चीतों की मौत से परियोजना की समीक्षा जरूरी हुई ..!

कूनो के लिए कम जगह चीतों के असहज होने की एक बड़ी वजह है।

नामीबिया में 100 वर्ग किमी में एक चीता रहता है …

तेजस के बाद सूरज की भी मौत। कूनो नेशनल पार्क में चार माह में आठवीं मौत। हर मौत के बाद अलग-अलग कारण गिनाए गए। कभी मैटिंग के दौरान आपसी लड़ाई, तो कभी चीतों के गले में लगी रेडियो कालर आईडी की वजह से संक्रमण को कारण माना गया। अग्नि नामक चीता भी घायल है। उसके पैर में फैक्चर है। उसे सेप्टीसेमिया होने की आशंका है। मप्र के वनमंत्री कह रहे हैं कि यह जंगली जानवरों में आम बात है। लेकिन, लगातार हो रही मौतों के बाद सवाल लाजिमी हैं। क्या दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आए इन चीतों को मप्र का मौसम रास नहीं आ रहा? क्या चीते किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, या यहां के वातावरण में इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गयी है? कुछ दिनों पहले आयी एक रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई थी, कूनो की कम जगह चीतों के असहज होने की प्रमुख वजह है। कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस जर्नल में कहा गया कि नामीबिया के उलट मप्र के जंगल में कम जगह है। वहां 100 वर्ग किमी में एक से भी कम चीता रहता है। लेकिन, कूनो में ऐसी स्थिति नहीं है। घूमने के लिए ज्यादा जगह न होने की वजह से वे पास के दूसरे गांवों में घुस रहे हैं। और संघर्ष की स्थिति बन रही है। रिपोर्ट कहती हैं कम से कम 12 चीतों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए। लेकिन कहां? यह बड़ा सवाल है। चीतों को ग्रासलैंड यानी थोड़ी ऊंची घास वाले मैदानी इलाके पसंद हैं। खुले जंगलों में। घने नहीं। वातावरण में ज्यादा उमस न हो। थोड़ा सूखा रहे। इंसानों की पहुंच न हो। बारिश भी ज्यादा न होती है। इस तरह का वातावरण कूनो के अलावा और कहां है? कूनो नेशनल पार्क 748 वर्ग किमी में फैला है। जबकि, बफर एरिया 1235 वर्ग किमी है। स्थितियां अनुकूल हैं फिर भी मौतें हो रही हैं। तो एक बार फिर से भारतीय ग्रास लैंड की पारिस्थतिकी को समझना जरूरी है। यहां चीतल जैसे जीव पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं। लेकिन, चीतों की भोजन श्रृ़ंखला के लिए क्या यह उपयुक्त हैं। यह भी देखा जाना चाहिए। 70 साल तक देश में चीते नहीं थे। तो कुछ तो इसकी वजह रही होगी। वंशवृद्धि में कमी के कारण भी तलाशने होंगे। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटीमौतों की वजह प्राकृतिक बता रही है। ऐसे में चीतों की मौत पर उलझन और बढ़ गई है। यह उलझन दूर होनी चाहिए।

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