दलित-आदिवासी वोट बैंक बचाने के लिए कांग्रेस का मास्टर प्लान !

एससी-एसटी रिजर्व सीटों पर पहली बार बूथ, ब्लॉक और असेंबली लेवल पर तीन अलग टीमें …

राजस्थान में सत्ता में रहने के बाद अगले चुनाव में एससी-एसटी रिजर्व सीटें हाथ से निकल जाने के कारण कांग्रेस सत्ता से बाहर हो जाती है। 2013 के चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार का बड़ा कारण एससी-एसटी सीटों पर करारी शिकस्त भी रहा था।

इस बार सत्ताधारी कांग्रेस पिछले ट्रेंड को तोड़ने और अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाए रखने के लिए पहले ही सतर्क हो गई है। यही कारण है कि प्रदेश की 59 रिजर्व सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस ने अलग से मास्टर प्लान बनाया है।

एससी-एसटी वर्ग पर पकड़ मजबूत करने के लिए सभी रिजर्व सीटों पर पहली बार बूथ से लेकर ब्लॉक और असेंबली लेवल पर तीन-तीन टीमें चुनाव मैनेजमेंट का काम करेंगी। इसकी सीधी मॉनिटरिंग ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) से होगी। राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की 212 रिजर्व सीटों को साधने के लिए भी इसी रणनीति पर काम होगा।

59 सीटों पर असेंबली कॉर्डिनेटर

चुनावी रणनीति के तहत कांग्रेस ने आरक्षित 59 सीटों पर प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए असेंबली कॉर्डिनेटर तैनात किए हैं। साथ ही पांच-पांच सीटों का कलस्टर बनाकर इन पर भी सीनियर नेताओं को कॉर्डिनेटर लगाया गया है।

ये कॉर्डिनेटर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के सभी संगठन इकाइयों और प्रमुख नेताओं के बीच समन्वय का काम देखेंगे। जहां भी आंतरिक गुटबाजी या निष्क्रियता का मामला होगा, उसके बारे में एआईसीसी को फीडबैक देंगे। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के एससी-एसटी-ओबीसी और अल्पसंख्यक विभागों के इंचार्ज के. राजू इस पूरे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि अब तक चुनाव के दौरान कांग्रेस में एससी सीटों पर एससी विंग और एसटी सीटों पर एसटी विंग ही काम करती थी। इस बार तय किया गया है कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विंग मिलकर काम करेंगे।

जिन नेताओं को कॉर्डिनेटर का काम दिया गया है, उनमें जातिगत आधार को प्रमुखता दी गई है। एससी सीटों पर एससी के बजाय दूसरी जातियों के कार्डिनेटर लगाए गए हैं। इसी तरह एसटी सीटों पर भी एसटी के कॉर्डिनेटर नहीं लगाकर सामान्य वर्ग के नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।

चुनाव प्रबंधन से लेकर वोटर को बूथ तक पहुंचाएंगे

प्रत्येक एससी और एसटी रिजर्व सीट पर कांग्रेस तीन-तीन टीमें बना रही है। असेंबली कॉर्डिनेशन टीम, ब्लॉक काॅर्डिनेशन टीम और बूथ लेवल एजेंट टीम। तीनों टीमों को प्रत्येक सीट पर चुनाव प्रबंधन से लेकर वोटर को बूथ तक ले जाने तक का काम सौंपा जाएगा। हर विधानसभा सीट पर असेंबली कॉर्डिनेशन टीम में मैन बॉडी के सभी चेयरमैन भी शामिल रहेंगे।

यानी जिला कांग्रेस कमेटी, महिला कांग्रेस, एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक विंग के जिला अध्यक्षों के साथ यूथ कांग्रेस व एनएसयूआई के स्थानीय नेता भी इस टीम में शामिल रहेंगे। इसी प्रकार ब्लॉक कॉर्डिनेशन टीम में भी कांग्रेस की मैन बॉडी के ब्लॉक स्तर के प्रमुख लोगों को शामिल किया गया है।

कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में प्रयोग

कर्नाटक में कांग्रेस ने एससी और एसटी सीटों पर फोकस करके चुनाव लड़ा था। कर्नाटक में एसटी के लिए रिजर्व 15 सीटों में से कांग्रेस ने 14 सीटाें पर जीत हासिल की जबकि एससी की 36 में से 21 सीटें जीतीं। अब इसी फार्मूले को कांग्रेस राजस्थान और अन्य राज्यों में अपना रही है।

कर्नाटक में कांग्रेस की इस रणनीति को भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़कर आए 40 वर्षीय शशिकांत सेंथिल ने अंजाम दिया था। अब सेंथिल को कांग्रेस ने राजस्थान फतेह करने की जिम्मेदारी देकर मधुसूदन मिस्त्री के साथ ऑब्जर्वर की भूमिका में तैनात किया है। सेंथिल के पास कर्नाटक वार रूम की जिम्मेदारी थी। भाजपा के खिलाफ पेटीएम की तर्ज पर पेसीएम का आइडिया सेंथिल का ही था।

चुनाव रणनीति को लेकर 3 सितंबर को जयपुर में बड़ी बैठक

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना है कि एससी-एसटी सीटों पर नेताओं के बीच कॉर्डिनेशन नहीं होने से चुनाव के दौरान चीजेंं बिगड़ जाती थीं। इस बार कॉर्डिनेशन पर पूरा फोकस किया गया है। आपस में समन्वय रहेगा तो सीट के सारे समीकरण व्यवस्थित रह सकेंगे। 3 सितंबर को कांग्रेस के एससी-एसटी-ओबीसी-अल्पसंख्यक विभागों के नेशनल कॉर्डिनेटर के. राजू जयपुर में सभी असेंबली कॉर्डिनेटर और ऑब्जर्वर्स के साथ चुनाव की रणनीति पर बात करेंगे। इस दौरान सीनियर ऑब्जर्वर मधुसूदन मिस्त्री और शशिकांत सेंथिल भी मौजूद रहेंगे।

कांग्रेस को सत्ता में लाने और सत्ता से बाहर करने में एससी-एसटी सीटों की बड़ी भूमिका

एससी-एसटी रिजर्व सीटों की कांग्रेस को सत्ता दिलाने और सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका रही है। पिछले तीन चुनाव में जब-जब कांग्रेस को एससी-एसटी सीटों पर बंपर जीत मिली, उसको सत्ता हासिल हुई। यही कारण है कि इस बार कांग्रेस रिजर्व सीटों पर पूरा फोकस कर रही है।

2008 में कांग्रेस जब सत्ता में आई तो उसने 200 में से कुल 96 सीटें जीतीं। जीती हुई सीटों में 34 सीटें एससी-एसटी की रिजर्व सीटें थीं।

2013 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हुई तो 200 में से उसे सिर्फ 21 सीटें हासिल हुईं। एससी-एसटी की रिजर्व 59 सीटों में से भी कांग्रेस को मात्र 4 पर ही जीत मिली जबकि भाजपा ने 50 रिजर्व सीटों पर जीत हासिल की।

2018 में कांग्रेस जब फिर से सत्ता में आई तो उसको कुल 99 सीटें हासिल हुई। इनमें 31 सीटें रिजर्व कैटेगरी की थी।

हर सीट पर इफेक्टिव बूथ मैनेजमेंट हो …..

एससी-एसटी-ओबीसी व अल्पसंख्यक विभाग, एआईसीसी के नेशनल कॉर्डिनेटर के…. ने बताया कि राजस्थान में सभी 59 सीटों पर तैनात किए गए कॉर्डिनेटर और टीम लीडर कांग्रेस के लिए ग्राउंड तैयार करेंगे। नीचे के लेवल पर संगठन को मजबूत करना मुख्य उदेश्य है। हमारी कोशिश है कि हर सीट पर इफेक्टिव बूथ मैनेजमेंट हो।

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