डंक कैसे बन जाता है मौत की वजह, कौन-कौन से कीड़े-मकोड़ों से रहना चाहिए सतर्क
डंक कैसे बन जाता है मौत की वजह, कौन-कौन से कीड़े-मकोड़ों से रहना चाहिए सतर्क …
मध्यप्रदेश के गुना में पांडव कालीन हनुमान मंदिर है। बीते मंगलवार 75 साल के इमरत हरिजन भगवान के दर्शन के लिए गए थे। मंदिर के पास बनी पानी टंकी पर मधुमक्खी का छत्ता था।
किसी ने शरारत के लिए छत्तों को छेड़ दिया। फिर क्या था मधुमक्खियों की फौज ने लोगों पर हमला कर दिया। इससे भगदड़ मच गई।
तभी इमरत हरिजन मधुमक्खी के झुंड का शिकार हो गए। सिचुएशन गंभीर होने पर उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
जहां डॉक्टर ने उनके शरीर से मधुमक्खियों के 100 डंक निकाले। अब भी उनके शरीर पर सूजन है और इलाज चल रहा है।
मधुमक्खी के डंक से मौत की खबर देश के हर हिस्से से आती है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने तो पिछले साल मधुमक्खी, ततैया और हॉर्नेट के डंक से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा देने की बात तक कही थी।
ये मधुमक्खियां जितने मीठे शहद में रहती हैं इनका डंक उतना ही जहरीला होता है। इस डंक को अगर समय से नहीं निकाला गया तो जहर पूरे शरीर में फैल सकता है।
सवाल: मधुमक्खी डंक मारती क्यों है?
जवाब: मधुमक्खी हो या दूसरे कीट इनमें से ज्यादातर नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि खुद को बचाने के लिए डंक मारते हैं या काटते हैं।
वहीं मच्छर, जूं, खटमल और जोंक खुद के बचाव के लिए नहीं काटते है। उन्हें अपने खाने के लिए खून की जरूरत होती है। इस वजह से वे काटते हैं और खून चूसते हैं।
सवाल: क्या डंक मारने वाले सारे जीव के डंक शरीर के अंदर ही रह जाते हैं?
जवाब: कुछ जीवों के डंक मारने के बाद शरीर के अंदर रह जाते हैं, लेकिन सब के साथ ऐसा नहीं होता। जैसे-
मधुमक्खियों के डंक में जहर होता है। काटने के दौरान ये स्किन के अंदर जहरीला पदार्थ छोड़ देते हैं, जिससे शरीर में एलर्जिक रिएक्शन हो जाता है।
इसी तरह जब मक्खियां डंक मारती हैं, तो काटने के दौरान पूरा डंक वो व्यक्ति की त्वचा में छोड़ देती हैं। इस प्रोसेस के दौरान वो खुद भी मर जाती हैं।
इसके अलावा ततैया यानी वास्प एक साथ कई डंक मार देते हैं। इस दौरान अपना डंक त्वचा में नहीं छोड़ते।
वहीं मच्छरों के डंक भी इंसानी शरीर में चले जाए तो उससे मलेरिया, इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस और डेंगू जैसी बीमारी हो सकती हैं।
सवाल: ततैया और मधुमक्खी काटना तो भारत जैसे देश में आम है, इससे कैसे मौत हो सकती है? |
जवाब: मधुमक्खी के डंक से सीरियस एलर्जी रिएक्शन जीवन के लिए रिस्की हो सकता है। इस गंभीर एलर्जिक रिएक्शन को मेडिकल भाषा में एनाफिलेक्सिस कहा जाता है।
इस कंडीशन में तुरंत इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर जल्दी इलाज न किया जाए तो मौत भी हो सकती है।
ततैया या मधुमक्खी के डंक से कई बार ब्लड प्रेशर लो की भी शिकायत हो सकती है, इस वजह से हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है।
कई बार डंक निकालने में देरी या फिर चिमटी या नुकीली चीज से निकालने की वजह से भी जहर फैल जाता है।
सवाल: किलर डंक में क्या होता है?
