12 साल में मप्र के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 8.2% घटी, टीचर की 3% ..!
बच्चों की तुलना में टीचर्स की संख्या बहुत धीमी गति से कम हुई ….
छात्र-छात्राओं की संख्या घटी ….
उपस्थिति के मामले में पिछले 12 साल में मध्यप्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या घटी है, लेकिन बच्चों की तुलना में टीचर्स की संख्या बहुत धीमी गति से कम हुई है। हाल ही में जारी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर-2022) के मुताबिक 2010 में प्राथमिक स्कूलों में 66% बच्चे थे, जो 2022 में घटकर 57.8% रह गए।
उच्च प्राथमिक स्तर पर भी यही हाल रहा। वहां 12 साल पहले 68% बच्चे थे, जो 56% बचे हैं, जबकि इन सालों में टीचर्स 87% से कम होकर 84% तक ही पहुंचे हैं। इस दौरान स्कूलों में स्वच्छ पानी, मिड-डे मील, टॉयलेट जैसी सुविधाओं में भी मामूली सुधार ही हुआ है।
- 18 % सरकारी स्कूलों में आज भी गर्ल्स टॉयलेट नहीं
55% टॉयेलट उपयोग के लायक
18% सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं हैं। 2010 में ऐसे 20% स्कूल थे, अब सिर्फ 4% बचे हैं। 15% ऐसे हैं, जहां ताला नहीं लगा। 55% में टॉयलेट उपयोग लायक हैं।
मिड-डे मील में नियमितता नहीं
पिछले 12 साल में मिड-डे मील की उपलब्धता 95% से घटकर 88% रह गई है। लगभग 15% स्कूलों में नियमित बिजली है। लगभग 17% स्कूलों में अब भी लाइब्रेरी नहीं हैं।