ग्वालियर । इंडियन प्रीमियर लीग में खेले जाने वाले क्रिकेट मैच की दीवानगी लोगों में जिस कदर है, उसी तरह क्रिकेट पर सट्टा अब गलियों से निकलकर घरों तक पहुंच गया है। कभी हार जीत के दांव शहर की गलियों, अहातों और कुछ चुनिंदा रेस्टोरेंट में लगाए जाते थे, लेकिन अब सट्टेबाज इतने हाइटेक हो चुके हैं, कि मोबाइल पर ही यह करोड़ों के दांव लगवा रहे हैं। सट्टेबाजों ने बेवसाइट से एप तक बनवा लिए हैं, जिसमें बाकायदा सट्टा लगवाने से लेकर आनलाइन भुगतान तक कराया जा रहा है। लोगों को बर्बादी की राह पर ले जाने वाला सट्टे का यह काला कारोबार अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है। क्योंकि सट्टेबाज अब सड़क पर नहीं बल्कि आनलाइन यह काला कारोबार कर रहे हैं। इसी के चलते अब ग्वालियर पुलिस ने भी सट्टे के नेटवर्क को तोड़ने के लिए फील्ड के साथ ही तकनीकि रूप से मजबूत पुलिसकर्मियों को इसका टास्क दिया है। क्राइम ब्रांच की सायबर सेल भी काम पर लगाई गई है। हालांकि अभी तक पुलिस को बड़ी सफलता नहीं मिली है।

पुलिस के लिए यह चुनौती

ऐसे बेवसाइट और एप को ट्रेस करना ही चुनौती है। पुलिस यहां के बुकी तक तो पहुंच रही है, लेकिन जो साइट और एप हैं इनके सर्वर विदेश में है। इन्हें डिजाइन करने वाले बड़े शहरों के हैं। मास्टर सर्वर तक पहुंचना ही पुलिस के लिए चुनौती है।

बेवसाइट

– ग्वालियर का सबसे बड़ा सट्टा किंग संतोष घुरैया ग्वालियर में क्रिकेट पर सट्टे के कारोबार को बढ़ावा देने वाला है। उसने 99 हब और 11 हब के जरिये आनलाइन सट्टा लगवाने की शुरुआत की थी। इसके गुर्गे शहर के हर इलाके में है। इस पर पुलिस ने पिछले साल बड़ी कार्रवाई की थी। पुलिस का दावा है- अब इन साइट से सट्टा नहीं लग रहा। द्यबड़े शहरों के सटोरिओं के संपर्क में ग्वालियर के बुकी हैं, जिन्होंने उनकी बेवसाइट की लिंक लेकर अब सट्टा लगवाना शुरू कर दिया है। इसमें बीते रोज ही मुरार में जो सट्टेबाज पकड़ा गया उसने खुलासा किया वेटगुरू डाट नेट से वह सट्टा खिलवा रहा था।

– जितनी भी सट्टे की साइट हैं, उनकी लिंक बुकी के जरिए सट्टा लगाने वालों तक पहुंचाई जाती है। क्लाइंट आइडी देने से पहले एडवांस में रुपये लिए जाते हैं, यह पूरा पैसा आनलाइन ही दिया जाता है। इसके बाद क्लाइंड आइडी हर व्यक्ति को अलग-अलग दी जाती है। वह इसी क्लाइंट आइडी के जरिये दांव लगाता है।

एप

– सट्टेबाजों ने अलग-अलग एप बनवा लिए हैं। इसके जरिये सट्टा लगाने और इसी में वालेट भी है, जिसके जरिये पैसे लिए जा रहे हैं। जीतने पर इसी के माध्यम से पैसा दिया जाता है। द्यइंटरनेट मीडिया पर ऐसे एप की कई पोस्ट, लिंक वायरल हैं। इसी के साथ यूट्यूब पर भी वीडियो के बीच-बीच में ऐसे एप के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। जिसमें कम समय में अमीर बनने का झांसा देकर लोगों को फंसाया जा रहा है।

बेवसाइट, एप के जरिये सट्टा लगाने वालों तक पहुंचने के लिए सायबर सेल की टीम भी पड़ताल में लगाई है। जो सटोरिये पकड़े गए हैं, उनके मोबाइल, लैपटाप की पड़ताल की जा रही है।

राजेश दंडोतिया, एएसपी