रवाई का आश्वासन देते रहे।