मालनपुर : अंचल के औद्योगिक क्षेत्रों को चाहिए संजीवनी.. ?

अंचल के औद्योगिक क्षेत्रों को चाहिएसंजीवनी…सुरक्षा मिले तो हो विकास …

दो दशक पहले तक गुलजार औद्योगिक क्षेत्र हो गया वीरान…

मालनपुर. जब बेरोजगारी का मुद्दा जोर पकडऩे लगा तो सरकार चेती और खास तौर से कोरोना काल में छोटे-बड़े उद्योगों को प्रोत्साहित करने की कवायद शुरू हुई। उद्योगपतियों का मानना है कि नीतियों में बदलाव की वजह से अब पलायन रुका है और पिछले एक वर्ष में कोरोना की पाबंदियां हटने के बाद 40 नए कारखाने लाने पर सहमति बनी है। इनमें चार-पांच बड़े कारखाने हो सकते हैं। एक फर्टिलाइजर का कारखाना लाने के भी प्रयास हो रहे हैं।

डेढ़ हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विस्तारित मालनपुर औद्योगिक केंद्र बेरोजगारों को काम उपलब्ध कराने का बड़ा माध्यम है। 1984 में से शुरू क्षेत्र के विकास में छह साल के भीतर करीब 300 छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हुए। बाद में कानून-व्यवस्था की चुनौती और सरकार की उद्योगों के अनुकूल नीतियां न होने से वर्ष 2003 से पलायन का दौर शुरू हुआ और करीब आधी इकायां पांच साल पहले तक बंद हो गईं।

फैक्ट फाइल

इसलिए बंद हो जाते है उद्योग

-25 साल पहले कैडबरी फैक्ट्री के प्रबंधक कीथ मैंडिस के अपहरण के बाद असुरक्षा का माहौल बढ़ा।

-20 साल पहले एक बड़ी कंपनी के मैनेजर के साथ मारपीट हुई थी।

-स्थानीय स्तर के लोगों ने चौथ वसूली राजनीतिक संरक्षण में शुरू की।

-श्रमिकों के संगठनों में राजनीतिक लोग घुसने से हड़तालें और आंदोलन होने से माहौल खराब हुआ।

फैक्ट फाइल

300 उद्योग स्थापित हुए थे 1984 से 2000 के बीच।

185 के करीब कारखाने बंद हुए थे एक साल पहले तक।

25 के करीब छोटे कारखाने नए आ गए क्षेत्र में।

160 के करीब छोटे-बड़े उद्योग चालू हैं अब मालनपुर में।

25 हजार के करीब लोगों को मिला है यहां रोजगार।

-8000 के करीब लोग हुए हैं अब तक बेरोजगार।

115 के करीब औद्योगिक इकाइयां कार्यरत हैं अभी।

25 हजार लोगों को रोजगार मिलता है

आधी इकायां बंद होने के बावजूद मालनुपर में 25 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें चार-पांच हजार स्थायी और बाकी ठेकेदारों के माध्यम से काम कर रहे हैं। इनमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से काम करने वाले शामिल हैं। हालांकि बंद होने वाली इकाइयों में भी सात-आठ हजार लोग बेरोजगार हुए हैं।

मालनपुर में उद्योग लाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। सस्ती और आसान जमीन आवंटन प्रक्रिया के कारण पिछले एक साल में 40 उद्योगपतियों ने रुचि दिखाई है। जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई है। एक बड़ा कारखाना फर्टिलाइजर का लाने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द हालात सुधरेंगे।

अमित शर्मा, महाप्रबंध, जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र, मालनपुर।

बिजली संकट भी है एक कारण

बड़ी औद्योगिक इकाइयों के बंद होने का कारण बिजली आपूर्ति में निरंतरता का अभाव भी एक कारण रहा। एमपी आयरन जैसी कंपनी तकनीकी कारणों से बंद हुई। उसे औसतन पांच-छह घंटे ही बिजली मिल पाती थी, हॉटलाइन ग्रुप की तीन इकाइयां भी इन्हीं कारणों से बंद हुईं। इसके बाद कुछ इकाइयां सरकारी सुविधाओं का लाभ भोगने के बाद पलायन कर गईं।

जमीन अन्य जगहों से सस्ती दरों पर

मालनपुर में अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की तुलना में जमीन भी सस्ती है। मुरैना जिले के क्षेत्रों से भी यहां जमीन सस्ती है, इसलिए अब औद्योगिक घरानों ने यहां कारखाने लगाने में दिलचस्पी दिखाना शुरू किया है। बिजली एवं अन्य समस्याओं के साथ ही सरकार से कर एवं अन्य सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। विक्रय कर, हर तीन साल में रिन्यूअल फीस में 30 प्रतिशत की वृद्धि को लेकर भी सरकार ने राहत का वादा किया है।

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