ग्रेटर नोएडा : नक्शे से ज्यादा निर्माण करते ही पकड़े जाएंगे बिल्डर !
प्रदेश के अन्य केंद्रों के ध्यानार्थ : नक्शे से ज्यादा निर्माण करते ही पकड़े जाएंगे बिल्डर
– यूपी रेरा प्रोजेक्ट के स्वीकृत नक्शे को राजस्व विभाग के नक्शे से करेगा मिलान
– रिमोट सेसिंग तकनीक से जमीन की मौजूदा और पुरानी स्थिति का लगाएगा पता
ग्रेटर नोएडा। प्रदेश में बिल्डर स्वीकृत नक्शे से अलग निर्माण करते ही पकड़े जाएंगे। ऐसा करते ही ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित मास्टर प्लान में रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से प्रोजेक्ट के स्वीकृत नक्शे की वास्तविक और पुरानी स्थिति का पता लग जाएगा। आवंटित जमीन से अधिक पर कब्जा करने की भी जानकारी रेरा तक पहुंच जाएगी। फिलहाल प्रदेश के 13 शहरों में इसका पायलट प्रोजेक्ट जारी है। परिणाम अच्छा निकला तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
यूपी रेरा में 3472 प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं। इनमें से 2000 से अधिक प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। यूपी रेरा को कई प्रोजेक्ट में स्वीकृत नक्शे से ज्यादा निर्माण की शिकायतें मिली हैं। इसमें नोएडा में सुपरटेक बिल्डर ने ट्विन टावर का निर्माण करा दिया। जबकि लखनऊ में अंसल बिल्डर ने सिंचाई विभाग की जमीन कब्जा ली थी। इस तरह के मामलों में बिल्डर और खरीदारों के बीच विवाद होते रहते हैं।
इन विवादों को देखकर यूपी रेरा ने बिल्डरों के स्वीकृत नक्शे को राजस्व विभाग के नक्शे से सॉफ्टवेयर की मदद से मिलान करने का फैसला लिया है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार जीआईसी आधारित राजस्व विभाग का नक्शा तैयार कर रही है। जिसमें हर प्लॉट के खसरा नंबर की पूरी जानकारी होगी। अगर किसी खसरा नंबर की जमीन आवंटित की जाती है तो राजस्व विभाग के नक्शे से उसका मिलान किया जा सकता है। प्रोजेक्ट के स्वीकृत नक्शे को सॉफ्टवेयर पर रिमोट सेंसिंग तकनीकी की मदद से राजस्व विभाग के नक्शे पर रखा जाएगा। अगर बिल्डर ने स्वीकृत नक्शे से अधिक जमीन कब्जा ली है तो सॉफ्टवेयर तुरंत बता देगा। साथ ही स्वीकृत नक्शे से अलग निर्माण किया है तो वह भी पता चल जाएगा।
नए प्रोजेक्टों में नहीं होंगे विवाद
यूपी रेरा के अफसरों ने बताया कि यह व्यवस्था नए प्रोजेक्टों पर लागू होगी। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो फिर भविष्य में अवैध निर्माण को लेकर बिल्डर और खरीदारों के बीच होने वाले विवाद खत्म हो जाएंगे। जरा सा भी बदलाव पकड़ में आ जाएंगे। अफसरों ने बताया कि बड़े प्रोजेक्ट में यह काफी असरदार होगा।
अलग खाते में जमा होगा प्रोजेक्ट का 70 प्रतिशत पैसा
नए प्रोजेक्ट के लिए बिल्डरों को तीन बैंक अकाउंट (कलेक्शन, सेपरेट और ट्रांजेक्शन अकाउंट) खुलवाने का नियम है। कलेक्शन अकाउंट में पूरा पैसा आएगा। उसमें से 70 प्रतिशत धनराशि सेपरेट अकाउंट में डालनी होगी। जो केवल निर्माण पर खर्च होगी। बाकी 30 प्रतिशत धनराशि से प्रोजेक्ट के अन्य कार्य किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि अब बिल्डर बैंक को लिखित रूप में अधिकृत करेंगे कि बैंक कलेक्शन अकाउंट में आने वाली धनराशि का 70 प्रतिशत हिस्सा सेपरेट अकाउंट में भेजेगा। इसकी एक प्रतिलिपि पंजीकरण आवेदन के साथ यूपी रेरा में जमा करानी होगी। प्रोजेक्ट का पंजीकरण करने से पहले यूपी रेरा उस पत्र का बैंक के माध्यम से सत्यापन करेगा। पता लगाएगा कि कहीं बिल्डर ने झूठा पत्र को नहीं दिया है। बैंक खातों की सूचना उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बिल्डर के साथ-साथ वित्तीय संस्थान और बैंकों की भी होगी।
स्पेशल सेल का होगा गठन, बिल्डर की लापरवाही पर करेगा कार्रवाई
यूपी रेरा जल्द ही स्पेशल सेल का गठन करेगा। सेल प्रोजेक्ट की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की गहनता से समीक्षा करेगी। सभी जरूरी पैमानों के आधार पर रिपोर्ट नहीं देने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई की जाएगी। अहम है कि प्रदेश में 3400 से अधिक प्रोजेक्ट पंजीकृत हैं। इनमें से 2000 से अधिक निर्माणाधीन हैं। सभी प्रोजेक्ट हर तीन माह में कार्य की प्रगति रिपोर्ट देते हैं। अभी तक भेजी जाने वाली रिपोर्ट का सही से आकलन नहीं हो पा रहा है। स्पेशल सेल प्रोजेक्ट के निर्माण में बरती जा रही लापरवाही पकड़ेगा।
डिफॉल्टर बिल्डरों संग बैठक जल्द
अधिकारियों ने बताया कि यूपी रेरा जल्द ही डिफॉल्टर बिल्डरों के साथ बैठक करेगा। बैठक में प्रोजेक्ट की समस्याओं की जानकारी मांगी जाएगी। साथ ही समाधान निकालने का प्रयास होगा। वहीं बैंक अधिकारियों के साथ भी प्रदेश स्तर पर बैठक की जाएगी। खरीदारों की एसोसिएशन के साथ भी लखनऊ और ग्रेटर नोएडा में बैठक की जाएगी।
कोट
संबंधित प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शे के अनुसार निर्माण कराना होगा। स्वीकृत नक्शे से बाहर जाकर निर्माण करने पर बिल्डर तुरंत पकड़ में आ जाएगा। बैंक भी प्रोजेक्टों के खातों की जानकारी देंगे। बिल्डर की सलाह पर बैंक प्रोजेक्ट के खातों में पैसा भेजेगा। वहीं क्यूपीआर की समीक्षा के लिए स्पेशल सेल गठित की जाएगी। बिल्डरों को किसी भी तरह की लापरवाही करने नहीं दिया जाएगा। – चेयरमैन, यूपी रेरा