इंदौर। केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा औद्योगिक कार्य के लिए भूजल का दोहन करने वाले उद्योगों पर लगातार सख्ती की जा रही है। उद्योगों को बोरिंग पर फ्लो मीटर लगाने की अनिवार्यता के साथ पीजो मीटर लगाने की अनिवार्यता भी की गई है। फ्लो मीटर से यह पता किया जा सकेगा कि उद्योग कितना पानी प्रतिदिन उपभोग कर रहे है। वही पीजो मीटर लगाकर यह भी पड़ताल की जाएगी कि संबंधित बोरिंग का जल स्तर कितना है।
इससे भूजल दोहन के कारण जलस्तर के गिरने की निगरानी भी की जा सकेगी। इसके अलावा उद्योगों को 6 रुपये प्रति किलोलीटर प्रतिदिन के हिसाब से भूजल दोहन शुल्क भी केंद्रीय भूजल बोर्ड को चुकाना होगा। यदि कोई उद्योग 50 हजार लीटर पानी प्रतिदिन निकालता है तो उसे 300 रुपये प्रतिदिन के रुप में भूजल दोहन शुल्क देना होगा।
48 हजार रुपये से 5 लाख रुपये महीने की पैनल्टी का है प्रविधान
भूजल विशेषज्ञ सुधीन्द्र मोहन शर्मा के मुताबिक भूजल का दोहन करने वाले उद्योगों को 24 सितंबर 2020 से अब तक भूजल दोहन करने पर पैनल्टी देना होगी। यदि कोई उद्योग 20 हजार लीटर प्रतिदिन भूजल का दोहन करता है तो उसे 1600 रुपये प्रतिदिन शुल्क देना होगा। उद्योगा को एक माह के लिए 48000 रुपये व एक वर्ष के छह लाख रुपये पैनल्टी के रुप में देना होंगे। इसके अलावा 2 लाख लीटर प्रतिदिन भूजल दोहन करने 16000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा। एक माह में यह राशि पांच लाख रुपये और 60 लाख रुपये सालाना होगी। इस तरह विगत तीन साल के उद्योगों को एक करोड़ 80 लाख रुपये देना होंगे। जो उद्योगा 20 हजार लीटर से ज्यादा पानी निकाल रहे है, उन्हें पीजो मीटर लगाना होगा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दी गई जानकारी के आधार पर उद्योगों से केंद्रीय भूजल बाेर्ड करेगा वसूली
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उद्योगों को कंसेंट टू आपरेटर (सीटीओ)फैक्टी चलाने के लिए देता हैं। इसमें उद्याेगों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह अनुमति लेने के पूर्व बताते है कि वे कितना पानी उपयोग करेंगे और वो पानी कहां लेना होगा। इसमें वे पानी के स्त्रोत की भी जानकारी देते है कि वे नगर निकाय, बोरिंग, औद्योगिक विकास निगम या टैंकराें किस माध्यम से पानी लेगें। इसके अलावा उद्योगों से कितनी मात्रा में दूषित जल निकाला जाएगा। इसकी जानकारी भी दीताी हे। ऐसे में जो भी उद्योग मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बोरवेल से पानी लेने की जानकारी दे रहे है उस जानकारी के अधार पर ही केंद्रीय भूजल बोर्ड उनसे भूजल दोहन शुल्क की वसूली करेगा।