गांव खाली, बढ़ रहे शहर ..? इंदौर की रफ्तार सबसे तेज …!

विश्व जनसंख्या दिवस विशेष: प्रदेश की प्रवासन दर 32.39%, जो दूसरे राज्यों से ज्यादा

निमाड़ के चार जिलों से ही हर साल एक लाख लोग जा रहे बाहर …

प्रदेश की जनसंख्या 7. 26 करोड़ है, जिसमें 72.4% ग्रामीण और 27% यानी 2 करोड़ शहरी हैं। जनसंख्या घनत्व देश के औसत 382 से 146 कम हैं यानी प्रदेश में अब भी खुलापन है। प्रदेश में 2001 में 53857 गांव थे, जो 2011 में 54903 हो गए। पर यथार्थ यह है कि शहरीकरण से गांव तेजी से खाली हो रहे हैं। लगातार शहरी जनसंख्या में इजाफा हुआ। इन गांवों के लोग शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के अभाव में और जातिगत भेदभावों से निजात पाने के लिए शहरों में पलायन कर गए। प्रदेश में गांवों से शहरों में प्रवासन दर 32.39% है, जो दूसरे राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा है। अकेले खंडवा से हर साल 10,000 आदिवासी दूसरे राज्यों में मजदूर के रूप में काम करने के लिए पलायन करते हैं। भूमि सर्वेक्षण के लिए डेटा एकत्र करने वाले एनजीओ स्पंदन का अनुमान है कि निमाड़ के चार जिलों खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी से ही 1 लाख लोग हर साल महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में मजदूरी के लिए जाते हैं। बढ़ते शहरों को देखें तो यह भी सच नहीं है कि जिन सुविधाओं की खोज में ये लोग शहर आए उन्हें यहां मिल गई। शहरों में जनसंख्या का दबाव बढ़ने से झुग्गी-बस्तियों का निर्माण हो रहा है। पत्रिका ने प्रदेश में तेजी से बढ़ते तेजी से घट रहे गांवों और तेजी से बढ़ रहे शहरों के आधार मानकर उनकी समस्याएं और खूबियां देखीं।

रोजगार की तलाश में गांव छोड़ गए युवा

ख रगोन जिले के आदिवासी बहुल निमसेटी में डेढ़ हजार लोग रहते हैं। गांव के 800 लोग प्रतिवर्ष रोजगार की तलाश में जाते हैं। अभी 200 युवा अलग शहरों में गए हैं। कुछ घरों में बुजुर्ग और महिलाएं ही हैं। यहां काम कर रही जनसाहस सेवा संस्था की जिला समन्वयक मोनू निंबालकर बताती हैं कि गांव में रोजगार की तलाश में लोग अन्यत्र चले जाते हैं। कई बार ग्रामीणों को बंधुआ मजदूर बना लिया जाता है। ग्रामीणों को इस दिशा में जागरूक किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय प्रशासन के माध्यम से उन्हें रोजगार दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।

शहडोल अंतौली गांव में सिर्फ बुजुर्ग बचे

श हडोल जिले के अंतौली गांव की जनसंख्या एक दशक से लगातार घट रही है। रोजगार के संसाधन न होने से युवा पलायन कर रहे हैं। कोरोना काल में पटरी पार करते समय 9 मजदूरों की मौत से यह गांव देश भर में चर्चा में रहा। अंतौली गांव आबादी 700 है। 100 से ज्यादा युवा गुजरात, मुंबई, चेन्नई और महाराष्ट्र के लिए पलायन कर गए हैं। कई युवाओं के साथ महिलाएं भी पलायन कर चुकी हैं। गांव में अब बुजुर्ग और बच्चे बचे हैं। कुछ परिवारों में तो महिलाएं भी नहीं हैं। गांव के संतलाल कहते हैं, गांव में हर त्योहार फीका रहता है। दूसरे प्रांतों में काम कर रहे युवा सिर्फ होली में कुछ दिनों के लिए घर आते हैं, फिर अपने शहरों को लौट जाते हैं।

