200 करोड़ का टोल टैक्स, सर्विस लेन की हालत है जर्जर ..!

200 करोड़ का राजस्व देने के बाद भी गुरुग्राम निवासियों को मिला गड्ढे वाला हाइवे …

वाहनों से हर साल वसूला जाता है 200 करोड़ का टोल टैक्स, सर्विस लेन की हालत है जर्जर, वाहन चालकों को होती है परेशानी

 दिल्ली जयपुर हाइवे गुरुग्राम निवासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। हर साल करीब 200 करोड़ रुपए का टोल टैक्स वसूलने वाली सरकार गुरुग्राम निवासियों को बेहतर हाइवे नहीं दे पा रही है। हालात यह हैं कि इन गड्ढों के कारण कई वाहन चालक सर्विस लेन को छोड़कर हाइवे पर ही गलत दिशा में भी वाहन चलाते हैं। बरसात के दिनों में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है जब सर्विस लेन पूरी तरह से जलमग्न हो जाती है और इन गड्ढों की चपेट में आकर वाहन चालक खास तौर पर दोपहिया वाहन चालक घायल हो जाते हैं।

 

 

गुरुग्राम की आबादी 20 लाख से अधिक है और शहर में गुरुग्राम से मानेसर आवागमन के लिए वाहन चालकों को टोल टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। रोजाना करीब 80 हजार वाहन इस टोल टैक्स से गुजरते हैं जिनसे सालाना करीब 200 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला जाता है, लेकिन बदले में इन वाहन चालकों को कोई सुविधा नहीं मिलती। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर खेड़कीदौला टोल प्लाजा से टोल रोड पर 100 मीटर चलते ही पूरी सर्विस लेन गड्ढों में तब्दील हो चुकी है।

 

 

वाटिका चौक फ्लाईओवर से आगे मानेसर की तरफ रामपुरा फ्लाईओवर और आगे के हिस्से में सर्विस लेन पर बड़े गड्ढे होने से लंबा ट्रैफिक जाम लग रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत तो बरसात के मौसम में होती है जब इन गड्ढों में पानी भर जाता है और वाहन चालक इसमें फंस जाते हैं। वहीं, नए गुरुग्राम की दर्जनों सोसाइटियां भी हाइवे के इस सर्विस रोड का इस्तेमाल करती हैं जिन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सेक्टर 81, 82, 83, 84, 85 और 86 क्षेत्र, वाटिका इंडिया नेक्स्ट, गुड़गांव वन, डीएलएफ प्राइमस, मैपस्को कासाबेला, पैराडाइज, रायल विले, बेस्टेक ग्रैंड स्पा, सिकंदरपुर, शिकोहपुर, नौरंगपुर सहित आसपास के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए यह मुख्य रास्ता है। सर्विस लेन टूटने के कारण यहां तक पहुंचना आसान नहीं है।

नए गुरुग्राम से एसपीआर की तरफ जाने वाले वाहनों का भी दबाव अधिक है। ऐसे में मानेसर से फरीदाबाद, बादशाहपुर व सोहना जाने वाले वाहन चालकों को भी काफी परेशान होना पड़ता है। इस सर्विस लेन के रखरखाव की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की है, लेकिन वह इसकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं। कई बार लोग इस बारे में अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अधिकारी इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं देते हैं।

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