आदिवासियों के गढ़ से 9 अगस्त को चुनाव का शंखनाद करेंगे राहुल गांधी

आदिवासियों के गढ़ से 9 अगस्त को चुनाव का शंखनाद करेंगे राहुल गांधी, जानें क्या है विधानसभा सीटों का गणित
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बांसवाड़ा संभाग में 9 अगस्त को आदिवासियों के सबसे बड़े धाम मानगढ़ में एक जनसभा करेंगे. आइए जानते हैं कि राहुल की इस रैली के सियासी मायने क्या हैं.

रैली की तैयारियों में जुटी कांग्रेस

कांग्रेस नेतृत्व इस सभा के लिए पूरी तैयारियों से जुटी है. दावा किया जा रहा है कि अब तक पीएम मोदी की रैलियों में जितनी भिड़ नहीं जुटी उससे ज्यादा यहां जुटेगी.इसलिए ही राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा यहां आ चुके हैं. वे  अलग अलग जिलों की बैठके ले चुके हैं.वहीं स्थानीय स्तर पर भी कांग्रेस बैठकें कर रही है. लक्ष्य एक ही है कि ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाई जाए.अब सवाल उठता है कि शंखनाद के लिए आदिवासियों के आस्था के धाम मानगढ़ को ही क्यों चुना गया है.

क्या है सीटों की स्थिति

उदयपुर संभाग यानी मेवाड़ जिसमें 28 सीटें हुआ करती थी लेकिन सीमांकन के बाद इनमें बदलाव हुआ है. फिर भी इन 28 की बात करें तो यहां 17 सीटें आरक्षित हैं. इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जो कि सीमांकन के बाद बने बांसवाड़ा संभाग में 11 सीटें है जो आरक्षित हैं. इन्हीं सीटों पर दोनों पार्टियों की नजर गड़ी हुई है. फिलहाल यहां कांग्रेस के पास 11 में से छह सीटें हैं. लेकिन खेल तीन सीटों का है जो कि 2-3 बार छोड़ दिया जाए तो ना तो कांग्रेस की हुई और ना ही बीजेपी.इन सीटों को हासिल करने के लिए दोनो पार्टियों ने खुद को झोंक हुआ है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीति विश्लेषक डॉक्टर कुंजन आचार्य का कहना है कि मानगढ़ धाम आदिवासियों के पवित्र तीर्थ के रूप में जाना जाता है.अंग्रेजों की गोलियों से यहां करीब 1500 आदिवासी शहीद हो गए थे. यह आजादी के आंदोलन की घटना है और कहा जाता है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी नृसंश और बड़ा हत्याकांड यह हुआ था.पूरी दुनिया में इसकी गूंज हुई थी.आज भी यह आदिवासियों के लिए सबसे बड़े आस्था का प्रतीक है. यहां मेला लगता है, लोग आते हैं.

अब चुनाव नजदीक है, आदिवासियों के हितों के लिए राजनीति दल अपने आपको आगे चुनाव में प्रोजेक्ट करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले दिनों यहां आकर गए हैं और अब सुना है कि राहुल गांधी भी यहां पर आ रहे हैं. इसका गणित यह है कि दक्षिणी राजस्थान का सबसे बड़ा हिस्सा है बांसवाड़ा. बांसवाड़ा और डूंगरपुर मिलकर एक वागड अंचल होता है.इसमें जो बांसवाड़ा जिले की विधानसभा सीट हैं.बांसवाड़ा शहर को छोड़ दें तो कुशलगढ़, दानपुर और बागीदौरा विधानसभा.यह ऐसी आदिवासी सीटें हैं, जहां पर ना तो कांग्रेस और ना बीजेपी को अब तक पूर्ण बहुमत मिला है.
ऐसा कहा जाता है कि मामा बालेश्वर का यह हिस्सा है,उन पर प्रभाव देखा जाता है. कुछ अपवाद को छोड़ दे जिसमें बीजेपी कांग्रेस को सीटें मिली हैं.ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में इन सीटों पर मामा बालेश्वर का प्रभाव दिखाई पड़ता हैं.बीजेपी कांग्रेस दोनों चाहती है कि इन सीटों पर उनका दबदबा हो.ऐसे में यह भी है कि मानगढ़ धाम से लोकसभा और विधानसभा के राजनीति समीकरण तय करने का समय आ गया है.

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