घपला करके करोड़पति बने 12वीं पास बाबू की कहानी .!

लोगों के मुआवजे के कई करोड़ अपने व परिचितों के खाते में डाले, फिर उन्हीं से मौज-मस्ती की

सरकार कई लोगों को अलग-अलग तरह का मुआवजा देती है, लेकिन कुछ लोगों के खाते में यह रकम कभी नहीं पहुंच पाती। ऐसे लोग यह मानकर बैठ जाते हैं कि शायद हम पात्र नहीं रहे होंगे, इसलिए पैसा नहीं आया? ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्गों और दूरदराज के लोगों की यही धारणा इंदौर में एक बड़े घोटाले की वजह बन गई। कलेक्टोरेट के बाबू ने ऐसे लोगों की करोड़ों की राशि अपने, पत्नी के और दोस्तों के खाते में ट्रांसफर कर दी। इसके लिए कई बार वह खुद अफसर के साइन कर देता था। रुपए की गड़बड़ी पर कभी न हितग्राहियों ने पूछा, न सरकार ने कि आखिर किसी दूसरे की राशि उसने कैसे हड़प ली? लॉकडाउन के बाद से तीन बरस तक यही खेल चलता रहा। अब यह घपला खुला तो बाबू, उसकी पत्नी समेत 29 लोगों को आरोपी बनाया गया है। आपको बताते हैं कैसे किया उसने ये पूरा घपला और किस चालाकी से इसे अंजाम दिया जा रहा था…

2015 में पिता छगनलाल की मौत के बाद 12वीं पास मिलाप चौहान (मुख्य आरोपी) को सरकार ने अनुकंपा में नियुक्ति दी थी। पिता कलेक्टोरेट में बाबू थे। नौकरी मिलने पर मिलाप कलेक्टोरेट की लेखा शाखा में सहायक की तरह काम करता और सीखता रहा।

तत्कालीन मुख्य बाबू तारेश तिवारी के रिटायरमेंट के बाद 2018 से वह पूरी शाखा का काम संभालने लगा। अफसरों के वेतन डालने से लेकर सभी सरकारी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की प्रोसेस वही करता था। 2015 तक पेमेंट डिमांड ड्राफ्ट से होते थे, लेकिन 2016 से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होने लगे।

यहां बता दें, सरकार की तरफ से दी जानी वाली मुआवजा राशि के ट्रांजेक्शन कई बार अलग-अलग कारण से फेल हो जाते हैं। इसे ऐसे समझिए जैसे किसी किसान को फसल मुआवजा राशि बैंक खाते में ट्रांसफर की गई, लेकिन खाता नंबर, IFSC कोड सही नहीं है तो ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है और संबंधित को रुपए नहीं पहुंचते हैं।

बैंक की तरफ से ऐसे सभी फेल ट्रांजेक्शन की जानकारी वापस भेजी जाती है। फिर जो भी कमी रहती है, जिससे ट्रांजेक्शन फेल हुआ है, उसे पूरा कर फाइल पर अधिकारी की अनुमति लेकर फिर से राशि संबंधित के अकाउंट में ट्रांसफर कराई जाती है।

यह काम संभालने के आरोपी बाबू यानी मिलाप यह देखने लगा कि कई फेल ट्रांजेक्शन पर बाद में कोई क्लेम ही नहीं करता है। न लेने वाले को चिंता है। कई रुपए अनक्लेम या फेल ट्रांजेक्शन के कारण महीनों तक यूं ही खाते में पड़े रहते हैं।

यहीं से उसके शातिर दिमाग में लालच आया और फेल ट्रांजेक्शन और अनक्लेम फंड को देख उसके मन में लालच पैदा हो गया। इसके बाद उसने हेराफेरी कर इन रुपयों में घपला करने की प्लानिंग की।

सरकार की तरफ से कीट प्रकोप से फसल के नुकसान पर मिलने वाली मुआवजा राशि, निर्वाचन का पैसा, राहत राशि के जो ट्रांजेक्शन फेल हो गए थे, उनका पैसा मिलाप ने अपने अलावा पत्नी मनीषा बाई, एक्सट्रीम सॉल्यूशन, ऑफिस में साथी कर्मचारी रणजीत सिंह करोड़, प्यून अमित निम्बालकर के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

पूरा काम विश्वास पर… ये जानता था मिलाप

लेखा शाखा से बड़ी संख्या में ट्रांजेक्शन होते हैं, ऐसे में अधिकारियों की मानें तो एक-एक ट्रांजेक्शन की जांच करना संभव नहीं है। कर्मचारी पर विश्वास करके ही काम होता है, ये बात मिलाप भी अच्छे से जानता था। उसे पता था कि स्थानीय स्तर पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें एक-एक ट्रांजेक्शन चेक होता हो।

