राज्यों का कर्ज के सहारे मुफ्त योजनाओं पर सियासी दांव ..!
स्रोत : आरबीआइ रिपोर्ट 2023 …
2024 तक विधानसभा चुनाव वाले राज्यों की सरकारें बांट रहीं रेवड़ियां
कोरोना के बाद देश के चुनाव वाले राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पर कर्ज या अन्य देनदारियां तेजी से बढ़ी हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कर्ज के सहारे मुफ्त की योजनाओं पर सियासी दांव लगाने से बेरोजगारी और महंगाई के बीच बहस तेज हो गई है।
आरबीआइ 2023 की रिपोर्ट की मानें तो तीन साल में 28 राज्यों की औसतन बकाया देनदारियां 43 फीसदी बढ़ी हैं। उन राज्यों की हालत ज्यादा खराब है, जिनमें 2022 से 24 के बीच विधानसभा चुनाव हुए या होने वाले हैं। इन राज्यों की सरकारों ने मतदाताओं को खुश करने के लिए मुफ्त बिजली-पानी, सस्ता सिलेंडर, मुफ्त राशन, फ्री परिवहन, सस्ता भोजन, कृषि ऋण माफी, पुरानी पेंशन आदि योजनाओं में कर्ज का पैसा पानी की तरह बहाया।
सरकारें चुनाव से पहले लुभावनी योजनाओं की घोषणाओं में कसर नहीं छोड़ रही हैं। सरकार बनी तो घोषणाओं को पूरा करने के लिए कर्ज लेना शुरू कर देते हैं। अगर नहीं बनी तो जिसकी सरकार आती है वह झेलता है। आर्थिक विशेषज्ञ लगातार केंद्र को कृषि और स्वास्थ्य योजनाओं में सब्सिडी कम करने के साथ मुफ्त की योजनाओं पर प्रतिबंध की सलाह दे रहे हैं, पर कोई मान नहीं रहा है।
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग सख्त… सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं के वादों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ’रेवड़ी कल्चर’ पर सख्ती दिखाई और केंद्र सरकार तथा चुनाव आयोग से हल निकालने को वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक, लॉ कमीशन, राजनीतिक दलों, अन्य पक्षों की कमेठी गठित कर सुझाव मांगा। चुनाव आयोग ने भी अक्टूबर 2022 में सख्ती दिखाते हुए राजनीतिक दलों से चुनावी वादों की जानकारी मांगी और कहा कि इससे मतदाता प्रभावित होते हैं।
स्रोत : आरबीआइ रिपोर्ट 2023
कर्नाटक 58% 23%
छत्तीसगढ़ 37% 27%
मध्यप्रदेश 79% 29%
मिजोरम 44% 53%
राजस्थान 52% 40%
त्रिपुरा 45% 35%
तेलंगाना 63% 28%
मेघालय 41% 43%
नगालैंड 20% 44%
आरबीआइ के अनुसार मार्च 2020 से 2023 के बीच मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, सिक्किम, कर्नाटक, पर ज्यादा आर्थिक देनदारियां हैं। पंजाब, गोवा, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, मेघालय और नगालैंड पर जीएसडीपी की तुलना में ज्यादा कर्ज है।
बेहतर टैक्स व्यवस्था खुशहाली ला सकती है। जरूरतमंदों तक योजनाएं पहुंचे, पर दुरुपयोग न हो। कई देशों में सामाजिक सुरक्षा टैक्स लिया जाता है। चीन में यह 10 तो रूस में 11% है। इससे गरीबों की मदद होती है।
पंजाब में हर महिला को 1,000 रुपए प्रतिमाह व 300 यूनिट मुफ्त बिजली से 23 हजार करोड रुपए का हर साल भार पड़ रहा है। राजस्थान में 100 यूनिट बिजली फ्री करने पर हर साल 20 हजार करोड़ का भार पड़ेगा।