MP news : बैंक अकाउंट किराए से देने वाली गैंग .. ?

साइबर ठग दो-तीन हजार देकर पासबुक और एटीएम रख लेते हैं; इनमें जमा कराते हैं ठगी की रकम …

पुलिस को इस गिरोह की भनक भी एक केस की जांच के दौरान लगी थी। 9 मई को गोटेगांव के बैलहाई निवासी 21 वर्षीय शिवम कहार से कुछ लोगों ने मारपीट की। पुलिस तक इसकी शिकायत पहुंची तो पता चला कि ठगी के पैसों को लेकर मारपीट हुई है। पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के नेटवर्क का खुलासा हुआ। गोटेगांव पुलिस ने इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

आरोपियों में एक जबलपुर का जिलाबदर है। वहीं, कुछ लोग फरार हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक कार, 6 मोबाइल, 35 बैंक खातों की पासबुक और दूसरे दस्तावेज जब्त किए हैं। 35 बैंक खातों में 7.60 करोड़ रुपए के लेन-देन का रिकॉर्ड मिला है। दो लाख रुपए से अधिक रकम मिलने पर कुछ बैंक खातों को फ्रीज कराया गया है।

आकाश सिंह राजपूत : ये गैंग का सरगना है। 27 वर्षीय आकाश गोसलपुर जबलपुर का रहने वाला है। उसके खिलाफ हिमाचल प्रदेश के शिमला, राजस्थान, एमपी सहित अन्य राज्यों में साइबर फ्राड और अन्य मामलों के 25 अपराध दर्ज हैं। जबलपुर पुलिस उसे जिलाबदर कर चुकी है। ग्रेजुएट आकाश ने एक महीने में 20 लाख रुपए कमीशन से कमाए हैं। जब्त की गई कार इसी रकम से खरीदी गई है।

शिवम उर्फ ब्रजेश राजपूत : इसका काम लोगों से बैंक खाता खुलवाना था। वह पशु चिकित्सालय गोटेगांव के सामने रहता है और कैफे चलाता है। कैफे में आने वाले कम उम्र के लड़कों को लालच देकर भी ये बैंक खाते खुलवाता था। इसके खिलाफ मारपीट के मामले भी दर्ज हैं।

अश्विन पटेल : गोटेगांव के कुम्हड़ाखेड़ा निवासी आकाश का खास साथी है। ये कई बार हावड़ा बैंक खाता नंबर, पैसे, फर्जी सिम आदि पहुंचाने जा चुका है। इसे इस ठगी के नेटवर्क के बारे में काफी कुछ पता है। पुलिस उससे पूछताछ में जुटी है। इसका भी आपराधिक रिकॉर्ड है।

अनिल उर्फ छोटू पटेलगोटेगांव के बलहाई निवासी अनिल लोगों के बैंक खाते खुलवाता और उनकी डिटेल आकाश या अश्विन को देता था।

अमन गोरिया : आजाद वार्ड गोटेगांव निवासी अमन का काम भी बैंक खातों की व्यवस्था करना था। कई लोगों को उनका सिबिल स्कोर बेहतर बनाने का झांसा देता था।

अवधेश राणा राजपूत : गोटेगांव के ग्राम गोहचर निवासी राणा भी ग्रामीणों के बीच जाकर झांसे से बैंक खाते खुलवाता था।

अब पढ़िए कैसे चल रहा है ठगी का पूरा नेटवर्क

साइबर फ्रॉड का पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया के जरिए चल रहा है। गैंग के सरगना आकाश सिंह राजपूत को फेसबुक सर्च के दौरान घर बैठे रुपए कमाने का एक विज्ञापन दिखा था। यहीं पर उसने एक ऐप देखा। ऐप पर डिटेल खंगाली तो एक वॉट्सऐप ग्रुप से उसे जोड़ दिया गया। इस ग्रुप में आकाश जैसे देशभर के 8 हजार से अधिक लाेग जुड़े हैं। पुलिस को इसमें से करीब 150 लोगों की डिटेल मिली है। अन्य वर्चुअली सिम से एक्टिव किए गए वॉट्सऐप अकाउंट से जुड़े हैं। इस ग्रुप में ऑनलाइन बैंक अकाउंट खरीदा-बेचा जाता है।

बैंक खाता खोलने के लिए लगती है बोली

बैंक अकाउंट के लिए बोली लगती है। इसमें पासबुक की फोटो खींचकर भेजना होता है। इसके बाद साइबर फ्रॉड से जुड़े गैंग इसे बोली के माध्यम से खरीदते हैं। एक बैंक अकाउंट की कीमत तीन से पांच हजार रुपए होती है। इसमें ट्रांसफर होने वाली रकम के एवज में अलग से 20 फीसदी तक कमीशन मिलता है।

गैंग दो तरह से लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं

  • बैंक अकाउंट, पासबुक, एटीएम, पिन नंबर देने वालों को महीने का चार से पांच हजार रुपए किराए के तौर पर देने का लालच देते हैं।
  • सिबिल स्कोर अच्छा बनाने के नाम पर झांसा देकर फंसाते हैं। उसके नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाकर पासबुक, एटीएम व पिन खुद रख लेते हैं। कहते हैं कि वे महीने में पैसे जमा कर निकालते रहेंगे। अधिक ट्रांजेक्शन से सिबिल स्कोर अच्छा हो जाएगा।

गिरोह बैंक खातों से लिंक मोबाइल नंबर बदलवाने के साथ, बार-बार नया एटीएम जारी करवाता था