एक बार पैसा किसी अकाउंट में सक्सेसफुली ट्रांसफर हुआ तो फिर देखने वाला कोई नहीं है। फेल ट्रांजेक्शन की शिकायत करने कोई किसान आएगा, इसकी संभावना भी बहुत कम होती है। किसान को लगेगा कि पटवारी ने ही शायद मुआवजा सूची में उसका नाम नहीं जोड़ा होगा। एहतियात के तौर पर मिलाप ने ऐसे फेल ट्रांजेक्शन चुने जो काफी समय से लंबित थे। 2016 के बाद से लंबित फेल ट्रांजेक्शन को उसने टारगेट किया। यदि कोई शिकायत होगी भी तो वो ट्रांजेक्शन फेल होने के कुछ दिन के अंदर ही हो जाएगी। ऐसे में लंबे समय से पड़े फेल ट्रांजेक्शन उसके निशाने पर रहते थे।

लेखा शाखा का बाबू मिलाप चौहान जिसने सरकारी रुपयों की हेराफेरी की।
लेखा शाखा का बाबू मिलाप चौहान जिसने सरकारी रुपयों की हेराफेरी की।

ऐसे पकड़ में आया घपला

मिलाप के सैलरी अकाउंट में लाखों के ट्रांजेक्शन होने से उसका अकाउंट भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों की नजर में आया। कोष एवं लेखा विभाग के भोपाल मुख्यालय ने इस ऑनलाइन हेराफेरी को पकड़ा। इंदौर में अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। मिलाप की करतूत जब पता चली तो इंदौर में भी अधिकारी सकते में आ गए।

उन्होंने 16 और 17 मार्च को जब जांच की तो मामला सही पाया और सबूत भी मिल गए। बीते चार साल में करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन फेल हुए हैं और अधिकारियों को जांच में पता चला कि मिलाप ने 1 करोड़ रुपए का गबन किया है। इसके बाद मिलाप चौहान को सोमवार 20 मार्च को कलेक्टर इलैया राजा टी ने निलंबित कर दिया। 2020 से मिलाप जालसाजी कर रहा है और अब जाकर वो पकड़ाया। सभी मिलाप की करतूत से हैरान हैं। शुरुआत में 1 करोड़ के गबन की जानकारी मिली, लेकिन जांच में जब अकाउंट खंगाले गए तो पता चला कि 5 करोड़ 67 लाख रुपए का गबन मिलाप ने किया है।

मिलाप के गबन का खुलासा होने के बाद कलेक्टर कार्यालय में कर्मचारी आपस में बात करते नजर आए कि अनुकंपा नियुक्ति मिली थी, इसलिए शायद उसने सरकारी नौकरी की कद्र नहीं की। अफसरों का मानना है कि जांच पूरी होने तक एक करोड़ रुपए और इसमें जुड़ सकते हैं। कितने खातों में गबन की राशि डाली गई है, इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है। 2018 में सेवानिवृत्त हुए लेखा विभाग के बाबू तारेश तिवारी के कार्यकाल की भी जांच होगी। उस समय भी ये खेल तो नहीं खेला गया इसे देखा जाएगा। गड़बड़ी सामने आने के बाद ट्रेजरी के अन्य स्टाफ को भी बदला गया है। 2020 से लेकर अभी तक लेखा शाखा के प्रभारी के रूप में 5 एसडीएम बदल चुके हैं, लेकिन किसी को भी भनक तक नहीं लगी कि मिलाप इतना बड़ा खेल कर रहा है।

डिप्टी कलेक्टर रोशनी वर्धमान लेखा शाखा में मिलाप चौहान केस को लेकर शाखा में मिलाप के सहयोगी रणजीत से जानकारी जुटाते हुए। मामले में रणजीत भी आरोपी है और एफआईआर दर्ज होने के बाद से परिवार सहित फरार है। मिलाप के निलंबन के बाद वो अधिकारियों को गुमराह करता रहा, लेकिन फिर उसकी पोल खुल गई।
डिप्टी कलेक्टर रोशनी वर्धमान लेखा शाखा में मिलाप चौहान केस को लेकर शाखा में मिलाप के सहयोगी रणजीत से जानकारी जुटाते हुए। मामले में रणजीत भी आरोपी है और एफआईआर दर्ज होने के बाद से परिवार सहित फरार है। मिलाप के निलंबन के बाद वो अधिकारियों को गुमराह करता रहा, लेकिन फिर उसकी पोल खुल गई।

फिर मिलाप सहित 29 पर FIR हुई

मिलाप को निलंबित करने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने दो दिन जांच की फिर 23 मार्च को रावजी बाजार थाने में मिलाप सहित 29 लोगों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 409, 120बी में केस दर्ज करवाया। आरोपितों में लेखा शाखा के रणजीत और अमित के अलावा मिलाप की पत्नी मनीषा चौहान, भाई राहुल चौहान, पूजा परिहार, राकेश परिहार, अभिषेक सोलंकी, धापू राठौर, हीना कुरैशी, राहुल राठौर, सोनम राठौर, अतुल चौहान, दिनेश राठौर, गीता करोड़, सोनू परेता, जगदीश गढ़वाल, विकास वाविस्कर, संजय पाठक, ज्योति पाठक, योगेश जाधव, शुभम यादव, खुशाल सेनवार, गोलू शेखावत, खुशबू निम्बालकर, विवेक जागीरदार, कृतिका शर्मा, राजेश मौर्य और संतोषी बाई भी शामिल हैं।