जवाब: लाल चींटियों, मधुमक्खियों, बिच्छू और बर्रे के डंक में फॉर्मिक एसिड होता है। जैसे ही मधुमक्खी काटती है यानी डंक मारती है तो थोड़ा सा एसिड शरीर में पहुंच जाता है। स्किन पर सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है।
कुछ लोगों को मधुमक्खी के काटने से बुखार भी हो जाता है। लोगों में असर अलग-अलग हो सकता है।इस डंक का असर 1-2 घंटे या 1-2 दिन तक रहता है।
सवाल: डंक मारने के नॉर्मल लक्षण क्या हैं?
जवाब: आमतौर से जिस जगह पर डंक मारा है वहां नीचे लिखे ये लक्षण दिखाई देते हैं-
- स्किन लाल होना
- चकत्ता पड़ना
- सूजन आना
- डंक मारने वाली जगह पर दर्द
- खुजली
- फफोला होना
अक्सर कीटों के काटने के लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कौन से कीड़े ने काटा या डंक मारा है।
कुछ लोगों में कीड़े के काटने या डंक मारने के बाद गंभीर एलर्जी भी होती है। उसमें ये परेशानियां होती हैं-
- खराश
- पेट में ऐंठन
- चक्कर आना और उल्टी
- चेहरे, होंठ या गले में सूजन
- सांस लेने में तकलीफ
सवाल: आमतौर से लोग कीड़े या मधुमक्खी के डंक मारने के बाद खुद ही इलाज करते हैं, किन कंडीशन में डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
जवाब: अगर मधुमक्खी ने ज्यादा डंक नहीं मारा है और हालत ठीक है तो इसका इलाज आप घर पर ही कर सकते हैं।
डंक मारने या काटने के बाद अगर सूजन आ रही है, फफोला पड़ने लगा है या फिर मवाद या पस दिखाई दे रहा है तो ये गंभीर इन्फेक्शन है।
ऐसे में इसे घरेलू उपाय से ठीक करने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। डॉक्टर के पास जितनी जल्दी जाएंगे उतना अच्छा होगा।

सवाल: कीड़े या मधुमक्खी के डंक को किस तरह आप घर पर निकाल सकते हैं, इसके लिए आप घर में क्या ट्रीटमेंट कर सकते हैं?
जवाब: अगर कीड़े ने ज्यादा डंक नहीं मारे हैं तब आप इसका इलाज घर पर ही कर सकते हैं।
इसके लिए इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। इससे आराम तो मिलेगा ही और शरीर में जहर नहीं फैल पाएगा।
पहला काम डंक निकाल दें: मधुमक्खी के डंक को जल्दी से जल्दी निकाल दें। डंक जितनी जल्दी निकल जाएगा उतना ही जहर का असर कम होगा। नहीं तो शरीर में जहर फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।
अब डंक निकालने के बाद उस जगह को एंटीसेप्टिक साबुन या क्लीनर से साफ कर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा लें।
तुरंत बर्फ लगा सकते हैं: जहां पर मधुमक्खी ने काटा है, वहां बर्फ लगाने से कई तरह की परेशानियों से आराम मिलता है।
ठंड की वजह से जहरीला पदार्थ बहुत तेजी से नहीं फैलता है। सूजन नहीं आती है और दर्द भी कम होता है।
सिरका जहर को काटता है: सिरका यूज करने से जहर का असर कम हो जाता है। ये दर्द, सूजन और खुजली में राहत देता है।
शहद का इस्तेमाल: मधुमक्खी के काटने या डंक मारने पर शहद यूज कर सकते हैं। इसका एंटी-बैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन को फैलने नहीं देता है।
टूथपेस्ट से भी मिलता है आराम: डंक लगने पर सफेद टूथपेस्ट लगाने से दर्द में राहत मिलती है। ये जहर के असर को कम कर देता है। इससे सूजन में राहत मिलती है।
बेकिंग सोडा फायदेमंद: बेकिंग सोडा अल्कलाइन होता है। जो जहर के असर को कम करने में मदद करता है। इसे अफेक्टेड जगह पर लगाने से दर्द, खुजली और सूजन में आराम मिलती है।
सवाल: डंक मारने के बाद कीड़े के काटने की जांच होती है क्या?