पांच महीने पहले इस गैंग के झांसे में फंसे बैलहाई आजाद वार्ड गोटेगांव निवासी शिवम कहार के मुताबिक वह नौवीं तक पढ़ा है। पांच साल से चाय-नाश्ते की दुकान पर काम करता है। माता-पिता का इकलौता बेटा है। उसके पिता अब नहीं हैं। घर में मां और छोटी बहन को पालने की जिम्मेदारी उसी पर है। भाई-बहन में किसी की शादी अभी नहीं हुई है। पांच महीने पहले उसकी मां की तबीयत खराब हुई, तो दोस्त सरदार वार्ड निवासी जय मुड़िया से रुपए उधार लेने गया था।

जय के पास भी पैसे नहीं थे, पर जय ने बताया कि उसे भी कुछ दिन पहले पैसों की जरूरत थी, तब एक व्यक्ति से उसका संपर्क हुआ था। उसने जय से बैंक अकाउंट का एटीएम, बैंक से लिंक सिम कार्ड लिया था। इसके एवज में जय को तीन हजार रुपए दिए थे। उस व्यक्ति ने तब जय से कहा था कि यदि किसी और को पैसे कमाने हों तो उससे भी बैंक अकाउंट मांग लेना।

जय की बातों पर भरोसा करके उसने उसी के माध्यम से अपने यूनियन बैंक का एटीएम व खाते से जुड़ा सिम उस व्यक्ति को दे दिया। इसके बदले में उसे दो हजार रुपए मिल गए। 10 दिनों बाद उसके पास कमलेश पटेल नाम के युवक का कॉल आया। उसने जय का हवाला देते हुए बताया कि जो एटीएम और सिम उसने दी है, वो काम नहीं कर रहा है। उसने दूसरा एटीएम जारी कराने और दूसरा मोबाइल नंबर भी रजिस्टर्ड करवाने के साथ वो सिम मांगी।

कमलेश ने उसे रिपटा स्थित साइबर पाॅइंट दुकान पर भेजा। उस दुकानदार ने उसके नाम पर दूसरी सिम एक्टिवेट की और खुद रख ली। सिम नंबर देकर उसे बैंक खाते में लिंक कराने के लिए कहा। उसके कहे अनुसार उसने दूसरा एटीएम कार्ड निकाल कर उसी साइबर पाॅइंट वाली दुकान के संचालक को दे दिया।

8 दिन बाद फिर कमलेश का कॉल आया। उसने फिर दूसरा एटीएम जारी कराने और दूसरा सिम कार्ड लिंक कराने के लिए कहा। इसके एवज में उसने दो हजार रुपए और देने का लालच दिया। उसके कहे अनुसार साइबर पाॅइंट दुकान पर कार्ड दे दिया और दूसरी सिम भी लिंक करा दी, लेकिन दुकानदार ने दो हजार रुपए नहीं दिए। 20 दिन बाद उसने बैंक जाकर वह एटीएम कार्ड ब्लॉक करा दिया।

जब खाते में रुपए आते हैं, तब मिलता है कमीशन

जय ने खाते के उपयोग के बारे में कमलेश से पूछा, तो उसने बताया कि वह इस तरह कई लोगों से खाते लेकर आगे कई व्यक्तियों को भेजता है। वे लोग इन खातों में तीन-चार लाख रुपए ओटीपी और कई लिंक के माध्यम से जमा कराते हैं। इसके बाद एटीएम और सिम के माध्यम से उसे निकाल लेते हैं। फिर बैंक अकाउंट का उपयोग बंद कर देते हैं। कमलेश बोला कि उसका खाता खुलते ही पैसे दे देगा। कुछ दिन बाद बताया कि उसका खाता तो खुल गया है, लेकिन अभी उसका उपयोग नहीं हो रहा है।

खाते की जरूरत पड़ने पर पैसे दे देगा। इसके बाद कमलेश ने संपर्क करना बंद कर दिया। 8 मई को वह कमलेश को दिए गए एक्सिस बैंक खाते की डिटेल पता करने गया तो पता चला कि उसके खातों में नौ लाख रुपए से अधिक का लेन-देन हुआ है। उसके खाते से लगातार लेन-देन किया जा रहा था। जबकि उसने खाता खुलवाने के बाद खुद कभी एक भी रुपए नहीं जमा किए थे। उसने गोटेगांव थाने पहुंचकर कमलेश और उसके साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया।

पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि कई लोगों के साथ ऐसा हुआ

एसडीओपी भावना मरावी के मुताबिक गोटेगांव टीआई हिमलेंद्र पटेल ने शिवम की शिकायत पर जांच शुरू की। पता चला कि उसके जैसे ही कई लोगों के साथ कमलेश पटेल और उसकी गैंग ने ऐसा ही किया है। पुलिस को एक-एक कर 35 बैंक खातों की डिटेल मिली। इन बैंक अकाउंट की डिटेल्स निकाली गई तो पता चला कि पांच महीने के अंदर इन बैंक खातों में देशभर के अलग-अलग राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के लोगों के साथ धोखाधड़ी कर 7.60 करोड़ रुपयों का लेन-देन किया गया है।

कुछ खातों में 2.82 लाख रुपए फ्रीज कराए गए हैं। ये गिरोह गोटेगांव और आसपास के लोगों को यह बोलकर बैंक खाते खुलवाते थे कि वे उन्हें लोन दिलवाएंगे। इसके लिए उनका सिबिल स्कोर बढ़ाएंगे, जिससे अधिक लोन मिल सके। इसके लिए वे लोगों के बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड और खाते से लिंक मोबाइल की सिम खुद रख लेते थे। ये लोग ऐसे बैंक अकाउंट आकाश राजपूत को बेचते थे। आकाश इन बैंक खातों को जामताड़ा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली के साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह को बेच देता था। अधिकतर खाताधारकों को ये पता ही नहीं चला कि उनके खातों में लाखों का लेन-देन किया जा रहा है।

MP में बैंक अकाउंट किराए से देने वाली गैंग …?

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