माध्यमिक शिक्षा मंडल खुद का भी पुनर्मूल्यांकन करे
12वीं बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के पुनर्गणना में छात्रों के अंक काफी बढ़ना दर्शाता है कि कॉपियों की जांच में घोर लापरवाही बरती गई।
ह र विद्यार्थी के जीवन में 12वीं कक्षा भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ होती है। साल भर छात्र मेहनत करते हैं, ताकि परीक्षा में सफल हो सकें, अपने सपनों को पूरा कर सकें। कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अनेक छात्र मात्र एक अंक से प्रावीण्य सूची में अपना नाम दर्ज कराने से चूक जाते हैं। एक-एक अंक कितना अहम होता है, ये हम उन विद्यार्थियों को देखकर समझ सकते हैं, जो कम अंक आने पर मानसिक अवसाद में चले जाते हैं। कई जीवन समाप्त करने जैसा कदम उठा लेते हैं। शिक्षा के कर्ताधर्ताओं का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को इस अवस्था में न जाने दें। लेकिन मध्यप्रदेश में तो इसका उलटा ही हो रहा है। हाल यह है कि मध्यप्रदेश शिक्षा मंडल की ही लापरवाही की वजह से कई छात्रों के अंकों में कटौती हो गई। भला हो उन विद्यार्थियों का जिन्हें पूरा विश्वास था कि उनके इतने कम नंबर नहीं आ सकते। ऐसे एक नहीं 20 हजार छात्र-छात्राएं थे। उन्होंने पुनर्गणना के लिए आवेदन किया। इनमें से 25 फीसदी विद्यार्थियों के मामले में साबित हो गया कि उन्हें कम नंबर दिए गए थे। ये अंक बढ़ा दिए गए, तो कई छात्र-छात्राओं का नाम मेरिट सूची तक में दर्ज हो गया। लापरवाही का आलम क्या रहा, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भोपाल की एक छात्रा रिमझिम के 30 नंबर बढ़ गए और वह स्कूल की टॉपर बन गई। पता लगा कि उसके कुछ उत्तर जांचे ही नहीं गए थे। ऐसे विद्यार्थियों के लिए यह हर्ष की बात है। आखिर उन्हें अपनी मेहनत का पूर्ण फल मिला। इसमें उन छात्रों की मनस्थिति को भी समझा जाना चाहिए कि उन पर क्या बीत रही होगी, जिन्होंने आत्मविश्वास में थोड़ी कमी की वजह से पुनर्गणना नहीं करवाई होगी। वे जीवनभर इस अवसाद के साथ जीयेंगे कि काश उन्होंने भी पुनर्गणना करवा ली होती। पुनर्गणना के परिणाम से माध्यमिक शिक्षा मंडल की कार्यप्रणाली तो सवालों के घेरे में आ गई है। मंडल को अब अपनी कार्यप्रणाली का पुनर्मूल्यांकन करवाना चाहिए और जहां-जहां कमी मिले, उसे दूर करने का उपाय करना चाहिए। इसी मामले को आधार बनाकर उसे उन अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई भी करनी चाहिए जिन्होंने कॉपियों की जांच में इस स्तर पर लापरवाही बरती। मंडल को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि कॉपियों की जांच कैसे त्रुटिरहित हो।