जवाब: मधुमक्खी और कीड़े के काटने पर आमतौर पर डॉक्टर से जांच करवाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
अगर दिक्कत ज्यादा है और एलर्जी बढ़ती ही जा रही है, तो डॉक्टर रूटीन टेस्ट के साथ एलर्जी टेस्ट कराते हैं।
सवाल: अच्छा तो फिर मधुमक्खी के डंक मारने या कीड़े के काटने से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतें?
जवाब:
- अगर ततैया या मधुमक्खी का सामना करते हैं तो घबराएं नहीं। वहां से धीरे से चले जाएं। बिना उन्हें छेड़े।
- ऐसी कोई चीज आपके पास है जिससे आप खुद को ढंककर अपना बचाव कर सकते हैं तो फौरन ऐसा करें।
- इंसेक्ट रेपेलेंट मार्केट में मिलते हैं, उसे लगाएं, खासकर जब आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां मच्छर, कीट, मक्खी, मधुमक्खी के होने की संभावना है। खासकर गर्मी और पतझड़ के मौसम में।
- खुशबू वाला साबुन, शैंपू और डिओडोरेंट कम यूज करें। इनकी महक से मधुमक्खी-कीड़े आपकी तरफ अट्रैक्ट होते हैं।
- कचरा और कंपोस्ट जैसी जगहों पर जाने से बचें।
- जिन मंदिरों में भोग या फूल चढ़ाए जाते हैं वहां मधुमक्खियां मंडराती रहती हैं। ऐसे में सतर्क होकर दर्शन करें। कोशिश करें कि उनसे दूर ही रहें।
- मधुमक्खी या कीट के घोंसलों को न छेड़ें। अगर घोंसला आपके घर में या उसके आसपास है, तो इसे निकालने की व्यवस्था करें।
- पानी के पास कैंप लगाने से बचें। जैसे कि तालाब और पानी के नल-टंकी। क्योंकि मच्छर और हॉर्सफ्लाई आमतौर पर पानी के पास पाई जाती हैं।
- अगर बाहर खाना खा रहे हों तो ढका हुआ खाना ही खाएं। खासतौर पर मीठी चीजें। ततैया या मधुमक्खी खुली पानी की बोतलें या डिब्बे में घुस भी सकती हैं जिन्हें आप पी रहे हैं।
- घरों के अंदर मधुमक्खी और कीड़ों को आने से रोकने के लिए दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। हो सके तो पतली जाली दरवाजे में लगा दें।
- मधुमक्खी का जीवन काल एक अंडे से शुरू होता है जो लार्वा और फिर प्यूपा में बदल जाता है। इसके बाद प्यूपा का ट्रांसफॉर्म एक एडल्ट मधुमक्खी के रूप में हो जाता है। लार्वा से वयस्क तक की स्टेज 21 दिन की होती है।
- मधुमक्खियों का लाइफ सर्किल यानी जीवन चक्र फूलों के जीवन चक्र के समान चलता है।
- गर्मी के मौसम में शहद को इकठ्ठा करने में मधुमक्खियां सबसे ज्यादा एक्टिव होती है।
- पतझड़ में मधुमक्खियों कम एक्टिव रहती है क्योंकि फूलों की संख्या कम रहती है।
- मधुमक्खियां ठंड के मौसम में बिना फूलों के शहद के ऊपर जिंदा रहती हैं जो वे बाकि मौसम में बना के रखती है।
- सारी मधुमक्खियां मादा नहीं होती हैं। छत्ते में तीन तरह की मधुमक्खियां होती है :
- रानी मधुमक्खी
- श्रमिक मधुमक्खी
- ड्रोन मक्खी
रानी मक्खी: एकमात्र मादा मधुमक्खी होती है जो प्रजनन करती है। ये साइज में बड़ी होती हैं।
श्रमिक मधुमक्खी: ये भी मादा होती हैं और रानी मक्खी की संतानें होती हैं।
ड्रोन मक्खी: ये नर होते हैं जो छत्ते के बहार जाकर अन्य रानी मक्खियों के साथ प्रजनन करने के लिए नए छत्ते बनते हैं। इसमें डंक नहीं होता है