आयुष्मान भारत योजना … 1037 में से 70 अस्पतालों में मिली गड़बड़ी
आयुष्मान भारत योजना …
1037 में से 70 अस्पतालों में मिली गड़बड़ी, किसी ने फर्जी मरीजों के नाम पर बिलिंग कराई; किसी ने मरीज नगद राशि ली …
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में फर्जी मरीजों और फर्जी कार्ड के आधार पर मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई जारी है। इसी कार्रवाई के बीच अब निजी अस्पतालों के संचालकों द्वारा बनाए गए यूनाइटेड हॉस्पिटल्स डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने 15 अप्रैल से आयुष्मान योजना के नए मरीजों का इलाज नहीं करने की बात कही है। ये स्थिति तब है जबकि आयुष्मान भारत योजना में इलाज कराने वाले मरीजों के इलाज पर खर्च होने वाली 75 फीसदी राशि प्राइवेट अस्पतालों के खातों में पहुंच रही है। लेकिन अस्पताल के संचालकों का आरोप है कि गलती कुछ अस्पताल कर रहे हैं जबकि मरीजों का इलाज करने पर हर अस्पताल का भुगतान रोका जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना के एमओयू के तहत मरीज का इलाज करने के 30 दिन के भीतर भुगतान हो जाना चाहिए।
लेकिन 300-300 दिन बीतने के बाद मरीज के इलाज पर खर्च हुई राशि नहीं मिल रही है। ऐसे में मजबूरी में आर्थिक तंगी के कारण नए मरीजों का इलाज करने में कठिनाई खड़ी हो गई है। भोपाल संभाग के 200 से ज्यादा अस्पताल 15 अप्रैल से इलाज नहीं करेंगे। क्योंकि उनके पास अस्पताल संचालन की राशि भी नहीं बची है। निजी अस्पतालों द्वारा जिन मरीजों का इलाज किया गया। उनके इलाज में खर्च हुई राशि करीब 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। लेकिन राज्य सरकार ये बजट जारी नहीं कर रही है। बार–बार गुहार लगाने के बाद भी आयुष्मान भारत योजना के अफसर यदि किसी अस्पताल ने 50 मरीजों का इलाज किया है तो 10 मरीजों का इलाज का खर्च समय पर दे रही है। शेष खर्च को पेंडिंग कर देती है। इधर, आयुष्मान भारत की सीईओ का तर्क है कि 31 मार्च तक जिस निजी अस्पताल ने भी मरीजों का इलाज किया था उन सभी का भुगतान कर दिया गया है। प्रदेश के 70 अस्पताल जांच के दायरे में है। इसलिए उनका भुगतान रोका गया है। जिन अस्पतालों का भुगतान रोका जाता है, उसकी कोई न कोई कहानी होती है। ये अस्पताल के संचालकों को भी पता है।
रही बात 15 अप्रैल से इलाज से इंकार करने की बात यदि कोई ऐसा करता है तो उनके खिलाफ अनुबंध की शर्तो को तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। अनुबंध के तहत जो कार्रवाई होती है वो अस्पताल संचालकों के खिलाफ होगी। हमारे पास किसी भी एसोसिएशन ने ऐसा कोई लेटर नहीं दिया है कि वो 15 अप्रैल से मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। सीईओ ने बताया कि मध्यप्रदेश में 1037 निजी और सरकारी अस्पताल इस योजना के तहत मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इसमें से 542 निजी अस्पताल हैं। जबकि 495 सरकारी अस्पताल हैं। रोजाना 4 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज इन अस्पतालों में हो रहा है। सरकार करीब 950 करोड़ रुपए मरीजों के इलाज पर खर्च कर रही है। 75 % राशि तो अकेले प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों पर खर्च हो रही है। यानी हर साल प्राइवेट अस्पतालों को 712 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में भी यदि वो इलाज नहीं करते हैं तो वो खुद बता दे सरकार उनको योजना से हटा देगी।
- 950 करोड़ रुपए सरकार मरीजों के इलाज पर हर साल करती है खर्च