दमोह बिजली, पानी और रोजगार न मिलने से गांव खाली
दमोह जिलेे के तेंदूखेड़ा से 13 कि मी सहजपुर ग्राम पंचायत का पाडाक्षिर गांव। यहां 500 की आबादी थी, पर पानी सहित मूलभूत सुविधाएं न होने से लोगों को पलयान करना पड़ा। ज्यादातर लोग जबलपुर में बस गए। अब गांव में 200 लोग हैं। 5 साल गर्मी में पानी की कमी से लोग घरों में ताला डालकर मवेशियों के साथ पलायन कर जाते थे। हालांकि अब पानी की समस्या से राहत मिल गई। गांव के सोनेलाल बताते हैं कि यहां बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल भी है। गांव में बिजली भी है, लेकिन पुरानी परेशानियों को देखते हुए जबलपुर में बस गए लोग अब लौटने को तैयार नहीं हैं।
सागर सूना हो गया गांव का चबूतरा

सा गर जनपद के सबसे बड़े गांव में शुमार रहे परसोरिया से युवाओं का तेजी से पलायन हो रहा हैं। 20 साल पहले गांव में साढ़े पांच हजार लोग थे, लेकिन पलायन का प्रतिशत बेहद कम था। पर आज गांव की 6700 आबादी में 20 से 30 वर्ष के करीब 1200 युवक है। इसमें से 500 बड़े शहरों में हैं, वे अपना परिवार भी वहीं बसाते जा रहे हैं। गांव के चबूतरे हर वर्ग के लोगों से भरे रहते थे, जो आज सूने हैं। बुजुर्ग शेख समद कहते हैं कि पहले गांव में सुख सुविधाओं के साधन नहीं थे, लोग कम खर्च में गुजारा कर लेते थे पर अब खर्चे बढ़ गए इसलिए पैसे कमाने बाहर जाना पड़ता है। गिनती के युवा ही गांव में खेती किसानी व व्यापार करने बचे हैं।

युवाओं का ठिकाना बन गया विजयनगर इलाका

प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर बाहरी लोगों के लिए उच्च शिक्षा और रोजगार देने वाला है। तेजी से विकसित हो रहे पूर्वी इलाके यानी विजयनगर व आसपास में मल्टीनेशनल कंपनियां, बड़े स्टार्टअप, कॉल सेंटर खुल रहे हैं। इलाका एज्युकेशन हब के रूप में विकसित हुआ है। कैफे, बार भी बढ़े हैं, जिनका संचालन करने वालों में कई दूसरे शहरों से आई प्रतिभाएं भी हैं। एक साल में छोटे कारोबार व स्टार्टअप की संख्या 500 से ज्यादा है। अच्छे करियर की तलाश में निमाड़ के मंडलेश्वर से आए राम पटेल बीएचएमएस के बाद अब एक निजी अस्पताल में हैं।

ज बलपुर जिले की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 2011 में आबादी 24.63 लाख थी जो अब 27.50 लाख हो गई है। शहर का पश्चिम विधानसभा क्षेत्र नई बसाहट के साथ तेजी से बढ़ा। गौरीघाट व आसपास 80 छोटी-बड़ी नई कॉलोनियां बन गईं। नर्मदा नगर, ललपुर, पुरानी गौरी, पोलीपाथर, पटेल नगर में आवासीय इकाइयां बनती जा रही हैं। न केवल शहर ब ल्कि दूसरे प्रदेश और विदेशों से आकर इस क्षेत्र में लोग घर बना रहे हैं। पोलीपाथर निवासी सुंदरलाल चौधरी कहते हैं कि मैंने इस क्षेत्र को बढ़ते देखा है। मुख्य मार्ग से 2 किमी भीतर तक लोग यहां आकर रहने लगे हैं।

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