मामले में पुलिस आरोपी मिलाप, उसके साले अतुल चौहान, पत्नी मनीषा और भाई राहुल को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपियों में मिलाप की पत्नी, भाई व साले के अलावा परिचित व लेखा शाखा में काम करने वाला रणजीत, प्यून अमित, इन दोनों की पत्नी और इनके रिश्तेदार व परिचित शामिल हैं। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि मनीषा को मिलाप के कारनामे के बारे में पता नहीं था, वो ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं है। मिलाप ने ही उसके खाते का इस्तेमाल किया है। पत्नी के खाते में राशि ट्रांसफर कर मिलाप निकाल लेता था। मिलाप 31 मार्च तक पुलिस रिमांड पर है। भाई राहुल के पास से सेकंड हैंड अर्टिगा कार पुलिस ने जब्त की है।

अफसरों के सामने गबन की राशि का पता लगाने की नौटंकी करता रहा रणजीत

लेखा शाखा में कार्यरत मिलाप का साथी रणजीत सिंह करोड़ और प्यून अमित निम्बालकर भी आरोपी बनाए गए हैं। वे भी मिलाप के साथ पूरे खेल में शामिल थे। उनके खाते में भी मिलाप ने रुपए ट्रांसफर किए मगर दोनों ने कभी भी अधिकारियों को कोई जानकारी इस बारे में नहीं दी।

मिलाप के निलंबित होने के बाद अगले दिन रणजीत कलेक्ट्रेट आया था। डिप्टी कलेक्टर रोशनी वर्धमान लेखा शाखा में जांच के लिए पहुंची तब वो खातों की जानकारी और अन्य दस्तावेज ढुंढवाने की नौटंकी करता रहा। उसने उस समय तक भी कबूला नहीं कि वो भी पूरे खेल में मिला हुआ है। जब उसके खाते की जानकारी सामने आई और पूछताछ की गई तो उसने सब कुछ अधिकारियों के सामने कबूल लिया। कुछ रुपयों के लालच में वो और प्यून अमित अपना बैंक खाता मिलाप को उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हो गए थे।

रणजीत ने कबूला कि 10 हजार से लेकर 30 हजार रुपए तक मिलाप उन्हें खाता उपयोग करने के लिए देता था और ट्रांसफर किए गए रुपए वापस ले लेता था। प्रशासनिक अधिकारियों की पूछताछ के बाद से ही रणजीत गायब हो गया। रावजी बाजार थाना के पुलिसकर्मी उसे गिरफ्तार करने घर गए थे, लेकिन वो नहीं मिला। वो घर खाली कर चला गया है। प्यून अमित भी फरार है। दोनों की तलाश पुलिस कर रही है।

करोड़ों रुपए इधर से उधर हो गए, शिकायत एक भी नहीं

रावजी बाजार थाना प्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि इतने सालों में करोड़ों रुपए इधर से उधर हो गए, लेकिन शिकायत एक भी नहीं हुई। जबकि कई हितग्राहियों की राशि मिलाप ने अन्य खातों में ट्रांसफर की है। इस मामले में रणजीत, अमित सहित अन्य आरोपी अभी फरार चल रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया था कि हजारों ट्रांजेक्शन होते हैं, ऐसे में एक-एक ट्रांजेक्शन की जांच कर पाना संभव नहीं है। हितग्राहियों का भी पता लगाया जा रहा है कि वो कौन थे, जिनकी राशि का गबन मिलाप ने किया है।

आरोपी मिलाप ने जमकर मौज-मस्ती भी की

मिलाप ने सरकारी रुपयों से महू में फार्म हाउस खरीदा साथ ही जमकर अय्याशी भी की। वो घूमने गोवा जाता और कॉल गर्ल को भी लाखों रुपए का भुगतान करता। बैंक खातों की जांच और पूछताछ में ये खुलासा हुआ है। अपने रिश्तेदारों को भी अय्याशी कराने के लिए साथ ले जाता था और वहां समंदर किनारे लग्जरी होटलों में पार्टी करता था। पानी की तरह पैसा बहाता था। मिलाप ने तीन साल में 11 लाख रुपए से अधिक की हवाई यात्राएं भी की हैं। जिसमें गोवा, मुंबई के अलावा अन्य शहरों की यात्राएं शामिल हैं। मिलाप के खाते में सबसे ज्यादा 3.67 करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर होने की बात सामने आई है। रणजीत के खाते में 55 लाख भेजे गए। 33 खातों में अलग-अलग माध्यम से राशि ट्रांसफर की गई।

कोर्ट से मिलाप की 28 मार्च तक की रिमांड पुलिस को मिली थी। मंगलवार को अवधि पूरी होने पर उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 31 मार्च तक रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *