पुलिस ही गोरखधंधे में लगी, कैसे लगे लगाम!
नेता-अपराधी और पुलिस की जुगलबंदी में पिस रही है तो वह आम जनता है, जिसकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है।
प्रदेश में कानून व्यवस्था भगवान भरोसे है और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। शराब तस्करों को संरक्षण देने और उनसे वसूली करने के आरोप में सागर जिले के मालथौन थाना के टीआइ और प्रधान आरक्षक को मई माह में निलंबित किया गया। बंडा थाना में तैनात आरक्षक अपने किराए के घर में जुआ फड़ चलाता पकड़ा गया। छह साल की मासूम से छेड़छाड़ की आठ दिन तक रिपोर्ट न लिखने और उसके परिजन को टरकाते रहने पर सानौधा थाना प्रभारी को जून माह में निलंबित किया गया। इन सब उदाहरणों से लगता है कि पुलिस अपना मूल का छोड़कर अन्य सभी दीगर गोरखधंधों में लगी हुई है, जबकि पुलिस का मूल काम जन सेवा है। प्रदेश में अपराध की बात करें तो गुंडा-बदमाशों में नाक में दम कर रखा है। शराब माफिया, रेत माफिया तांडव मचाए हुए हैं। इंदौर-भोपाल जैसे शहरों में दिन-दहाड़े सरेराह चेन लूटी जा रही है। सड़क चलते लोगों की हत्या हो रही है, लेकिन किसी की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नेता और अपराधियों का गठजोड़ ऐसा है कि अब छुटभैया बदमाश भी पुलिस को मंत्री-विधायकों के नाम पर खुलेआम धमका रहे हैं। आम आदमी अगर अपनी फरियाद लेकर थाने तक जाता है तो उसकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की जाती है। दर्ज हो भी जाए तो राजनीतिक दखल के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस अफसर भी कानून व्यवस्था ठीक करने के बजाय मंत्री और नेताओं के द्वार पर धोक देना ही कर्त्तव्य समझने लगे हैं। नेता-अपराधी और पुलिस की इस जुगलबंदी में पिस रही है तो वह आम जनता है, जिसकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। पुलिस के अफसर अपनी जिम्मेदारी निभाने से ज्यादा पोस्टिंग और पदोन्नति के लिए जुदाड़ में लगे रहते हैं। अफसर अपनी वर्दी से ज्यादा नेताओं के प्रति निष्ठा दिखाते हैं। जन सामान्य में फिर विश्वास जगाने के लिए पुलिस को अपने कर्त्तव्यपालन के लिए ईमानदारी से काम करना होगा। जिस जन सेवा और देश भक्ति के लिए उन्होंने वर्दी पहनी है उसका सम्मान करना होगा। अपनी कार्यशैली में नैतिकता लानी होगी। अपराध को खत्म करने और अपराधियों में दहशत पैदा करने के लिए उसे आगे आना होगा और उस भरोसे के लिए काम करना होगा, जिसके लिए कि पुलिस का सम्मान है। यह सम्मान किसी भी हालत में खत्म नहीं होना चाहिए।