‘झारखंड हाईकोर्ट के फैसला गलत … SC ने कहा- नजरबंदी कानून कठोर …!
‘झारखंड हाईकोर्ट के फैसला गलत’: शीर्ष अदालत ने कहा- नजरबंदी कानून कठोर, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कम करता है
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने प्रकाशचंद्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव की हिरासत को बरकरार रखा था। उसे झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2002 के तहत असामाजिक तत्व घोषित किया गया था।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ ने इसके साथ ही झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने प्रकाशचंद्र यादव उर्फ मुंगेरी यादव की हिरासत को बरकरार रखा था। उसे झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2002 के तहत असामाजिक तत्व घोषित किया गया था। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की हिरासत को तीन महीने से ज्यादा अवधि तक बढ़ाना अनधिकृत और गैरकानूनी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा, हिरासत की अवधि बढ़ाने वाले 7 नवंबर, 2022 और 7 फरवरी, 2023 के आदेश को रद्द किया जाता है। पीठ ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ के 2 मार्च, 2023 और 2 नवंबर, 2022 के एकल जज के फैसले को भी रद्द किया जाता है।
कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं
शीर्ष कोर्ट ने फैसले में कहा कि प्रकाशचंद्र के मामले में कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अदालत ने झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल जेल में बंद प्रकाशचंद्र को रिहा करने का आदेश दिया। झारखंड अपराध नियंत्रण अधिनियम, 2002 असामाजिक तत्वों को निष्कासन और हिरासत में लेने का अधिकार देता है।