- किसी ने सर्दी-जुकाम जैसी मामूली बीमारी का इलाज गंभीर बताकर किया
पर्दे के पीछे की कहानी ये भी पर्दे के पीछे की कहानी ये भी
निजी अस्पतालों के संचालकों ने 15 अप्रैल से भोपाल समेत प्रदेशभर के प्राइवेट अस्पतालों में जहां पर आयुष्मान योजना लागू है। वहां पर इलाज की सुविधा एक- साथ बंद करने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। संचालकों को ये आशंका है कि यदि सिर्फ कुछ अस्पतालों ने इलाज की सुविधा देने से इंकार किया तो राज्य सरकार उनके खिलाफ आयुष्मान भारत योजना के एमओयू के तहत कार्रवाई कर सकती है। लेकिन यदि एक साथ- सभी ने इलाज की सुविधा रोक दी तो कार्रवाई से बचा जा सकता है। ऐसे में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा, सागर, जबलपुर, खंडवा के अलावा अन्य शहरों में संचालित होने वाले आयुष्मान भारत योजना के अस्पतालों के संचालकों के साथ बैठक कर ये रणनीति बनाई जा रही है और 15 अप्रैल से एक साथ मरीजों का इलाज नहीं करने की बात कही जाएगी। इसकी लिस्ट भी संचालक 15 अप्रैल को जारी कर देंगे कि ताकि लोगों को पता रहे हैं कि इन अस्पताल भुगतान नहीं होने तक इलाज की सुविधा नहीं देंगे।
प्रदेश के 70 अस्पताल जांच के दायरे में इन पर होगी कार्रवाई
प्रदेश में 1037 अस्पताल आयुष्मान योजना के दायरे में हैं। इसमें 542 निजी हैं। इनमें से 70 अस्पतालों को जांच के दायरे में रखा गया है। इन अस्पतालों में फर्जी मरीजों के आधार पर बिलिंग कराई गई। मरीज आयुष्मान रजिस्टर्ड होने के बाद नगद राशि ली गई। सर्दी-जुकाम जैसी मामूली बीमारी का इलाज किया गया जबकि भुगतान दूसरी बीमारी का लिया गया। मरीज गंभीर नहीं था तो भी उसे 10 से ज्यादा दिनों तक गंभीर बताकर भर्ती रखा गया। मरीजों का इलाज करने से इंकार किया जैसे मामले शामिल हैं। इन अस्पतालों के संचालकों को नोटिस देकर जवाब लिया जा रहा है। जवाब आने के बाद एक-एक कर कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों पर पेनाल्टी लगाने से लेकर उनको योजना से बाहर करने की कार्रवाई इसमें शामिल है।
जिम्मेदारों के बोले
गंभीर मरीजों को स्थिर होने तक भर्ती रखेंगे उसके बाद दूसरे अस्पताल भेजा जाएगा
हम इलाज से इंकार नहीं कर रहे हैं हमारी मजबूरी बन गई है। आर्थिक तंगी के चलते संचालकों को अस्पताल का संचालन करने में परेशानी खड़ी हो रही है। 15 अप्रैल से आयुष्मान भारत योजना के मरीजों का इलाज करने में हम असमर्थ हैं। यदि कोई गंभीर मरीज आता है तो उसे ईमरजेंसी में भर्ती कर स्थिर होने तक इलाज दिया जाएगा। इसके बाद उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करवाया जाएगा। रही बात आयुष्मान योजना में गड़बड़ी की तो पहली बार ये योजना चालू हुई है। यदि कोई छोटी-मोटी गलती हो जाती है तो उस पर कार्रवाई न कर गलती सुधारने का मौका दिया जाए।
-डॉ भूपेंद्र श्रीवास्तव, संरक्षक यूनाइटेड हॉस्पिटल्स डायरेक्टर्स एसोसिएशन
योजना में शामिल अस्पताल इलाज से इंकार नहीं कर सकता है
31 मार्च तक जिन अस्पतालों ने मरीजों के इलाज के लिए जो क्लेम किए थे, उनका भुगतान कर दिया गया है। सिर्फ 70 अस्पताल प्रदेश के ऐसे हैं। जिनका भुगतान रोका गया है। जिन अस्पतालों के ऑडिट में गड़बड़ी मिल रही है उनके खिलाफ पेनाल्टी लगाने और उनको योजना से बाहर करने की कार्रवाई की जा रही है। एमओयू के तहत यदि कोई शर्तों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कोई भी अस्पताल मरीज के इलाज से इंकार नहीं कर सकता है।
-अदिति गर्ग मुख्य कार्यपालन अधिकारी आयुष्मान भारत मप्र