चुनाव करीब और बढ़ रही है उठापटक ?
भारी उठापटक के दौर से गुजर रही ज्योतिरादित्य सिंधिया-नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ चंबल की राजनीति
चंबल में फिलहाल एक ही चर्चा- आज कौन आएगा, कौन जाएगा।
- जैसे-जैसे चुनावी समर नजदीक आ रहा है यहां सियासी पारा या यूं कहें कि उठापटक भी बढ़ती जा रही है।
- सत्तारूढ़ दल से जाने वालों की संख्या अधिक है क्योंकि नए-पुराने भाजपाइयों की संख्या बहुतायत में है।
- भाजपा के लिए इन दिनों सर्वाधिक चिंता का सबब शिवपुरी जिला है।
ग्वालियर। कौन इस घर की देखभाल करे, रोज इक चीज टूट जाती है…मशहूर उर्दू शायर जान एलिया इश्क में चोट खाए प्रेमियों के लिए ऐसा लिख गए लेकिन चंबल के मौजूदा राजनीतिक हालात में उनके शेर इन दिनों तो शत-प्रतिशत सटीक ही बैठ रहे हैं। यहां दो तरह के ‘प्रेमी’ हैं। एक वो जिन्हें सालों के अटूट प्यार के बदले प्यार न मिला दूसरा वो जो नए प्रेम की खोज में पुराने प्रेमी तो छोड़ आए लेकिन अब पुराने की याद सता रही है।
चुनाव करीब और बढ़ रही है उठापटक
सत्तारूढ़ दल से जाने वालों की संख्या अधिक
सत्तारूढ़ दल से जाने वालों की संख्या अधिक है क्योंकि नए-पुराने भाजपाइयों की संख्या बहुतायत में है। सबके अपने-अपने दुख हैं लेकिन असली कारण टिकट की चाह ही है। तीन साल में यह दूसरा संक्रमण काल है जब आवाजाही मची हुई है।
तकरीबन वैसे ही हालात
मार्च, 2020 याद कीजिए, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में आए दिन छोटे से लेकर बड़े नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे थे। अब अफरातफरी वैसी नहीं तो उससे कमतर भी नहीं है। लगातार आने-जाने पर गुरुवार को ग्वालियर प्रवास के दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया कि अब कोई उनके गुट का नहीं, कुछ आएंगे कुछ जाएंगे, चुनाव का माहौल है। आवागमन तो चलता रहता है।
भाजपा का दुस्वप्न बना शिवपुरी
भाजपा के लिए इन दिनों सर्वाधिक चिंता का सबब शिवपुरी जिला है। वह इसलिए भी क्योंकि शिवपुरी ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। यहां एक-एक करके सात-आठ नेता कमल को अलविदा कर पंजा के हो चुके हैं। ताजा झटका गुरुवार को लगा। शिवपुरी की कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने सिर्फ पार्टी ही नहीं छोड़ी बल्कि इस्तीफे की इबारत में भ्रष्टाचार को लेकर मंत्रियों को लेकर काफी बुरा लिखा। कमीशनखोरी के आरोपों का सामना कर रही भाजपा सरकार के लिए उसी के विधायक का यह इस्तीफा मुश्किल खड़ी कर सकता है यदि कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने में कामयाब हो जाती है तो।
सिंधिया-तोमर को एक मंच पर लाना चुनौती
दो केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैमरे के सामने नहीं बल्कि पर्दे के पीछे भी एकराय करने के लिए पार्टी हरसंभव कोशिश कर रही है। हालांकि पिछले एक माह में ग्वालियर में जितने भी कार्यक्रम हुए अधिकांश में दोनों अलग-अलग ही दिखाई दिए हैं।