भोपाल। चुनावी साल में मांग, समस्या और शिकायतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सुनवाई की व्यवस्था में बदलाव कर दिया है।

अब सभी विभाग प्रमुख, संभागायुक्त और कलेक्टरों से कहा गया है कि विभिन्न संगठनों, जनप्रतिनिधियों और आमजन से मिलने वाले मांग और शिकायती पत्र जीएडी को न भेजकर सीधे संबंधित विभाग को भेजें। यदि समस्या, मांग या शिकायत जिला या संभाग स्तरीय है, तो उसे उसी स्तर पर निराकृत करें, इससे समय भी बचेगा। वही ज्ञापन सीधे मंत्रालय भेजे जाएं, जो जीएडी से सीधा संबंध रखते हों।

चुनावी साल में शिकायत और मांग पत्रों की संख्या बढ़ गई है। स्थानीय स्तर पर कर्मचारी एवं सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि और आमजन कलेक्टर या संभागायुक्त को शिकायत या मांग पत्र सौंप रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के नाम होते हैं।
मैदानी स्तर पर इन्हें ध्यान से देखा भी नहीं जाता और सीधे जीएडी को भेज दिए जाते हैं। मंत्रालय में आने पर जीएडी को इनकी छंटाई करानी पड़ती है और फिर संबंधित विभागों को भेजना पड़ता है। छंटाई के दौरान ही यह भी पता चलता है कि इनमें से कई प्रकरण स्थानीय स्तर पर ही सुलझाए जा सकते थे। इसी अव्यवस्था से तंग आकर जीएडी के सचिव श्रीनिवास शर्मा ने निर्देश जारी किए हैं।
शर्मा ने कहा है कि सभी आवेदन, मांग पत्रों को सीधे जीएडी भेजे जाने से उस शिकायत के निराकरण या मांग को पूरा करने में देरी होती है। अधिकार क्षेत्र के आवेदनों का स्थानीय स्तर पर निराकरण की व्यवस्था बनाने से आवेदनों पर होने वाली कार्यवाही में अनावश्यक देरी से बचा जा सकता है। बता दें कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम मिलने वाले आवेदनों को मंत्रालय भेजने का नियम है। ऐसे आवेदन विकासखंड, तहसील, जिला और संभाग मुख्यालयों पर चुनावी समय में बड़ी संख्या में आते हैं।